Adani Group: दोस्तों सुप्रीम कोर्ट से अडाणी को नहीं मिली कोई क्लीन चिट सबसे बड़ा वितिय घोटाले का आरोप अडाणी के सर पर है इसके बावजूद मोदी सरकार अडाणी ग्रुप को सरकारी प्रोजेक्ट दे रही है वो भी पीछे के दरवाजे से अडाणी ग्रुप के advisor को कमीटि का सरकारी कमिटी का मेम्बर बनाया जा रहा है और वही कमिटी अडाणी को सरकारी डील मुहया करा रही है यानि मामला बहुत ज्यादा गंभीर है फिर एक बार अडाणी को ले करके मोदी सरकार और मोदी जी खुद सवालों के घेरे में है इसका खुलासा इंडियन एक्स्प्रेस ने किया है
अप्रेजल समितियों में ऐसी नियुक्तियां कितनी सही?
मोदी जी अपने परम मित्र गौतम अडाणी को बचाने में लगे है सड़क से लेकर संसद मोदी सरकार ने अडाणी का भरपूर बचाव किया और खुलमखुल बचाव किया और जिन्होंने भी अडाणी पर सवाल उठाया है उनपर या तो ed का केस या पुराने केस में फसाया गया है ओवेराल उन पर शिकंजा जरूर कसा है
लेकिन बावजूद इसके अडाणी को लेकर सवाल खत्म नहीं हुआ है क्योंकि अडाणी को ले करके सवाल करने का ये मौका भी खुद मोदी जी की सरकार दे रही है जिस अडाणी का मामला कोर्ट में पेंडिंग है कोर्ट में चल रहा है उस अडाणी पर देश के साथ देश की जनता के साथ धोका करने का आरोप है जिस अडाणी पर सबसे बड़ा वितिय घोटाले का आरोप है उस अडाणी को सरकार प्रोजेक्ट पर प्रोजेक्ट सरकारी प्रोजेक्ट दे रही है
सभी सरकारी प्रोजेक्ट्स अडाणी को ही दिए जा रहे है ऐसे 6 सरकारी प्रोजेक्ट्स पर अब काम शुरू हुआ है जिस पर एक बार फर से अडाणी की एंट्री पीछे के दरवाजे से हो रही है दोस्तों हमारी सरकार जी को कोई संदेह कोई संकोच नहीं की जिस अडाणी ग्रुप पर जाँच चल रही है उसे अब सरकार प्रोजेक्ट्स ना दे या कम दे उल्टा मोदी सरकार ने हाल ही मे क्या किया वो जान लीजिए अब आप
AGEL की कई परियोजनाओं पर EAC को करना है विचार
अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी के एक एडवाइजर जनार्दन चौधरी को मोदी सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की उसी एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी में सदस्य बनाया गया है जिसे AGEL के कई प्रोजेक्ट्स पर विचार करना है. दरअसल, चौधरी को सदस्य बनाए जाने के बाद हुई EAC की एक बैठक में AGEL के एक 1500 मेगावाट के प्रोजेक्ट पर विचार करके कंपनी के पक्ष में सिफारिश भी की जा चुकी है और ये सनसनीखेज खुलासा द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में किया गया है. हालांकि जनार्दन चौधरी का कहना है वे उस बैठक में शामिल नहीं हुए थे जिसमें AGEL के प्रोजेक्ट पर विचार किया गया लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कमेटी की बैठक की कार्यवाही में उनके शामिल नहीं होने का कहीं जिक्र नहीं है.
दोस्तों आप इसको इस तरह से मानिए की आप सरकारी टेंडर के लिए सरकार से दरख्वास्त किए है की आपको टेन्डर मिलेगा या नहीं मिलेगा कमिटी में अगर आपको ही शामिल कर दिया जाए तो क्या आप खुद को टेन्डर दिलाने के खिलाफ वोट करेंगे क्या नहीं ना तो यहा भी सरकार ने अडानी ग्रीन एनर्जी के एडवाइजर को सरकारी कमिटी में विचार मंत्री बना दिया
दरअसल, मोदी सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने 27 सितंबर को हाइड्रो-इलेक्ट्रिसिटी और रिवर वैली प्रोजेक्ट्स पर विचार के लिए बनी एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी का पुनर्गठन करके उसमें जनार्दन चौधरी को शामिल किया. चौधरी इस कमेटी में शामिल 7 गैर-संस्थागत सदस्यों में एक हैं. जनार्दन चौधरी अप्रैल 2022 से अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड को एडवाइजर के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इससे पहले मार्च 2020 में वे nhpc के तकनीकी निदेशक के पद से रिटायर हुए थे. EAC सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति को लेकर हितों के टकराव का आरोप लग सकता है क्योंकि AGEL के पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट क्लियरेंस के लिए इसी EAC के पास आती हैं.
पुनर्गठित एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी की पहली बैठक 17-18 अक्टूबर को हुई. जनार्दन चौधरी ने इंडियन एक्सप्रेस द्वारा संपर्क किए जाने पर कहा कि EAC में जब AGEL की परियोजना पर विचार किया गया उस वक्त उन्होंने चर्चा में भाग नहीं लिया इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक रिकॉर्ड्स से पता चलता है कि चौधरी ने 17 अक्टूबर को बैठक में हिस्सा लिया था और इसी दिन महाराष्ट्र के सतारा में अडानी ग्रीन एनर्जी की 1500 मेगावाट की तराली पंपिंग स्टोरेज परियोजना पर विचार किया गया था
सितंबर में EAC के सदस्य बने जनार्दन चौधरी
रिपोर्ट के मुताबिक AGEL ने बैठक के दौरान प्रोजेक्ट के लेआउट में बदलाव के लिए परियोजना से जुड़ी शर्तों (ToR) में संशोधन की मांग की. कंपनी ने ऐसा तब किया जब उसे पता चला कि प्रोजेक्ट का प्रस्तावित वाटर कंडक्टर सिस्टम एक मौजूदा विंड फॉर्म के नीचे से गुजरता है जिसके लिए अंडर-ग्राउंड कंस्ट्रक्शन करना काफी मुश्किल होगा. कमेटी की बैठक में विस्तृत विचार-विमर्श के बाद AGEL की इस मांग को मानने के पक्ष में सिफारिश की गई.
एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी का काम,, प्रस्तावित सरकारी मंजूरी से पहले प्रस्तावित प्रोजेक्ट्स पर विचार करके उनके बारे में अपनी सिफारिश देना होता है. दरअसल, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत 2006 में जारी एनवायर्नमेंटल इंपैक्ट असेसमेंट (EIA) नोटिफिकेशन में कहा गया है कि कुछ खास कैटेगरी में आने वाली परियोजनाओं के लिए मंजूरी से पहले एनवायर्नमेंटल क्लियरेंस हासिल करना जरूरी होता है.
इसी काम के लिए 10 EAC बनाई गई हैं जो अलग-अलग सेक्टर्स से जुड़े प्रस्तावों की जांच करने के बाद उनके क्लियरेंस के बारे में फैसला करती हैं. यानी इस कमेटी की सिफारिश एक तरह से सरकारी मंजूरी का आधार होती है या ये भी कह सकते हैं कि परियोजनाओं को मंजूरी से पहले हरी झंडी देने का काम यही समितियां करती हैं.
बहरहाल, अडानी समूह के मोदी सरकार के साथ करीबी रिश्तों के विपक्ष के आरोपों के बीच यह खुलासा सियासी रंग भी ले सकता है. अडानी समूह और मोदी सरकार के बीच संबंधों को लेकर लंबे समय से हमलावर रहीं टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने इस मुद्दे को उठाया भी है। उन्होंने ट्वीट किया है ‘मोदीजी के पर्यावरण मंत्रालय ने अडानी के कर्मचारी जनार्दन चौधरी को ईएसी के सदस्य के रूप में नियुक्त किया।
अब आप समझ गए होंगे इतने आरोप प्रत्यारोप के बीच भी अब तक अडाणी को सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट ना मिलने के बावजूद भी मोदी जी सरकारी प्रोजेक्ट्स उन्हे दे रहे है आखिर क्या रिश्ता है मोदी जी का अडाणी से हर जगह सिर्फ अडाणी ही अडाणी इतना ज्यादा भला करने की कोशिश जो मोदी जी कर रहे है इसके पीछे की सच्चाई सायद अब सुप्रीम कोर्ट में इलेक्टरोल बॉन्ड केस में खुल सकती है आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है कमेन्ट कर जरूर बताएँ

