Baba Ramdev : दोस्तों योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि को 24 घंटे के दौरान 3 अलग-अलग अदालतों से अलग-अलग झटके लगे हैं.जी हा बॉम्बे हाई कोर्ट दिल्ली हाई कोर्ट और देश की सरवॉच अदालत सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार के प्यारेलाल बाबा और केंद्र को सुप्रीम झटका लगा है. बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने पतंजलि पर चार करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. वहीं दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने कोरोनिल को कोरोना की दवा बताने का दावा वापस लेने का आदेश दिया गया है. और (Supreme court) सुप्रीम कोर्ट ने (Patanjali) भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ लोगों द्वारा की जा रही शिकायतों पर कार्रवाई नहीं किए जाने पर केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया।इन तीनों मामलों को एक एक कर के समझते है
Bombay High Court से Baba Ramdev को झटका
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2023 के एक अंतरिम आदेश की अवहेलना करने पर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड पर चार करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कहा कि पतंजलि ने अदालत के आदेश का ‘जानबूझकर’ उल्लंघन किया. हाईकोर्ट के इस फैसले पतंजलि की बाजार में लिस्टेड कंपनी पतंजलि फूड्स लिमिटेड के शेयर पर कोई खास असर नहीं दिखा है. मंगलम ऑर्गेनिक्स लिमिटेड की ओर से दायर ट्रेडमार्क उल्लंघन संबंधी याचिका का निपटारा करते हुए कोर्ट ने पतंजलि पर यह कार्रवाई की. हाईकोर्ट ने पतंजलि को दो सप्ताह में चार करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया. इससे पहले इस महीने की शुरुआत में अदालत ने कंपनी को 50 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया था.
Delhi High Court ने Baba Ramdev को कहा
वहीं दिल्ली हाई कोर्ट ने बाबा रामदेव को आदेश दिया है कि वे पतंजलि आयुर्वेद की कोरोनिल टैबलेट को कोविड की दवा बताने का दावा तीन दिनों के अंदर वापस ले लें. हाई कोर्ट ने सोमवार को पतंजलि और बाबा रामदेव के खिलाफ डॉक्टरों की कई एसोसिएशन की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि रामदेव और उनके प्रमोटरों को तीन दिनों में इससे जुड़े ट्वीट भी हटाने होंगे अगर वह ऐसा करने में नाकाम रहते हैं तो सोशल मीडिया मीडिएटर इन ट्वीट्स को हटा देंगे. हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि बाबा रामदेव सार्वजनिक रूप से दिए गए अपने उन बयानों को वापस लें जिसमें उन्होंने दावा किया था कि कोरोनिल सिर्फ इम्यूनिटी बूस्टर नहीं बल्कि कोविड-19 का ‘इलाज’ है। हाईकोर्ट ने कहा कि वे सारे बयान सोशल मीडिया से हटाए जाएं जिसमें बाबा रामदेव ने दावा किया था कि एलोपैथी कोविड -19 में लाखों लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार थी और पतंजलि का कोरोनिल कोरोना वायरस का ‘इलाज’ है।जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने 2021 में दायर की गई उस याचिका पर फैसला सुनाया जो रामदेव उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के साथ-साथ पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कई डॉक्टरों के संघों द्वारा 2021 के मुकदमे का हिस्सा हैं। गौरतलब है कि 27 अक्टूबर 2021 को हाईकोर्ट ने मुकदमे पर रामदेव और अन्य को समन जारी किया था।
Supreme court से Baba Ramdev को आदेश
वही देश की सर्वोच अदालत ने सुप्रीम कोर्ट ने दवाओं के भ्रामक विज्ञापन पर मंगलवार को कड़ा रुख अपनाया है। शीर्ष अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि केंद्रीय आयुष मंत्रालय को भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए अपनी वेबसाइट पर एक डैशबोर्ड बनाना चाहिए।जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की पीठ ने यह भी कहा कि विज्ञापनों की मीडिया में जारी करने से पहले उसकी उचित स्वीकृति अनिवार्य की जानी चाहिए। पीठ ने पंतजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापनों से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। पीठ ने भारतीय चिकित्सा संघ (AIMA) की ओर दाखिल याचिका में आरोप लगाया कि पंतजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा कोविड टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा पद्धति को बदनाम करने के लिए अभियान चलाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ लोगों द्वारा की जा रही शिकायतों पर कार्रवाई नहीं किए जाने पर केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया। पीठ ने कहा कि प्राप्त शिकायतों पर की गई कार्रवाई के बारे में उचित उचित आंकड़ों की कमी उपभोक्ताओं को असहाय और अंधेरे में छोड़ देती है। पहले उपभोक्ताओं की 2500 से अधिक शिकायतें थी जो अब घटकर सिर्फ 130 रह गई हैं। जस्टिस कोहली ने कहा कि तथ्यों को देखने से इसकी प्रमुखवजह इस तरह की शिकायतों से निपटने के लिए समुचित शिकायत निवारण तंत्र को प्रचार-प्रसार नहीं किया जाना मालूम होता है।
यह आंकड़े औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत अभियोजन के मुद्दे सुलझाने में भी मदद कर सकता है। इससे पहले बेंच को बताया कि कई राज्यों में भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित कई शिकायतें दूसरे राज्यों को भेज दी गई थीं। क्योंकि उन उत्पादों का निर्माण करने वाली कंपनियां वहीं स्थित थीं। बेंच ने इस बारे में केंद्रीय आयुष मंत्रालय को दो सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को पतंजलि व दिव्य फॉर्मेसी के 14 उत्पादों के बारे में दो सप्ताह में निर्णय लेने का आदेश दिया। उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंह प्राधिकरण (SLA) ने 15 अप्रैल को पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फॉर्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस निलंबित कर दिए थे। हालांकि बाद में एक उच्च स्तरीय समिति की जांच रिपोर्ट के बाद निलंबन आदेश 1 जुलाई को रद्द कर दिया। क्या आपने रामदेव जैसा झूठा बाबा देखा है अपनी राय हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ