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Bageshwar Dham Sarkar Dhirendra Krishna Shastri : सपने दिखाने वाले बाबाओं के खिलाफ ऐसे करें केस; होगी उम्रकैद

Bageshwar Dham Sarkar Dhirendra Krishna Shastri

Bageshwar Dham Sarkar Dhirendra Krishna Shastri

Bageshwar Dham Sarkar Dhirendra Krishna Shastri: कथा वाचक बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री पर जादू-टोना करने और अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगा है। आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने अपने ऊपर उठ रहे आरोपों पर सफाई दे दी है। हम उन पर कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं। लेकिन ये बात भी सच है कि देश में नकली बाबाओं की भी कमी नहीं है। काफी लोग जादू-टोने पर यकीन रखते हैं। कई जगहों पर औरतों को डायन बताकर उनके साथ अत्याचार किया जाता है। आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि नकली बाबाओं के खिलाफ कहां शिकायत की जा सकती है, क्या हमारे देश में जादू-टोने के खिलाफ कोई कानून है, अगर किसी महिला को डायन बताकर उसके साथ अत्याचार किया जा रहा है तब वो किसकी मदद ले सकती है…

सचिन नायक, एडवोकेट, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट,डॉ. प्रितेश गौतम, कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट, भोपाल मुताबिक
सबसे पहले जान लीजिए विश्वास और अंधविश्वास में फर्क… विश्वास वो फीलिंग है जो किसी इंसान या सिद्धांत को परखने के बाद उस पर किया जाता है। यह एक विचार है जिसे हम सही मानते हैं। इसके पीछे लॉजिक होता है। अंधविश्वास एक ऐसा विश्वास है जिसके पीछे कोई तर्क नहीं होता। उन प्रथाओं और मान्यताओं को निभाना जिनके पीछे कोई साइंटिफिक वजह नहीं है अंधविश्वास होता है।

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सवाल: लोग क्यों इतनी आसानी से बाबाओं और तांत्रिकों के जाल में फंस जाते हैं?
जवाब: ऐसा इन तीन वजहों से होता है…

फेथ हीलिंग प्रैक्टिस: कई बार किसी के साथ अगर कोई समस्या हो रही है तो वो किसी बाबा या गॉडमैन पर विश्वास करने लगते हैं। इसी विश्वास से उनकी चीजें ठीक होने लगती हैं। इन्हें लगता है कि ऐसा उन बाबा या गॉडमैन की वजह से हुआ है। जैसे मान लीजिए किसी को पीलिया हुआ और उसने मंत्र पढ़ा हुआ केला खा लिया। इसके बाद पीलिया ठीक हो गया। (Bageshwar Dham Sarkar Dhirendra Krishna Shastri) ऐसा करने वाले को लगेगा कि वह केले की वजह से ठीक हुआ है। बल्कि नॉर्मल पीलिया एक ऐसी बीमारी है जो 15 दिन में खुद ही ठीक हो जाती है। इससे लोगों का विश्वास बढ़ जाता है और वो दूसरे लोगों को अपने साथ जोड़ने लगते हैं और इस तरह एक चेन बन जाती है। (Bageshwar Dham Sarkar Dhirendra Krishna Shastri)
एजुकेशन लेवल: पढ़े-लिखे न होने की वजह से लोग कई चीजें नहीं जानते और ऐसे बाबाओं के जाल में आसानी से फंस जाते हैं। (Bageshwar Dham Sarkar Dhirendra Krishna Shastri)
भेड़चाल: अगर किसी बाबा या गॉडमैन के भक्त आसपास होते हैं तो दूसरे लोगों को लगने लगता है कि बाबा वाकई में चमत्कारी हैं। इससे बाबा पर भरोसा करने लगते हैं। ब्रेन वॉश: कई बाबा, तांत्रिक या गॉडमैन की कही बातें बहुत प्रभावी लगती हैं। (Bageshwar Dham Sarkar Dhirendra Krishna Shastri) यह जानते हुए भी कि उसके पीछे कोई लॉजिक नहीं है, हम उस पर भरोसा करने लगते हैं। मेंटल हेल्थ: मेंटल हेल्थ का भी काफी असर पड़ता है। कई लोग साइकोसोमैटिक इलनेस से जूझ रहे होते हैं। इसमें मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम की वजह से पेट दर्द जैसी समस्या हो सकती है। इसे आप किसी पेट के डॉक्टर को दिखाएंगे तो ठीक नहीं होंगे। ऐसे में पेशेंट परेशान हो जाता है। फिर बाबा या गॉडमैन के पास जाने पर मानसिक शांति मिलती है और पेट दर्द ठीक हो जाता है। इस तरह उसका विश्वास डेवलप होता है। पेशेंट को लगता है कि बाबा की वजह से ठीक हुआ है।


बाबा के जाल में फंसने से हो सकती हैं ये समस्याएं…

डिनायल: शुरुआत में एक लंबे समय तक लोग मान ही नहीं पाते कि जिन बाबा को वो मानते हैं वो उनके साथ गलत कर रहे हैं।
गुस्सा: बहुत देर और नुकसान होने पर लोगों को समझ आता है कि उनके साथ धोखा हुआ है। इसके बाद उन्हें गुस्सा आता है। ये गुस्सा वो बाबा पर या अपने परिवार पर निकालते हैं। कई बार खुद पर भी गुस्सा निकालते हैं। (Bageshwar Dham Sarkar Dhirendra Krishna Shastri)
डिप्रेशन: बाबा के हाथों धोखा खाने के बाद लोग डिप्रेशन में भी जा सकते हैं। कई लोग आत्महत्या भी कर लेते हैं।
सवाल: आखिर कैसे हम खुद को और अपने आसपास वाले लोगों को अंधविश्वास में पड़ने से बचा सकते हैं?
जवाब: इन तीन चीजों के जरिए अंधविश्वास के जाल में फंसने से बचा जा सकता है…

जागरूकता: लोगों को जागरूक करना चाहिए कि माता आना, भूत-प्रेत आना, जिन्न आना ये सब मानसिक रोग हैं। ये ट्रीटमेंट से ठीक हो सकते हैं। इस तरह के अवेयरनेस कैंप चलाए जाने चाहिए। एजुकेशन: बाबा, तांत्रिक और गॉडमैन बहुत सी ऐसी बातें बोलते हैं और चीजें करते हैं जिनके पीछे कोई लॉजिक नहीं होता। कई ऐसी ट्रिक्स को चमत्कार बताते हैं जिनके पीछे साइंस है। (Bageshwar Dham Sarkar Dhirendra Krishna Shastri) ये सब हम एजुकेशन के जरिए जान सकते हैं। मानसिक शांति: ज्यादातर लोग बाबा के पास मानसिक शांति के लिए जाते हैं और ठगे जाते हैं। ऐसे में हमें ऐसे दूसरे उपायों पर काम करना चाहिए जिससे मानसिक शांति मिल सके।


सवाल: क्या इस तरह के मामलों से निपटने के लिए देश में कोई कानून है?


जवाब: अंधविश्वास के मामलों के लिए पूरे देश में अलग से कोई कानून नहीं है। इसके लिए आप आईपीसी की इन तीन धाराओं का सहारा ले सकते हैं…

धारा 420: कोई धोखाधड़ी करता है तो उसपर धारा 420 के तहत एक्शन लिया जाता है। इसमें दोषी पर जुर्माने के साथ 7 साल की सजा भी हो सकती है। (Bageshwar Dham Sarkar Dhirendra Krishna Shastri)
धारा 508: जो व्यक्ति दूसरों को यह दिखाए कि उसके पास कोई चमत्कारी या दैवीय शक्तियां हैं और इस बल पर दूसरे लोगों से कोई काम करवाए। ऐसे लोगों को 1 साल की सजा के साथ जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
धारा 511: आईपीसी में जिस क्राइम के लिए कानून नहीं है उसके लिए सेक्शन 511 में सजा सुनाई जा सकती है। इसमें क्राइम के नेचर के अनुसार उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।अंधविश्वास विरोधी बिल लागू करने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य है।

डिटेल्स पढ़िए क्रिएटिव में इन 10 चीजों को चमत्कार नहीं चीटिंग मानता है कानून


सवाल: कई बार बसों में या दूसरे पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ‘सौतन से छुटकारा पाएं, खोया प्यार वापस पाएं’ जैसे विज्ञापन लगे रहते हैं। ये चमत्कार करने का दावा करते हैं। क्या यह सही है?
जवाब: किसी भी तरह की भ्रामक जानकारी फैलाना गैर कानूनी है। इस तरह का कोई विज्ञापन अगर आपको दिखें तो उसके खिलाफ पुलिस कम्प्लेंट कर सकते हैं।

सवाल: आखिर ये काला जादू है क्या?
जवाब: वो जादू जो शैतान और बुरी आत्माओं से जुड़ा हुआ है, उसे काला जादू या ब्लैक मैजिक कहते हैं। मरियम वेबस्टर डिक्शनरी के अनुसार पहली बार ब्लैक मैजिक शब्द का जिक्र 1590 में किया गया।

सवाल: काले जादू का सहारा लोग क्यों लेते हैं?
जवाब: इसकी सबसे बड़ी वजह हेल्पलेसनेस यानी कुछ न कर पाने की फीलिंग है। काला जादू का सहारा लेने वाले लोगों को लगता है कि वो जग के सताए हुए हैं। मेंटली स्टेबल लोग इसकी तरफ अट्रैक्ट नहीं होते।

सवाल: जादू-टोना के खिलाफ भी क्या कोई कानून है?
जवाब: जादू-टोना के खिलाफ पूरे देश में अलग से तो कोई कानून नहीं है। इसके लिए अलग कानून सबसे पहले बिहार में बनाया गया था। यह कानून काला-जादू और जादू-टोना पर रोक लगाता है। ऐसा ही कानून झारखंड में भी है।
टोना-टोटका और काला जादू करने पर दूसरे राज्यों में ये है सजा…

छत्तीसगढ़: 5 साल तक की सजा
ओडिशा: 1 से 3 साल तक की सजा
महाराष्ट्र: 6 महीने से 7 साल तक सजा
कर्नाटक: जेल और जुर्माना
सवाल: क्या डायन प्रथा के खिलाफ देश में कोई कानून है?
जवाब: किसी महिला को डायन बताए जाने के खिलाफ पूरे देश में कोई कानून नहीं है। इसके लिए आईपीसी की विभिन्न धाराओं का सहारा लिया जा सकता है। बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान, असम और महाराष्ट्र में इसके लिए कानून बन चुका है।

अब जानिए कुछ ऐसी ट्रिक्स के पीछे की साइंस जिससे ढोंगी बाबा लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं…

  1. पानी में आग लगाना
    पानी में आग लगाने के लिए बाबा और तांत्रिक उसमें सोडियम के टुकड़े डालते हैं। सोडियम के टुकड़ों को पानी में डालने से सोडियम हाइड्रॉक्साइड बनता है जिससे विस्फोट हो जाता है।
  2. नींबू से खून निकलना
    नींबू में पहले से ही फेरिक क्लोराइड इंजेक्ट कर दिया जाता है। इसके बाद जिस चाकू से इसे काटा जाता है उसपर अमोनियम थायोसाइनाइड लगाया जाता है। इस चाकू से नींबू को काटने पर एक केमिकल रिएक्शन होता है। इससे फेरिक सल्फोसाइनाइड बनता है जो खून की तरह लाल रंग का होता है।
  3. पीलिया झाड़ना
    कई तांत्रिक और बाबा पीलिया या जॉन्डिस झाड़ने का दावा करते हैं। ये पेशेंट के हाथ एक पानी के बर्तन में डालते हैं जिससे पानी पीला हो जाता है। इसके पीछे भी साइंस है। पेशेंट के हाथों को सबसे पहले आम की छाल के पानी से धोया जाता है। इसके बाद इन हाथों को एक पानी के बर्तन में डालते हैं जिसमें चूना मिला होता है। आम की छाल में पॉलीफिनॉल जेंथोस होता है। यह जब चूने से मिलता है तो पीला रंग बनता है।
  4. फोटो से भभूत गिरना
    कई तांत्रिक और बाबा फोटो से भभूत गिराने का चमत्कार करते हैं। इसमें वो एल्यूमिनियम फ्रेम वाली फोटो को भक्तों के सामने रखते हैं। इस फ्रेम पर मरक्यूरिक क्लोराइड को पानी से गीला कर लगाते हैं। इससे एक केमिकल रिएक्शन होता है जिससे एल्यूमिनियम क्लोराइड बनता है जो मरक्यूरी को अलग करता है। ये दोनों राख बनकर नीचे गिरते हैं जो भभूत जैसा दिखता है।
  5. हवन कुंड में बिना माचिस के आग लगाना
    कई लोगों ने देखा होगा कि तांत्रिक कैसे हवन कुंड में सिर्फ घी डालते हैं और उससे भयानक सी आग लग जाती है। दरअसल ये लोग हवन कुंड में पहले से ही पोटैशियम परमैंग्नेट रखते हैं। लोगों को जो ये घी दिखाकर डालते हैं असल में वो ग्लिसरीन होती है। पोटैशियम परमैंग्नेट और ग्लिसरीन जब साथ आकर रिएक्ट करते हैं तो एनर्जी बनती है जिससे कुंड के अंदर रखी लकड़ियों में आग लग जाती है।


नरबलि के मामले केरल में सबसे ज्यादा


भारत में केरल की लिटरेसी रेट सबसे ज्यादा 96.2% है। इसके बाद भी ब्लैक मैजिक यानी काला जादू यहां फल-फूल रहा है। (Bageshwar Dham Sarkar Dhirendra Krishna Shastri) साल 2021 में नरबलि के 6 केस आए, जिसमें 2 मामले केरल से थे। देश का इतना पढ़ा-लिखा राज्य अंधविश्वास की चपेट में है।

अंधविश्वास से जुड़ी दूसरी घटनाएं


6 जनवरी को इंदौर में एक ढोंगी बाबा ने अपने पति के लकवे का इलाज करवा रही महिला को कोल्डड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर पिलाया और फिर महिला के साथ बलात्कार किया। आगे भी ढोंगी बाबा ने महिला के पति को और अधिक बीमार कर देने तथा उसके बच्चों की बलि चढ़ाने की धमकी देकर उसका शारीरिक शोषण जारी रखा तो तंग आकर महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। (Bageshwar Dham Sarkar Dhirendra Krishna Shastri)
जालौर के रहने वाले एक ढोंगी बाबा को राजस्थान की पुलिस ने बेंगलुरु से पकड़ा। उसने अपनी झाड़-फूंक की शक्ति से एक महिला को उसकी सभी समस्याएं सुलझाने का झांसा दिया था। जिस पर महिला ने अपने गहने उसे सौंप दिए। महिला के सभी गहने लेकर वह बेंगलुरु भाग गया।

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