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Bulldozers as political tools: आज की राजनीति का चमकता सितारा बना Bulldozer ?

Bulldozer

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Bulldozers as political tools: दोस्तों ‘बुलडोजर’ चर्चा में है. जमीन पर भी और सियासत में भीयह बुलडोज़र युग है। भारतीय राजनीति का बुलडोज़र युग। माफियों, अपराधियों की अवैध संपत्तियों पर ताबड़तोड़ बुलडोजर की कार्रवाई हो रही है. यह राजनीतिक बुलडोज़र ,राजनीतिक एजेंडा सेट कर रहा है। इसमें जनता के मुद्दे गायब है। इस बुलडोज़र राज की स्पीड बहुत तेज है। बहुत कम समय में सब कुछ रौंदने को उतारू है।

दोस्तों यूपी में बुलडोजर (Bulldozer) की एंट्री हुई थी कानपुर में हुए ‘बिकरू कांड’ के बाद. प्रदेश में माफियाओं पर नकेल कसने के लिए योगी सरकार ने बुलडोजर एक्शन को एक बड़ा हथियार बनाया. “बुलडोजर के इस्तेमाल की हाल फिलहाल में जो परंपरा सी चल पड़ी है, उसकी एक वजह ‘देखा-देखी की राजनीति’ है. इससे पहले मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी योगी स्टाइल में बुलडोजर चलाए गए हैं। नूंह में उपद्रव के बाद ,मेवात में बुलडोजर गरजा ,हरियाणा मे अवैध निर्माणों पर खट्टर सरकार का बुलडोजर चल चुका है। दिल्ली में jhangirpuri हिंसा के बाद बुल्डोज़र चला अवैध निर्माणों पर अब भी बुल्डोज़र जारी है

क्या पहले अवैध निर्माण नहीं था ?

दोस्तों नूह में प्रशासन ने बुलडोजेर से अवैध निर्माणों को गिराया पर दंगे होने के बाद इससे पहले प्रशासन क्या गहरी नींद में सो रहा था, दिल्ली में mcd का बुल्डोज़र चला अब सवाल ये उठते है की इतने दिनों तक एमसीडी सो क्यों रही थी ? क्या पहले अवैध निर्माण नहीं था ? उस वक्त एमसीडी के अधिकारियों और दूसरे विभागों की आंखों पर पट्टी क्यों बंधी थी ? क्या पैसे का चढ़ावा था या फिर कोई और वजह ? क्या लोगों को और मीडियो को दिखाने के लिए कार्रवाई हो रही है ?

दोस्तों सब TIMING का खेल है। TIMING का खेल ऐसे, क्योंकि जब दंगे हुए तो बुलडोजर चल रहा है। तो अचानक अवैध निर्माण सरकारी चश्में से दिखाई देने लगा है। जब अवैध निर्माण की बात होगी तो सबके साथ, सबके लिए पुलिस को कोई कैसे भूल सकता है। जब ये अवैध निर्माण होते है, जब पुलिस वाला या यूं कहे की बीट वाले को सारी जानकारी होती है। तब वो कुछ कार्रवाई नहीं करता है उसके पीछे उसकी वो ‘मजबूरी’ होती है जो उसकी महत्वकांक्षाओं से जुड़ी होती है। यहां ये बात भी किसी से छिपी नहीं है कि अगर इलाके में सट्टा शराब या दूसरा क्राइम फला तो इसके पीछे प्रसाशन ही रहा क्योंकि अगर प्रसाशन एक्शन लेता तो मजाल है कि अपराध पैर पसार पाता।

और जहाँ तक किसी अपराधी का घर ढहाने का प्रश्न है तो इस बात को भी मद्देनज़र रखना चाहिये कि मकान पर सिर्फ़ इसलिये बुलडोज़र चलाया जा रहा है कि इस मकान में कोई अपराधी रहता है इसमे किसी आरोपी के बुज़ुर्ग माता पिता और भाई बहन का क्या दोष यानि की अपराधी की वजह से उनके अन्य परिवार सदस्यों को भी घर से बेघर किया जा रहा है दोस्तों देश की अदालतें भी किसी के जघन्य अपराधी साबित होने के बावजूद किसी के मकान पर बुलडोज़र चलाने का आदेश नहीं देतीं। क्योंकि वह न्यायालय है जहाँ इंसाफ़ मिलता है। अपराध करने वाले को सज़ा मिलती है न कि उसका मकान ढहा कर उसके बूढ़े मां बाप और परिजनों को भी बेघर व बेसहारा कर दिया जाये ?

भ्रष्टाचारी लोग क्या सज़ा के हक़दार नहीं?

दोस्तों आज सत्ता पक्ष से लेकर, विपक्ष तक के अधिकांश राजनैतिक दलों में अपराधी भरे पड़े हैं। अभी ज़्यादा समय नहीं बीता है जबकि सिंगापुर के प्रधानमंत्री ने अपने देश की संसद में भारतीय राजनीतिज्ञों का ‘काला चिट्ठा’ खोला था। भारतीय मीडिया की रिपोर्ट्स के हवाले से ही उन्होंने यह आंकड़े रखे थे कि किन किन आरोपों में संलिप्त कितने ‘महामहिम’ इस समय भारतीय संसद की रौनक़ बढ़ा रहे हैं। क्या ‘सरकार का बुलडोज़र’ कभी इन ‘महामहिम’ के मकानों की तरफ़ भी गया ?

उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में कई ऐसी इमारतों को भी बुलडोज़र से धराशायी करने की ख़बरें मिलीं जिन्हें या तो सरकारी ज़मीन पर क़ब्ज़ा बताया गया या अवैध निर्माण बताकर गिराई गयीं। इस तरह के अवैध निर्माणों में स्थानीय सम्बद्ध विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों की भी मिलीभगत होती है। प्रशासन के लोग आख़िर ,इस तरह के अवैध निर्माणाधीन भवन को आंखे मूँद कर क्यों देखते रहते हैं ? अवैध निर्माणों को प्रोत्साहन देने वाले ,भ्रष्टाचारी लोग भी क्या सज़ा के हक़दार नहीं?

पीएम मोदी के नेतृत्व में ,भारतीय लोकतंत्र व भारतीय संविधान पर बुलडोज़र चल रहा है। मदर ऑफ डेमोक्रेसी का ,जो भव्य दिव्य आयोजन चल रहा है, उसके निशाने पर डेमोक्रेसी ही है, यानी लोकतंत्र।,आप इस तरह के बुल्डोज़र एक्शन से कितने सहमत है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ ओर बाकी खबरों के लिए देखते रहिए जनता की आवाज

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