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Delhi के हर Private School में Free Admission !

Delhi School Students

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Delhi Private School Admission 2023 Distance Criteria Changed: दोस्तों दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों (Delhi Private School) में एंट्री-लेवल क्लास में एडमिशन (Admission) के लिए इच्छुक EWS यानी (आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग), DG यानि (वंचित समूह) और CWSN यानि (विशेष आवश्यकता वाले बच्चे) इन कैटेगरी में स्टूडेंट्स अब फर्स्ट च्वाइस में अपने घर से तीन किलोमीटर तक के दायरे में बने संस्थान चुन सकेंगे। जी हाँ (Delhi Private School EWS Admission) शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। पहले EWS, DG और CWSN कैटेगरी के बच्चे फर्स्ट च्वाइस में घर से एक किलोमीटर तक की दूरी पर बने स्कूलों का ही चयन कर सकते थे. इससे स्टूडेंट्स के पास अब एक से 3 किमी के दायरे में मौजूद ज्यादा से ज्यादा स्कूलों में एडमिशन लेने का मौका होगा।

क्या कहना है एजुकेशन डायरेक्टर का

दोस्तों दिल्ली सरकार के संज्ञान में आया है कि कंप्यूटरीकृत ड्रॉ में आमतौर पर किसी स्कूल के एक किलोमीटर के दायरे में रहने वाले आवेदक चुन लिए जाते हैं और एक से तीन किलोमीटर के दायरे में रहने वाले आवेदकों की संभावनाएं घट जाती हैं, क्योंकि अधिकांश सीटें भर जाती हैं। (Education Director Himanshu Gupta) शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता ने कहा, निजी गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों में EWS, DG और CWSN कोटे के तहत अधिक से अधिक इच्छुक अभिभावकों को अपने बच्चे के दाखिले के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने के मकसद से शिक्षा निदेशालय ने फर्स्ट च्वाइस के संस्थान में दूरी को 0 से एक किलोमीटर से बढ़ाकर 0 से तीन किलोमीटर कर दिया है। अब अगले साल से एडमिशन के लिए इस बात का ध्यान जरूर दे।

दोस्तों शिक्षा निदेशालय ने 2023-24 शैक्षणिक सत्र से ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी में प्रवेश के लिए दो महत्वपूर्ण बदलाव लाने के लिए तैयार है। पहला है आधार कार्ड बनाना अनिवार्य हो जाएगा, दूसरा स्कूल आवंटन के लिए दूरी को मौजूदा 0-3 किमी कर दिया गया है।

किस एक्ट के तहत होता है एडमिशन ?

RTE एक्ट 2009 के मुताबिक, सभी निजी गैर-सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त स्कूल जिनमे (अल्पसंख्यक स्कूलों को छोड़कर) कमजोर वर्गों, वंचित समूहों और विशेष जरूरतों वाले बच्चों को कम से कम 25 फीसदी की सीमा तक एडमिशन देना होता है. इन बच्चों को एडमिशन एंट्री लेवल पर दिया जाएगा और फीस और अनिवार्य एलिमेंट्री एजुकेशन मुहैया कराना होता है।

साल 2009 में शिक्षा का अधिकार यानी Right To Education कानून पारित होने और फिर 2010 में इसके लागू होने के बाद से ही शिक्षा देश के हर बच्चे का मौलिक अधिकार हो गई। 2017 में इस कानून में एक संशोधन किया गया। इसके तहत 2019 में सभी टीचर्स को ट्रेंड करने का टारगेट रखा गया।

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