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Arif Saras Friendship के बाद गिद्ध Jatayu Jaspal Friendship के चर्चे | Wildlife Protection Act 1972

दोस्तों अमेठी के ,,आरिफ की सारस के (Arif Saras Friendship) साथ दोस्ती की खबरें काफी वायरल हुई हैं. सोशल मीडिया पर खबर आते ही यूपी वन विभाग ने सारस को अपने कब्जे में लेकर कानपुर चिड़ियाघर में छोड़ दिया. इसके बाद से आरिफ खासा परेशान है. (Wildlife Protection Act 1972) जानवरों के साथ इंसानों की दोस्ती की कई खबरें आती रहती हैं. अब इंस्टाग्राम पर एक शख्स का वीडियो और वायरल है. इसमें वो एक गिद्ध के साथ नजर आ रहा है. गिद्ध उसके कहने पर चलता, उड़ता, फिरता है

दोस्तों गिद्ध और शख्स की दोस्ती के चर्चे ,,इंस्टाग्राम पर काफी हो रहे हैं. शख्स का नाम जसपाल है और वो हरियाणा के सिरसा का है. जसपाल एक एनजीओ चलाते हैं. जसपाल (Jatayu Jaspal Friendship) बीच राह मिलने वाले घायल जानवरों और पक्षियों की मदद करते हैं और उनका इलाज करवाते हैं. इसी कड़ी में उनकी दोस्ती एक गिद्ध से हो गई. अब दोनों हमेशा साथ रहते हैं. जसपाल ने अपने दोस्त गिद्ध को ‘जटायु’ का नाम दिया हुआ है. इसके वीडियो जसपाल अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर करते रहते हैं.

जसपाल के एनजीओ का नाम एनिमल बर्ड्स वेलफेयर

जसपाल के एनजीओ का नाम एनिमल बर्ड्स वेलफेयर है. उनका एनजीओ ऐसे ही कई जानवरों और पक्षियों को नई जिंदगी देते हैं. गिद्ध के साथ वाले वीडियो पर लोग अलग-अलग कमेंट कर रहे हैं. कह रहे हैं कि मामला यूपी का होता तो इसे भी अलग कर देते.’ किसी ने लिखा कि ऐसे वीडियो शेयर करने से उसका हाल भी आरिफ जैसा हो सकता है.’ एक ने लिखा कि आने वाले दिनों में शख्स और गिद्ध की दोस्ती का अंजाम भी आरिफ-सारस जैसा हो सकता है.’ देखें गिद्ध के साथ जयपाल के वीडियो…

दोस्तों क्या आपको पता है,,, हमारे देश में पशु और पक्षियों को पालने के भी बहुत सारे नियम हैं. कुछ जानवर खास तौर पर संरक्षित होते हैं और उन्हें पालने से पहले हमें कई नियमों से गुजरना पड़ता है. सारस ओर जटोला गिद्ध संरक्षित पक्षियों में से एक है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जंगली जानवरों को पालने या बांधने से पहले किन कानूनों के बारे में जानना जरूरी है? आज हम ऐसे ही जानवरों और उनकी रक्षा के लिए बने कुछ कानून के बारे में आपको बताएंगे

भारतीय संविधान देश के हर नागरिकों की तरह ही,, जानवरों को भी जीवन जीने की आजादी देता है. अगर कोई व्यक्ति जानवरों को मारने या प्रताड़ित करने की कोशिश करता है तो इसके लिए संविधान में कई तरह के दंड के प्रावधान हैं. इसके अलावा हमारे देश में कई जानवर ऐसे भी हैं जिसे मारने या प्रताड़ना पहुंचाने पर आपको जेल भी हो सकती है

वन्य जीव संरक्षण कानून क्या है ?

भारत में बेजुबान जानवरों पर होने वाले किसी भी तरह के अत्याचार को रोकने के लिए भारत सरकार ने साल 1972 में,, भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम ,,पारित किया था. इस कानून को लाने का मकसद वन्य जीवों के अवैध शिकार, मांस और खाल के व्यापार पर रोक लगाना था. साल 2003 में इस कानून में संशोधन किया गया जिसका नाम भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 रख दिया गया. इसमें दंड और और जुर्माना को और भी कठोर कर दिया गया है.

जानवरों के खिलाफ क्रूरता पर लागू होते हैं ये कानून

  • प्रिवेंशन ऑन क्रूशियल एनिमल एक्ट 1960की धारा 11(1) के अनुसार भारत में किसी भी पालतू जानवर की मौत उसे छोड़ने, प्रताड़ित करने, भूखा प्यासा रखने से होती है तो आपके खिलाफ केस दर्ज हो सकता है. ऐसी परिस्थिति में पालतू जानवर के मालिक पर जुर्माना हो सकता है. और अगर तीन महीने के अंदर दूसरी बार ऐसा ही होता है तो जानवर के मालिक पर जुर्माने के साथ 3 महीने तक की जेल भी हो सकती है.
  • आईपीसी की धारा 428 और 429 के तहत किसी भी जानवर को जहर देकर या किसी और तरीके से जान से मारा गया या उसे कष्ट दिया तो दोषी को दो साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है.
  • किसी भी जानवर, चाहे वह पालतू ही क्यों न हो उसे लंबे समय तक लोहे की सांकर या किसी भारी रस्सी से बांधकर रखना अपराध की श्रेणी में आता है.
  • इसके अलावा अगर आप अपने पालतू जानवर को घर के बाहर नहीं निकालते तो यह भी कैद माना जाता है. ऐसी परिस्थिति में 3 माह की जेल और जुर्माना हो सकता है.
  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में 66 धाराएं और 6 अनुसूचियां हैं. इन अनुसूचियों में पशु-पक्षियों की सभी प्रजातियों को संरक्षण प्रदान किया गया है.
  • अनुसूची-1 और 2 के तहत जंगली जानवरों और पक्षियों को सुरक्षा प्रदान की जाती है और इस नियम का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को सजा का प्रावधान दिया जाता है.
  • वहीं अनुसूची 3 और 4 भी जंगली जानवरों और पक्षियों को संरक्षण देते हैं लेकिन जिन जानवरों को रखा गया है उनके साथ किए गए अपराध पर सजा का प्रावधान काफी कम हैं.
  • अनुसूची 5 में उन जानवरों को रखा गया है जिसका शिकार किया जा सकता है. जबकि अनुसूची 6 में शामिल पौधों की खेती और रोपण पर रोक लगाई गई है.

दोस्तों कानून ये नहीं कहता ,,की हमे जानवर ,,पक्षी ,,पालना नहीं चाहिए ,,हमे जानवरों ,,पक्षियों को पालना चाहिए ,,उनसे लगाव रखना चाहिए ,,लेकिन ये सब कानून के दायरे में रहकर करना चाहिए ,,वैसे आपका इस पूरे मामले पर क्या मानना है? हमें कॉमेंट करके जरूर बताएँ

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