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Waste to Wonder Park: नोएडा में 500 टन कबाड़ से बनेगा वेस्ट टू वंडर पार्क

Waste to Wonder Park

Waste to Wonder Park

नोएडा के ओखला बर्ड सेंचुरी (Okhla Bird Century) के पास एक ऐसा पार्क बनने जा रहा है, जहां 500 टन कबाड़ से ऐतिहासिक आकृतियां (historical figures) बनाई जाएंगी। दरअसल, चंडीगढ़ (Chandigarh) की तर्ज पर नोएडा में वेस्ट टू वंडर पार्क (Waste to Wonder Park) बनाया जा रहा है। इस पार्क की खास बात यह है कि यह कबाड़ से बनाया जाएगा जिसमे यूपी की ऐतिहासिक चीजें नजर आएंगी। इस पार्क में बनारस का घाट (Ghat of Banaras) , अयोध्या का दर्शन (Ayodhya Darshan) और उत्तर प्रदेश से जुड़ी ऐतिहासिक आकृतियों (Historical figures related to Uttar Pradesh) को दिखाया जाएगा, इसके लिए प्राधिकरण की ओर से तैयारियां शुरू कर दी गई है।

प्रदेश का पहला पार्क होगा

नोएडा में बनने वाला यह वेस्ट टू वंडर पार्क प्रदेश का पहला ऐसा पार्क होगा जहां कबाड़ से ऐतिहासिक कलाकृति बनाई जाएगी। यह पार्क चंडीगढ़ के तर्ज पर बनाया जा रहा है। इसमें लगाई जाने वाली ज्यादातर कलाकृतियां प्लास्टिक के वेस्ट से बनाई जाएंगी। यह पार्क दिल्ली से भी सटा होगा क्योंकि यह ओखला बर्ड सेंचुरी (Okhla Bird Century) और कालिंदी कुंज (Kalindi Kunj) के रास्ते जाने वाले महामाया फ्लाईओवर (Mahamaya Flyover) के नीचे बनाया जाएगा।

500 टन कबाड़ से बनेगी आकृति

नोएडा प्राधिकरण ने इस पार्क को बनाने की तैयारियां भी शुरू कर दी है, इस महीने नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) की बोर्ड बैठक होने वाली है, जिसमें वेस्ट टू वंडर पार्क का प्रस्ताव रखा जाएगा। प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही इसपर काम शुरू हो जाएगा, क्योंकि (Praveen Mishra, ACEO of Noida Authority) नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ प्रवीण मिश्र ने उद्यान विभाग (Department of horticulture) के अधिकारियों के साथ पार्क की जमीन का भी मुआयना कर लिया है। नोएडा प्राधिकरण की मानें तो इस पार्क को बनाने के लिए पूरे शहर से लगभग आने वाले 500 टन कूड़े को इकठ्ठा करके इसका निर्माण किया जाएगा। फिलहाल शहर से आने वाले वेस्ट का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है, ऐसे प्लास्टिक के कबाड़ की चीजों का इस्तेमाल इस पार्क में किया जाएगा।

नोएडा प्राधिकरण की मानें तो यह पार्क पीपीपी मॉडल (PPP Model) पर बनाया जाएगा यानी यह पार्क पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (public private partnership) पर होगा जिसमें प्राधिकरण इसको बनाने के लिए पैसे खर्च नहीं करेगी, पार्क में खाने-पीने और किताबों की दुकानें (food and book shops in the park) भी होंगी। इसके अलावा प्रवेश टिकट और बाकी जो आमदनी होगी उससे कंपनी पार्क को चलाएगी और बचा हुआ मुनाफा कंपनी को होगा।

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