Covishield vaccine controversy: दोस्तों पीएम मोदी को फ़ोटो खिंचवाने और सेल्फ़ी लेने का क्रैज़ तो जगजाहिर है समुन्द्र हो मंदिर हो आसमान हो आप कही भी गली महोले नुक्कड़ पर जहां भी देखोगे पीएम मोदी की मुसकुराती हुई तस्वीर पाओगे हर पोस्टर बैनर ऐसी तस्वीरों से (PM Modi) भरे पड़े है कोरोना के टाइम पर तो राशन जो बाटा गया उसमे भी मोदी जी की तस्वीर थी अब करे भी तो क्या मोदी जी को प्रचार का शोक ही इतना है की covid वैक्सीन सर्टिफिकेट तक पर अपनी फोटो छपवा दी थी पर अफसोस अब आप ओर हम मोदी जी को cowin सर्टिफिकेट पर नहीं देख पायेगे जी हाँ जैसे ही खबर आई थी की covid vaccine के साइड इफेक्ट है तो मोदी जी ने अपनी फोटो ही वहाँ से हटवा दी
सर्टिफिकेट से हटाई गई PM Modi की तस्वीर
दोस्तों पहले आप ये दोनों फोटो गौर से देखिए। एक फोटो उस सर्टिफिकेट की है जिसमें पीएम मोदी की फोटो और संदेश है। संदेश में लिखा है- दवाई भी कड़ाई भी। दूसरे फोटो में पीएम मोदी की फोटो गायब है। जी हाँ यही कहानी है वैक्सीन कोविशील्ड की। ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राज़ेनेका ने इस वैक्सीन को बनाया था। जिसे भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ने लाइसेंस लेकर बनाया और बेचा। जब भारत में इस वैक्सीन को भारत की खोज बताकर सरकार प्रचारित कर रही थी कि वैक्सीन तैयार हो रही है तो पीएम मोदी सीरम इंस्टिट्यूट कंपनी के दफ्तर भी इस वैक्सीन के बनने की प्रक्रिया देखने गए थे। लेकिन पीएम मोदी की फोटो सभी कंपनियों के वैक्सीन सर्टिफिकेट से हटाई गई है।
दोस्तों उस वक्त तो सरकार जी ने कहा था कोविड-19 से सुरक्षा के लिए सिर्फ़ वैक्सीन ही एकमात्र उपाय हैबकायदा अपनी फ़ोटो लगाकर ख़ुद को लोगों के रक्षक के तौर पर दिखाया गया था कोविन सर्टिफिकेट में पीएम मोदी की फोटो के साथ-साथ कोरोनोवायरस पर विजय पाने के लिए भारत के सामूहिक संकल्प की पुष्टि करने वाला एक कोट भी शामिल था। लिखा था- ‘Together India Will Defeat COVID-19’। मतलब- एक साथ भारत COVID-19 को हरा देगा। और अब पीएम मोदी की फोटो को वैक्सीन सर्टिफिकेट से हटा दिया गया दोस्तों एक तरह से सरकार ने टीकाकरण के श्रेय पीएम मोदी को दिया था। असल वजह सब जानते है ……वैक्सीन साइड इफेक्ट्स की जैसे ही खबर आई उसी को ध्यान मे रखते हुए ये कदम उठाया गया होगा क्योंकि जो मोदी जी वैक्सीन पर जागरूकता अभियान चला रहे थे उन्होंने ये खबर आने के बाद कुछ भी नहीं बोला है दोस्तों एस्ट्राज़ेनेका वही कंपनी है जिसने इलेक्ट्रोरल बांड में 52 करोड़ का चंदा दिया था कांग्रेस का आरोप है कि यह चंदा भाजपा को मिला।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया
दरअसल यूके हाईकोर्ट में एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया कि उसकी वैक्सीन में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) के साथ थ्रोम्बोसिस का कारण बन सकता है जो खून में थक्के पैदा करता है और प्लेटलेट भयानक रूप से कम हो जाते हैं।इंसान की इससे मौत भी हो सकती है। भारत में हाल ही में हुई मौतों को लोगों ने इससे जोड़कर देखना शुरू कर दिया है। ये विवाद सामने आने के बाद स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए आदर्श आचार संहिता (MCC) लागू है। इसलिए कोविड वैक्सीन सर्टिफिकेट से पीएम मोदी की फोटो हटा दी गई है। हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय यह दलील भी दे रहा है कि 2022 में उत्तर प्रदेश उत्तराखंड पंजाब मणिपुर और गोवा विधानसभा चुनाव के दौरान भी चुनाव आयोग के निर्देश पर प्रधानमंत्री की फोटो हटाई गई थी। दोस्तों चलो हम मंत्रालय का कहा मान भी ले की आचार संहिता को देखते हुए ये कदम उठाया लेकिन सवाल तो ये उठ रहा है की लोकसभा चुनाव की घोषणा 15 मार्च को हुई थी। उस समय या उससे पहले ये फोटो क्यों नहीं हटाई गई। आखिर क्यों कोविशील्ड विवाद सामने आने के बाद हटाई गई ??
दोस्तों मार्च 2021 में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने चुनाव आयोग से शिकायत कर वैक्सीन सर्टिफिकेट से पीएम मोदी की फोटो हटाने का अनुरोध किया था। उस समय के अखबार सूत्रों के हवाले से बता रहे हैं कि चुनाव आयोग ने स्वास्थ्य मंत्रालय को फोटो हटाने के लिए कहा था। लेकिन अखबारों ने इसके फालोअप के बारे में नहीं बताया कि तब मोदी का फोटो हटा था या नहीं। लेकिन इस बार कोविशील्ड ने मोदी की फोटो को अफसाना बना दिया है। सरकार आरोपों के घेरे में आ गई है। क्योंकि कोरोना काल की सरकारी बदइंतजामी नदियों में तैरती लाशें अस्पतालों में मौत का तांडव लोग याद कर रहे हैं।
हाई कोर्ट ने बताया था गर्व
हालांकि वैक्सीन सर्टिफिकेट पर मोदी की फोटो को लेकर 2021 में भी विवाद हो चुका है। यह मामला केरल हाईकोर्ट में भी पहुंचा था। तब कोर्ट में तर्क दिया गया था बाकी देशों में वैक्सीन सर्टिफिकेट के साथ वहां के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति की फोटो नहीं होती। इस पर जस्टिस पीवी कुन्नीकृष्णन ने कहा था : “उन्हें अपने प्रधानमंत्रियों पर गर्व नहीं होगा हमें अपने प्रधानमंत्री पर गर्व है।” पता नहीं जज साहब ने यह बात तंज में कही थी या गंभीरतापूर्वक कही थी। जज साहब ने याचिका खारिज कर दी थी।
दोस्तों वैक्सीन के गंभीर साइड इफेक्ट पर आ रही रिपोर्टों को लेकर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने मार्च 2021 में कहा था कि कोवैक्सिन और कोविशील्ड दोनों पूरी तरह से सुरक्षित और प्रतिरक्षात्मक हैं और अब तक देश में इस्तेमाल किए जा रहे इन टीकों की सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं है। उन्होंने कहा था कि ‘देश में कोविड-19 के खिलाफ टीका लगाए गए लाभार्थियों की कुल संख्या में गंभीर साइड इफेक्ट की सूचना देने वालों का प्रतिशत 0.0002 है’। लेकिन विदेश में तो कुछ और ही हो रहा था।
2021 में ही एस्ट्राज़ेनेका-ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन पर यूरोपीय यूनियन के बड़े देशों- जर्मनी इटली फ्रांस जैसे कई देशों ने तात्कालिक तौर पर रोक लगा दी थी। 2022 में ही एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में कहा गयाsos था कि फाइजर की तुलना में एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन से जुड़े मामलों में ब्लड क्लॉटिंग का जोखिम ज़्यादा रहा है। इसमें कहा गया है कि यह 30 फ़ीसदी तक अधिक है।
सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया
अखिलेश यादव ने वैक्सीन लगवाने से उस समय मना कर दिया था। अब उन्होंने इस मामले पर भाजपा और मोदी सरकार पर तीखा हमला किया है। कहा है सत्ताधारी दल ने वैक्सीन बनाने वाली कंपनी से राजनीतिक चंदा वसूलकर जनता की जान की बाज़ी लगायी है। न क़ानून कभी उन्हें माफ़ करेगा न जनता।
दोस्तों कोइन सर्टिफिकेट से मोदी जी की फोटो हट ते ही लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है एक्स पर लोग इसको लेकर तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं। एक्स पर यूजर संदीप मनुधाने ने कहा “मोदी जी अब कोविड वैक्सीन सर्टिफिकेट पर नजर नहीं आएंगे। बस जांचने के लिए डाउनलोड किया है। उनकी तस्वीर चली गई है।” वही इरफ़ान अली ने खुद को कांग्रेस का पदाधिकारी बताते हुए लिखा “हां मैंने अभी चेक किया और पीएम मोदी की तस्वीर गायब हो गई है। उनकी तस्वीर के बजाय केवल क्यूआर कोड है।”
प्रियंका पाटिल नामक ट्विटर यूजर ने लिखा है- वाह मोदी जी वाह! जैसे ही COVID टीकों के घातक नतीजे सामने आए। मोदी ने तुरंत वैक्सीन प्रमाणपत्रों से अपनी तस्वीर हटा दी। वैक्सीन का श्रेय साहेब को जाता है और दुष्परिणामों के लिए नेहरू जी जिम्मेदार हैं।
एमडी फिजिशियन डा. गौरव कुमार ने ट्वीट में लिखा- विपक्ष को लोगों को बताना चाहिए कि मोदी सरकार ने #Covishield से पैसे कैसे लिए और कोविड के बाद हुई मौतों को कैसे नजरअंदाज किया। इस समस्या का मुकाबला करने के लिए कोई जांच या शोध नहीं हुआ। उन्होंने ट्वीट के साथ एक मीम भी लगाया है जिस पर लिखा है- मुफ्त की वैक्सीन बोलकर मौत की वैक्सीन लगवा दिया पापा…
अब कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया है। कांग्रेस ने मांग की है कि जिन लोगों की कोरोना वायरस के खिलाफ कोविशील्ड वैक्सीन लेने के बाद दिल का दौरा पड़ा या किसी दूसरे कारण से मौत हो गई उनके परिजनों को इसकी जांच करानी चाहिए। उन्हें मुआवजा दिया जाए।
. सुप्रीम कोर्ट में 1 मई को एक याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका में कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स की जांच के लिए एक्सपर्ट्स पैनल बनाने की मांग की गई है.एडवोकेट विशाल तिवारी की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया कि वैक्सीन लगाने के बाद किसी को नुकसान पहुंचा तो उन्हें हर्जाना देने का सिस्टम बनाया जाए।यह भी मांग की गई है कि इस पैनल में एम्स दिल्ली के विशेषज्ञ डॉक्टर भी हों। पैनल की अध्यक्षता एम्स दिल्ली के डायरेक्टर से कराने और जांच की निगरानी का जिम्मा सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज को सौंपने की मांग की गई है।
कोरोना महामारी के बाद से भारत में जिस तरह युवा लोगों के हार्ट फेल हो रहे हैं और लोगों की चलते फिरते मौत हो रही है इस बीच कंपनी के साइड इफेक्ट की बात स्वीकार करने के बाद चिंता बढ़ गई है। गौरतलब है कि भारत में ज्यादातर लोगों को यही वैक्सीन लगी है। इसकी कोई 175 करोड़ डोज लोगों को लगी है।अब सरकार बोलती है कि किसी को ज़बरदस्ती नहीं लगायी गयी।लेकिन जहाँ भी जाओ वहां वैक्सीन सर्टिफिकेट मांगा जाता था
यह मान भी लिया जाए कि मोदी का फोटो चुनाव आयोग के निर्देश पर हटा है। लेकिन लोगों का असली मुद्दा तो यही है कि कोरोना के टीके लगवाने के बाद भारत में जो मौतें हुई हैं उसकी संगठित रूप से सरकार ने अभी तक जांच क्यों नहीं कराई। खैर आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ
अखिलेश यादव ने वैक्सीन लगवाने से उस समय मना कर दिया था। अब उन्होंने इस मामले पर भाजपा और मोदी सरकार पर तीखा हमला किया है। कहा है सत्ताधारी दल ने वैक्सीन बनाने वाली कंपनी से राजनीतिक चंदा वसूलकर जनता की जान की बाज़ी लगायी है। न क़ानून कभी उन्हें माफ़ करेगा न जनता।
दोस्तों कोइन सर्टिफिकेट से मोदी जी की फोटो हट ते ही लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है एक्स पर लोग इसको लेकर तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं। एक्स पर यूजर संदीप मनुधाने ने कहा “मोदी जी अब कोविड वैक्सीन सर्टिफिकेट पर नजर नहीं आएंगे। बस जांचने के लिए डाउनलोड किया है। उनकी तस्वीर चली गई है।” वही इरफ़ान अली ने खुद को कांग्रेस का पदाधिकारी बताते हुए लिखा “हां मैंने अभी चेक किया और पीएम मोदी की तस्वीर गायब हो गई है। उनकी तस्वीर के बजाय केवल क्यूआर कोड है।”
प्रियंका पाटिल नामक ट्विटर यूजर ने लिखा है- वाह मोदी जी वाह! जैसे ही COVID टीकों के घातक नतीजे सामने आए। मोदी ने तुरंत वैक्सीन प्रमाणपत्रों से अपनी तस्वीर हटा दी। वैक्सीन का श्रेय साहेब को जाता है और दुष्परिणामों के लिए नेहरू जी जिम्मेदार हैं।
एमडी फिजिशियन डा. गौरव कुमार ने ट्वीट में लिखा- विपक्ष को लोगों को बताना चाहिए कि मोदी सरकार ने #Covishield से पैसे कैसे लिए और कोविड के बाद हुई मौतों को कैसे नजरअंदाज किया। इस समस्या का मुकाबला करने के लिए कोई जांच या शोध नहीं हुआ। उन्होंने ट्वीट के साथ एक मीम भी लगाया है जिस पर लिखा है- मुफ्त की वैक्सीन बोलकर मौत की वैक्सीन लगवा दिया पापा…
अब कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया है। कांग्रेस ने मांग की है कि जिन लोगों की कोरोना वायरस के खिलाफ कोविशील्ड वैक्सीन लेने के बाद दिल का दौरा पड़ा या किसी दूसरे कारण से मौत हो गई उनके परिजनों को इसकी जांच करानी चाहिए। उन्हें मुआवजा दिया जाए।
. सुप्रीम कोर्ट में 1 मई को एक याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका में कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स की जांच के लिए एक्सपर्ट्स पैनल बनाने की मांग की गई है.एडवोकेट विशाल तिवारी की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया कि वैक्सीन लगाने के बाद किसी को नुकसान पहुंचा तो उन्हें हर्जाना देने का सिस्टम बनाया जाए।यह भी मांग की गई है कि इस पैनल में एम्स दिल्ली के विशेषज्ञ डॉक्टर भी हों। पैनल की अध्यक्षता एम्स दिल्ली के डायरेक्टर से कराने और जांच की निगरानी का जिम्मा सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज को सौंपने की मांग की गई है।
कोरोना महामारी के बाद से भारत में जिस तरह युवा लोगों के हार्ट फेल हो रहे हैं और लोगों की चलते फिरते मौत हो रही है इस बीच कंपनी के साइड इफेक्ट की बात स्वीकार करने के बाद चिंता बढ़ गई है। गौरतलब है कि भारत में ज्यादातर लोगों को यही वैक्सीन लगी है। इसकी कोई 175 करोड़ डोज लोगों को लगी है।अब सरकार बोलती है कि किसी को ज़बरदस्ती नहीं लगायी गयी।लेकिन जहाँ भी जाओ वहां वैक्सीन सर्टिफिकेट मांगा जाता था
यह मान भी लिया जाए कि मोदी का फोटो चुनाव आयोग के निर्देश पर हटा है। लेकिन लोगों का असली मुद्दा तो यही है कि कोरोना के टीके लगवाने के बाद भारत में जो मौतें हुई हैं उसकी संगठित रूप से सरकार ने अभी तक जांच क्यों नहीं कराई। खैर आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ