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Assembly Elections 2023: ‘रेवड़ी कल्चर’ की होड़! चुनाव से पहले BJP-कांग्रेस ने किए बड़े वादे

दोस्तों चुनावी मौसम नज़दीक है,, राजनीतिक दल अपने वादों से मतदाताओं को लुभाने की योजना बना रहे हैं, जिसमें जनता जनाधन को मुफ्त की रेवड़ियों देना भी शामिल है,,दोस्तों जैसा की आपको पता है,,इस साल पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं,,वो राज्य है मप्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिज़ोरम,,जनता के बीच चुनावों ने वादों की बौछार होती है,,राजनितिक पार्टियों में होड़ होती है की,,कौन ज्यादा लुभावना वादा करने वाला है,,इसी रेस में जीत के लिए सभी राजनितिक पार्टियां,,रेवड़ियों का पूरा इस्तेमाल कर रही है,,दोस्तों सियासी भाषा में रेवड़ी वो चुनावी वादे है,,जहां पर जनता को मुफ्त में कुछ देने की बात हो रही हो,,दोस्तों इस परंपरा को लेकर कोर्ट का रुख सख्त है, चुनाव आयोग भी समय-समय पर टोक चुका है,,यहां तक की हमारे देश के प्रधानमंत्री भी इसे अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक मानते है,,लेकिन सिर्फ सोचने भर से कुछ नहीं होता,,चुनावी मौसम में एक बार फिर सभी पार्टियों ने जनता के बीच रेवड़ी वाला प्रसाद परोस दिया है।

रेवड़ी कल्चर शुरू

बड़ी बात ये है दोस्तों की जो BJP लगातार इस रेवड़ी कल्टर के बारे में बोल रही थी,,वो भी अब रेवड़ी वाला प्रसाद बाटने की तैयारी कर रही है,,दोस्तों पाँच राज्यों में जहां साल के अंत तक चुनाव होने हैं, वहाँ इस बार मुफ़्त की रेवड़ियों की भरमार रहेगी। कांग्रेस और आप तो रेवड़ी बाँटने में जी- जान से जुटी हुई ही हैं। उन्हें बहुत हद तक इसका फ़ायदा भी हो ही रहा है। वही जो भाजपा मुफ़्त की रेवड़ियों का विरोध कर रही थी, कर्नाटक के नतीजों से सबक़ लेकर,,वह भी अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे तो कोई अजूबा नहीं होगा।

दोस्तों चुनावी साल वाले मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष में बैठी कांग्रेस दोनों ही मुफ्त की रेवड़ियों के सहारे वोटरों को साधने में जुट गए हैं. बीजेपी की सरकार जहां लाडली बहना योजना के जरिए आधी आबादी के वोटों पर नजरें गड़ाए हुए है,, तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी नारी सम्मान योजना और मुफ्त बिजली का पिटारा खोलकर चुनावी नैया पार लगाने की कोशिश शुरू कर दी है,,राजनीतिक दलों को चुनावों में जीत के लिए सरकारी योजनाओं से कहीं ज्यादा मुफ्त की योजनाओं पर ज्यादा भरोसा है. शायद यही वजह है कि चुनावी साल वाले मध्यप्रदेश में दोनों प्रमुख दल यानी कांग्रेस और बीजेपी वोटरों को मुफ्त की रेवड़ियों  के जरिए लुभाने में लग गए हैं,,

दोस्तों भाजपा ने पिछले साल ही मुफ़्त बिजली, पानी, गैस सिलेंडर और क़र्ज़ माफ़ी जैसी घोषणाओं से परहेज़ करने का सैद्धांतिक फ़ैसला लिया था, लेकिन राज्यों की ज़रूरत के अनुसार वहाँ छोटी- छोटी घोषणाओं ने कांग्रेस को फ़ायदा पहुँचाया। इसे देखते हुए भाजपा भी केंद्र की योजनाओं के साथ राज्यों के लिए अलग-अलग तरह की छोटी- छोटी योजनाओं- घोषणाओं पर ध्यान केन्द्रित कर सकती है। राजनीति का तक़ाज़ा भी यही है। जब तमाम दल इस मुफ़्त की रेवड़ी की दौड़ में लगे हुए हैं, ऐसे में भाजपा पीछे क्यों रहे?

लगता है भाजपा केंद्र और राज्य के लिए एक कॉम्बो बनाने की जुगत में है, जिससे डबल इंजन की सरकार के उसके नारे को भी बल मिले,, और नेशनल-लोकल का बेहतर कॉम्बिनेशन भी बन सके। केंद्र सरकार की कुछ योजनाएँ ऐसी हैं जो स्थानीय स्तर पर भी बड़ा प्रभाव डालती हैं, उनका दायरा कुछ ही दिनों में बढ़ाया जा सकता है। जैसे किसान सम्मान निधि। इस योजना के तहत दी जाने वाली राशि भी बढ़ाई जा सकती है और इसके योग्य किसानों की अपर लिमिट भी बढ़ाई जा सकती है। इसी तरह उज्ज्वला योजना का दायरा बढ़ाने का भी विचार चल रहा है। हो सकता है कुछ ही दिनों में इस आशय की घोषणा सामने आ जाए!

कांग्रेस-बीजेपी में रेवड़ियों की टक्कर

वही MP में विधानसभा चुनाव को देखते हुए,,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने  लाडली बहना योजना को लॉन्च किया था, जिसके तहत महिलाओं के बैंक खाते में हर महीने 1000 रुपये की राशि डाली जाएगी. इसी महीने की 10 तारीख से मध्य प्रदेश की महिलाओं के बैंक खाते में 1000 रुपये आने शुरू भी हो जाएगें,,दोस्तों चुनावी साल में महिलाओं को साधने की योजना आई तो,, जाहिर है सियासत होनी ही थी,, और हुई भी. कांग्रेस ने योजना में मिलने वाली राशि कम होने का आरोप लगाते हुए घोषणा की,, कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी, तो महिलाओं को हर महीने एक हज़ार नहीं, बल्कि 1500 रुपये दिए जाएंगे. कांग्रेस ने भी मुफ्त के वादों का पिटारा जनता के सामने खोल कर रख दिया है.

यही नहीं, कमलनाथ ने ऐलान किया है कि कांग्रेस की सरकार बनी तो 100 यूनिट तक बिजली का बिल माफ कर दिया जाएगा. जबकि 200 यूनिट तक बिजली का बिल आधा कर दिया जाएगा,,वही दोस्तों राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बड़ी घोषणा कर दी। राज्य के हर घर के लिए सौ यूनिट बिजली फ़्री कर दी गई। यह घोषणा हमेशा जैसी नहीं है। पहले इस तरह की घोषणा का दायरा सीमित होता था। यानी सौ यूनिट के भीतर बिजली खर्च करने पर ही इसका फ़ायदा मिलता था। 101 यूनिट खर्च होते ही पूरा पैसा देना होता था, लेकिन इस घोषणा में कोई सीमा नहीं है,,,आप कितने भी यूनिट बिजली खर्च कीजिए, सौ यूनिट का पैसा आपको नहीं देना है। यानी राज्य के हर घर को इसका फ़ायदा मिलेगा। गहलोत इस तरह की घोषणा इसलिए जल्द से जल्द कर रहे हैं ताकि दूसरी पार्टियों द्वारा बाद में की जाने वाली घोषणाओं का प्रभाव शून्य हो जाए या कम तो हो ही जाए।

दोस्तों राजनीतिक दल भले ही मुफ्त की घोषणाओं से जनता को लुभाने में लगे हों, लेकिन मध्य प्रदेश की राजनीति को समझने वाले विशेषज्ञों के मुताबिक सरकारी योजनाओं का खोखलापन ही राजनीतिक दलों को मुफ्त की योजनाओं की ओर ले जाता है, लेकिन यह भी शत-प्रतिशत जीत की गारंटी नहीं है,,क्यूंकि ये पब्लिक है सब जानती है|

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