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Jammu and Kashmir Reservation (Amendment) Bill 2023: नए बिल से जम्मू-कश्मीर में क्या-क्या बदलेगा?

Jammu and Kashmir Reservation (Amendment) Bill 2023: दोस्तों जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 के लोकसभा में पारित होते ही जम्मू कश्मीर की राजनीति में एक बार फिर से चर्चा और बहस का दौर शुरू हो गया है. सत्ता के गलियारों में इस बात की खूब चर्चा हो रही है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यह विधेयक पारित करवाकर केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर की भाजपा इकाई के हाथ मजबूत करना चाहती है. ऐसे में इस रिपोर्ट में डिटेल में समझते हैं कि आखिर जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2023 क्या है और इसके पास हो जाने से क्या होगा.

जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023

जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन करता है. अधिनियम अनुसूचित जातियां, अनुसूचित जनजातियां और अन्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से ,पिछड़े वर्ग के सदस्यों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान करता है. जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 के अनुसार व्यक्तियों उस वर्ग को जिन्हें पहले “कमज़ोर और वंचित वर्ग (सामाजिक जाति)” के रूप में जाना जता था, अब “अन्य पिछड़ा वर्ग” के रूप में परिभाषित किया जा सकता है. यानी कि इस विधेयक से कमजोर और वंचित वर्ग की परिभाषा हटा दी गई है. जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 में गुज्जरों के साथ पहाड़ियों को अनुसूचित जनजाति देने का प्रावधान है

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023

दोस्तों 2019 में मोदी सरकार एक बिल लाई थी, जिसका नाम था- जम्मू-कश्मीर रिऑर्गेनाइजेशन 2019. इसके लागू होने के बाद 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया गया था. इस तरह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों ही अलग-अलग केंद्र शासित देश बन गए थे. अब इसमें और संशोधन किया जा रहा है. जिसके तहत जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या बढ़ जाएंगी. जम्मू-कश्मीर रिऑर्गेनाइजेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2023 कानून की शक्ल लेता है तो जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या बढ़कर 114 हो जाएंगी.

विस्थापितों के लिए कश्मीर में दो सीटें आरक्षित होंगी. एक सीट POK से विस्थापित इंसान को दी जाएगी. कश्मीर में प्रवासियों को दी जाने वाली दो सीटों में से एक महिला को अनिवार्य तौर पर शामिल किया जाएगा. इस तरह एक सीट को महिला के लिए आरक्षित किया गया है.
आरक्षित सीट पर कश्मीर प्रवासी और विस्थापित नागरिकों को नामित करने का काम उपराज्यपाल करेंगे. खास बात है कि ये सीटें जम्मू-कश्मीर की 90 सीटों से अलग होंगी. इस तरह कुल सीटों की संख्या बढ़कर 93 हो जाएंगी. SC और ST वर्ग के लिए 16 सीटें रिजर्व की गई हैं. इसमें ST के लिए 9 और SC के लिए 7 सीटें रिजर्व हैं.,,एक रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू के कठुआ, राजौरी, किश्तवाड़, सांबा, डोडा और उधमपुर में 1-1 सीट को बढ़ाया गया है. कश्मीर की बात करें तो कुपवाड़ा जिले में एक सीट बढ़ी है. यहां पहले से 5 सीटे थीं जो अब बढ़कर 6 हो जाएंगी

विधेयक से बीजेपी को फ़ायदा होने की अटकलों में कितना दम

इसका मकसद लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन की बुनियाद पर आगामी विधानसभा चुनाव में भी बाज़ी मारना और कश्मीर घाटी के किसी क्षेत्रीय दल से बिना हाथ मिलाए जम्मू कश्मीर की सत्ता पर काबिज़ होना है. राज्यसभा से पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद जम्मू और कश्मीर विधानसभा में सीटों की प्रभावी संख्या 95 हो जाएगी,,,, जबकि कुल सीटें बढ़कर 119 हो जाएंगी. नई विधानसभा के गठन के लिए कश्मीर डिवीजन में 47 और जम्मू डिवीजन में 43 सहित 90 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होंगे. जम्मू कश्मीर के इतिहास में पहली बार नौ सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई हैं और अनुसूचित जाति के लिए भी सात सीटों का आरक्षण दिया गया है.

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक में दो कश्मीरी पंडितों के अलावा विधानसभा में एक पाकिस्तानी शरणार्थी के नामांकन का प्रस्ताव रखा गया है. सदन में पहले से ही दो महिलाओं के नामांकन का प्रावधान है. अब जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल के पास मतदान के साथ दो कश्मीरी पंडितों और दो महिलाओं और एक पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर शरणार्थी सहित पांच व्यक्तियों को विधानसभा में नामांकित करने की शक्ति होगी , बहुमत साबित करने के लिए किसी भी दल को अब 48 विधायकों के समर्थन की ज़रूरत होगी. इसमें पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर की 24 सीटें भी शामिल हैंजो खाली रहेंगी.

दोस्तों जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट की भी मुहर लग गई है. कोर्ट ने भी स्वीकार किया है कि राष्ट्रपति का फैसला संवैधानिक तौर पर वैध था. अनुच्छेद 370 अस्थायी था. संविधान के सभी प्रावधान जम्मू कश्मीर में लागू होंगे कोर्ट ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 पर राष्ट्रपति को फैसला लेने का पूरा अधिकार है. उनके पास संवैधानिक शक्तियां हैं. जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है.जम्मू-कश्मीर को जल्द ही राज्य का दर्जा दिया जाएगा, आपकी इस पर क्या राय है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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