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Remote Voting System: अब देश में कही से भी कर सकेंगे मतदान

Remote Voting System: देश में चुनाव के दौरान अब लोग कहीं से भी मतदान कर सकेंगे। इसके लिए गृह राज्य लौटने की जरूरत नहीं। निर्वाचन आयोग ने मतदाता सहभागिता बढ़ाने की दिशा में बड़ी पहल करते हुए रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (आरवीएम) तैयार की है।

Remote Voting System: देश में चुनाव के दौरान अब लोग कहीं से भी मतदान कर सकेंगे। इसके लिए गृह राज्य लौटने की जरूरत नहीं। निर्वाचन आयोग ने मतदाता सहभागिता बढ़ाने की दिशा में बड़ी पहल करते हुए रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (आरवीएम) तैयार की है। इसके जरिये दूरदराज में बसे प्रवासी मतदाता देश के किसी भी हिस्से से अपने मूल निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदान कर सकेंगे। आयोग 16 जनवरी को आरवीएम के प्रोटोटाइप का परीक्षण करेगा। इसमें हिस्सा लेने के लिए सभी मान्यता प्राप्त आठ राष्ट्रीय और 57 क्षेत्रीय दलों को आमंत्रित किया है। डेमो में आयोग की तकनीकी विशेषज्ञ समिति के सदस्य भी मौजूद रहेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में तैयार इस आरवीएम के जरिये एक रिमोट पोलिंग बूथ से 72 निर्वाचन क्षेत्रों का मतदान संभव होगा। मतदान मशीनें इंटरनेट से नहीं जुड़ी होंगी। विभिन्न हितधारकों की प्रतिक्रिया व प्रोटोटाइप के प्रदर्शन के आधार पर, रिमोट वोटिंग प्रणाली को लागू करने की प्रक्रिया को उचित रूप से आगे बढ़ाया जाएगा।आयोग के अफसरों ने कहा कि इससे निपटने के लिए आरवीएम को मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर आधारित ‘एक मजबूत, फेल-प्रूफ और कुशल स्टैंड-अलोन सिस्टम’ के रूप में विकसित किया जाएगा।

    एक Remote Voting System: बूथ से कितने निर्वाचन क्षेत्रों को कवर किया जा सकता है?


    मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा युवाओं और शहरी वोटर्स की वोट न डालने के रवैए पर रिसर्च की गई। वोटिंग में इनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए RVM क्रांतिकारी बदलाव होगा। मल्टी कॉन्स्टीटुएंसी रिमोट EVM एक रिमोट पोलिंग बूथ से 72 निर्वाचन क्षेत्रों को संभाल सकती है। Remote Voting System

    चुनाव आयोग का फोकस Remote Voting System पर क्यों है?


    आयोग ने कहा कि 2019 के आम चुनाव में वोटर टर्नआउट 67.4% था। 30 करोड़ से ज्यादा वोटर्स ने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं किया। चिंता की बात यही है। आयोग ने कहा, “वोटर नई जगह जाने पर कई वजहों के चलते वोटिंग रजिस्ट्रेशन नहीं करवाता और वोटिंग नहीं कर पाता। घरेलू प्रवासियों का वोटिंग करने में असमर्थ होना चिंताजनक था। इसलिए RVM का प्लान बनाया गया।”Remote Voting System

    तो यह RVM सिस्टम कब लागू होगा? क्या अगले साल 9 राज्यों में चुनाव से पहले?


    आयोग ने 16 जनवरी को सभी राजनीतिक दलों को बुलाया है। वह इस RVM सिस्टम को राजनीतिक दलों को दिखाएगा। इसके बाद उनसे सुझाव मांगेगा। इसके बाद इसे लागू करने की प्रक्रिया पर आगे बढ़ेगा। 2023 में जम्मू-कश्मीर के अलावा देश के 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। Remote Voting System

    2024 में लोकसभा चुनाव भी होंगे। जिन राज्यों में चुनाव हैं उनमें त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, मिजोरम, तेलंगाना और राजस्थान शामिल हैं। RVM सिस्टम का लागू होने डेमो, राजनीतिक दलों और चुनाव प्रक्रिया से जुड़े लोगों की राय पर निर्भर करता है। Remote Voting System

    Remote Voting System प्रशासनिक चुनौतियां

    • घरेलू प्रवासियों को परिभाषित करना, दूरस्थ मतदाताओं की गणना और अन्य राज्यों में स्थित दूरस्थ मतदान केंद्रों पर आदर्श आचार संहिता का पालन।
    • वोटिंग की गोपनीयता सुनिश्चित करना, मतदाताओं की पहचान के लिए पोलिंग एजेंटों की सुविधा और रिमोट वोटिंग की प्रक्रिया-तरीके और वोटों की गिनती।
    • दूरस्थ मतदान की पद्धति, मतदाताओं को प्रक्रिया व आरवीएम तकनीक से परिचित कराना। Remote Voting System


    कानूनों में होगा संशोधन

    • लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 व 1951, निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम, 1960 में संशोधन करना होगा। Remote Voting System
    • कानून संसद में ही बदला जा सकता है। हालांकि, इस मामले में संबंधित नियमों को कानून मंत्रालय के स्तर पर बदला जा सकता है। इसके अलावा बूथों की संख्या और उनके स्थानों को भी तय करने की जरूरत होगी।
    • आयोग ने इन मुद्दों पर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से 31 जनवरी तक लिखित सुझाव मांगे हैं।


    रिमोट ईवीएम आयोग की शानदार पहल : कुरैशी


    पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन बनाने और इसके डेमो में सभी दलों को शामिल करने को निर्वाचन आयोग की शानदार पहल बताया है। प्रायोगिक तौर पर आयोग के कदम का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा, इससे प्रणाली के सामने आने वाली कठिनाइयों को दूर करने में मदद मिलेगी। कुरैशी ने कहा, लंबे समय से यह मुद्दा अधर में लटका था। हम इसका समाधान नहीं तलाश पा रहे थे। आयोग ने अगर इसका कोई इलेक्ट्रानिक समाधान तलाश लिया है तो यह बहुत अच्छी बात है। सबसे अच्छी बात यह है कि इसे लोकतांत्रिक तरीके से किया जा रहा है। आयोग ने आश्वासन दिया है कि यह सभी हितधारकों के परामर्श के बाद किया जाएगा। वे इसका एक पायलट प्रयोग भी करेंगे। यह एक उत्तम विचार है, क्योंकि पायलट प्रयोग से इसमें आने वाली सभी समस्याएं सामने आएंगी। कुरैशी ने कहा, मुझे लगता है कुल मिलाकर, यह एक बहुत अच्छा कदम है और उम्मीद है कि इसमें आम सहमति बनेगी। Remote Voting System

    रिमोट ईवीएम पर कांग्रेस को आपत्ति,  कहा- आयोग पहले दुरुपयोग रोके


    कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग के रिमोट ईवीएम के प्रस्ताव पर जमकर हमला बोला। प्रमुख विपक्षी दल ने कहा, आयोग को सबसे पहले ईवीएम के दुरुपयोग को लेकर विपक्ष की आशंकाओं को दूर करना चाहिए, क्योंकि ये आशंकाएं चुनाव प्रणाली पर विश्वास को गंभीर रूप से कम करती हैं। Remote Voting System

    कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने हाल में हुए गुुजरात विधानसभा चुनावों में मतदान की अनियमितताओं का जिक्र करते हुए कहा, अब कल्पना कीजिये कि क्या इन संदिग्ध पैटर्नों को एक बहु-निर्वाचन क्षेत्र मतदान मशीन के माध्यम से अन्य स्थानों तक बढ़ाया जा सकता है? यह पूरी चुनावी प्रणाली में विश्वास को गंभीरता से कम करेगा। रमेश ने कहा, हम निर्वाचन आयोग से सबसे पहले पूरी पारदर्शिता के साथ चुनावी प्रक्रिया में भरोसा बहाल करने और विपक्ष की चिंताओं को दूर करने की मांग करते हैं। Remote Voting System

    लोकतंत्र के सुचारु रूप से काम करने के लिए चुनावी प्रणाली में विश्वास सर्वोपरि


    जयराम रमेश ने कहा कि लोकतंत्र के सुचारू रूप से काम करने के लिए चुनावी प्रणाली में विश्वास सर्वोपरि है। जर्मनी की एक अदालत ने तो 2009 में ही वहां इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को रद्द कर दिया था, क्योंकि मशीन की अस्पष्टता एक मतदाता को यह विश्वास नहीं दिला सकती है कि उसका वोट सही तरीके से रिकॉर्ड किया जा रहा है। वहीं इसके व्यापक उपयोग के बावजूद ईवीएम ने भारत में बहुत विवाद पैदा किए। दुर्भाग्यवश अब तक इस मसले को सही ढंग से नहीं सुलझाया गया है। रमेश ने कहा, मतदाताओं और पार्टियों को चुनावी प्रणाली में विश्वास होना चाहिए।

    किन लोगों के लिए आयोग ने ये व्यवस्था बनाई है? जहां भी हैं, वहीं से वोट डाल सकेंगे?


    RVM का इस्तेमाल दूसरे राज्यों में नौकरी कर रहे लोग, प्रवासी मजदूर कर सकेंगे। इसका मतलब यह नहीं होगा कि वे घर बैठे वोट डाल सकेंगे। आयोग की इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए वोटिंग के दिन रिमोट वोटिंग स्पॉट पर पहुंचना होगा। इसका मतलब घर से मतदान करना नहीं है। अनुमान के मुताबिक, देश में 45 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो अपना घर और शहर छोड़कर दूसरे राज्यों में रह रहे हैं। इसका सेंट्रलाइज्ड डेटा मौजूद नहीं है।

    चुनाव सुधारों में मील का पत्थर साबित हुई ईवीएम

    गौरतलब है कि मतपत्रों के जरिए वोटिंग की जटिल और थका देने वाली प्रक्रिया से निजाद दिलाने के लिए 1977 में चुनाव आयोग ने हैदराबद स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) को मतदान के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। संस्थान ने भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड, बेंगलुरु की मदद के साथ 1979 में इसका प्रोटोटाइप विकसित किया और चुनाव आयोग ने 1980 में इसे राजनीतिक दलों के सामने पेश किया।

    1982 में पहली बार हुआ प्रयोग

    चुनावों में इसके प्रयोग की करें तो इसका ईवीएम का पहला प्रयोग 1982 में केरल में आम चुनावों में किया गया था। 1998 में पहली बार इसका प्रयोग मध्य प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में सीमित संख्या में किया गया था। 2001 के बाद सभी विभानसभा चुनावों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके साथ ही 2004 में हुए लोकसभा चुनावों में 543 संसदीय क्षेत्रों में मतदान के लिए इसका इस्तेमाल किया गया था। ईवीएम के आने के बाद से मतदान करने और वोटों की गिनती की प्रक्रिया आसान हुई है। हालिया दिनों में चुनावों के प्रति युवाओं और शहरी लोगों के घटते रुझान की वजह से लंबे समय से रिमोट इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन की आवश्कता महसूस की जा रही थी।

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