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Uniform Civil Code: UCC से हिंदुओं के लिए क्या बदलेगा? Article 44 | uniform civil code kya hai

Uniform Civil Code: बहुत अफसोस की बात है की ,,सविधान का आर्टिकल 44 (Article 44) मृत दस्तावेज बनकर रह गया है ,,ये बात सुप्रीम कोर्ट ने 1985 में शाहबानो केस के फैसले में कही थी कोर्ट का इशारा सविधान के उस अनुछेद की तरफ था (uniform civil code kya hai) जिससे ,,सरकार देश में ucc लाने की कोसिस कर रही है राजनीतिक गलियारों में जिसकी चर्चा हो रही है

क्या है Uniform Civil Code ?

यूनिफॉर्म सिविल कोड तीन शब्दों से मिलकर बना है यूनिफॉर्म, सिविल और कोड. ,,कोड का मतलब होता है ढेर सारे कानूनों का एक समूह,,. जैसे अपराध से जुड़े सारे कानूनों को इंडियन पीनल कोड ,,यानी भारतीय दंड संहिता में,, इकट्ठा किया गया है. जिसे हम IPC कहते हैं.,, यूनिफॉर्म का मतलब एकरूपता,,. एक समान. एक तरह से,,. जैसे- स्कूल में अलग-अलग बच्चे एक ही रंग, डिजाइन की ड्रेस पहनकर आते हैं. ,,उनमें एकरूपता होती है. सबसे जरूरी चीज है ,,सिविल.


दोस्तों अगर आपने कभी भी ,,अदालती प्रक्रिया या कानूनी मसलों पर गौर किया होगा तो ,,पाया होगा कि इनमें दो शब्दों का खूब जिक्र आता है,,. सिविल और क्रिमिनल. क्रिमिनल, अपराधिक मामले होते हैं,,. जैसे- हत्या, बलात्कार, चोट पहुंचाना आदि. माना जाता है कि ये अपराध… किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं बल्कि समाज के खिलाफ है. ,,जबकि सिविल मामले ऐसे होते हैं ,,जो दो पार्टियों के बीच के अधिकारों को लेकर होते हैं.,, जैसे- पारिवारिक मामले, मालिकाना हक के मामले, प्रॉपर्टी बंटवारा, कॉन्ट्रैक्ट, लापरवाही आदि के मामले. ये सब सिविल मामले होते हैं.दोस्तों तो इस तरह से ,,यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब हुआ,, पूरे देश में रहने वाले सभी लोगों के लिए,, एक समान कानून. फिर वो चाहे किसी भी धर्म, जाति, समुदाय के हों. कोई भी भाषा बोलते हों. किसी भी क्षेत्र में रहते हों. सबके लिए एक तरह का कानून.

यूनिफॉर्म सिविल कोड से हिंदुओं के लिए क्या बदलेगा?

यूनिफॉर्म सिविल कोड से सबसे ज्यादा प्रभावित मुस्लिम कम्युनिटी होगी, लेकिन इसमें कुछ ,,बातें ऐसी भी हैं, जिसकी वजह से तमाम ,,हिंदू भी यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध कर रहे हैं…हिंदूवादी संगठन लंबे समय से एक देश में रहने वाले ,,सभी लोगों के लिए समान कानून की मांग कर रहे हैं। 14 जून को 22वें लॉ कमीशन ने एक बार फिर से UCC पर विचार-विमर्श की प्रक्रिया को शुरू किया है। इसके बाद पीएम मोदी ने भी,, अपने भाषण में इसका जिक्र किया।,,दोस्तों ऐसा नहीं है की ucc लागू होने से मुस्लिमों के लिए ही कुछ बदलेगा हिंदुओं पर भी पड़ेगा इसका असर ,,आइए जानते है ucc से क्या बदलेगा हिन्दुओ के लिए

क्या हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली एक्ट खत्म हो जाएगा?

दोस्तों देश में जब शहरीकरण नहीं हुआ था ,,तब एक ही परिवार की कई पीढ़ियां एक ही छत, खाना और पूजा स्थल को साझा करती थीं। यह संयुक्त परिवार को रिप्रजेंट करता था और यहां रह रहे सदस्य संयुक्त रूप से संपत्ति भी साझा करते थे।,,ऐसे परिवारों के पास कोई न कोई बिजनेस होता है ,,जिसे उस परिवार के कई सदस्य मिलकर ,,एक यूनिट के रूप में चला रहे होते हैं।,, इसे ही हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली यानी HUF कहते हैं।,,इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत,, HUF को टैक्स में छूट मिलती है। हिंदू लॉ के तहत हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन HUF के दायरे में आते हैं।,, कुछ लोग आशंका जता रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से HUF खत्म हो जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के वकील और संविधान के जानकार ,,,विराग गुप्ता बताते हैं कि,, यूनिफॉर्म सिविल कोड के मोटे तौर पर दो पहलू हैं। पहला परिवार से जुड़ा कानून और दूसरा संपत्ति से जुड़ा कानून। हिंदुओं में संपत्ति से जुड़े हुए कानूनों में मुख्य रूप से HUF से जुड़ा कानून है। इसे एक अलग कानूनी इकाई मानते हुए ,,इनकम टैक्स की छूट भी दी जाती है।,,2005 में कानून में बदलाव करके,, HUF में महिलाओं के समान अधिकारों की बात कही गई है। उसके अनुसार ही अभी,, डीएमके सांसद विल्सन ने ,,केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को भी इसका लाभ देने की मांग की है,,, लेकिन HUF का सिस्टम मुस्लिम और ईसाई धर्मों में नहीं है। हिंदुओं में जो संयुक्त परिवार है यानी कर्ता का सिस्टम है वो हिंदुओं का ही विशिष्ट सिस्टम है।

दूसरे धर्मों में शादी करने वाले कानून स्पेशल मैरिज एक्ट का क्या होगा?

स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 देश में ,,सिविल मैरिज या रजिस्टर्ड मैरिज के लिए बना कानून है। ये एक्ट 1954 में लागू हुआ था। इस एक्ट के तहत किसी भी व्यक्ति को कुछ शर्तों के साथ किसी अन्य धर्म या जाति के व्यक्ति से शादी की इजाजत है। ये एक्ट दो अलग-अलग धर्मों और जातियों के लोगों को अपनी शादी को रजिस्टर्ड कराने और मान्यता देने के लिए बनाया गया है।,,इसमें की गई शादी एक सिविल कॉन्ट्रैक्ट होती है ,,इसलिए किसी धार्मिक आयोजन, संस्कार या समारोह करने या ,,औपचारिकता की जरूरत नहीं होती है।

दोस्तों कई संगठनों ने सवाल उठाए हैं कि,, क्या UCC आने के बाद स्पेशल मैरिज एक्ट को रिप्लेस कर दिया जाएगा क्योंकि स्पेशल मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट के तहत ,,हिंदू महिला के लिए भी ,,विरासत के नियम अलग-अलग हैं।,,विराग बताते हैं कि,, लाखों सुझावों का अध्ययन करने के बाद विधि आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौपेंगा। उसके बाद संसद से कानून बनने पर ही इन सभी ,,सूक्ष्म बातों पर तस्वीर साफ होगी। हालांकि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत हो रही शादियों की ,,कानूनी स्थिति में ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।

ऐसी शादियों में न्यूनतम आयु और शादी के रजिस्ट्रेशन के साथ कानूनी प्रक्रिया का पालन होता है। समान नागरिक संहिता का विरोध उन वर्गों में ज्यादा हो रहा है जहां कानूनी प्रक्रिया की बजाय ,,पर्सनल लॉ और धार्मिक आधार पर शादी इत्यादि के मामले निर्धारित हो रहे हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है ,कि महिलाओं और बच्चों के अधिकारों को संविधान के समानता के अधिकार के तहत पुष्ट करना।

क्या आदिवासी समुदाय में एक साथ एक से ज्यादा पत्नी रखने वाली प्रथा खत्म होगी?

अनुसूचित जनजातियां यानी ST उन समूहों की सरकारी लिस्ट, जो आमतौर पर मुख्यधारा के समाज से अलग- थलग रहते हैं। इन लोगों का अपना एक अलग समाज होता है और इनके रीति-रिवाज अलग होते हैं। ये लोग अपने अलग कायदे-कानून बनाकर उसे मानते हैं। ऐसे लोग आमतौर पर जंगलों और पहाड़ों में रहते हैं।इनकी आदिमता, भौगोलिक अलगाव, सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ापन इन्हें अन्य जातीय समूहों से अलग करते हैं। आम बोलचाल में इन्हें आदिवासी कहते हैं।,,देश में 705 आदिवासी समुदाय हैं जो देश में ST के रूप में लिस्टेड हैं। 2011 जनगणना के अनुसार, इनकी आबादी 10.43 करोड़ के करीब है। यह देश की कुल आबादी का 8% से ज्यादा है।

दरअसल, कई आदिवासी समुदायों में,, एक पुरुष एक साथ एक से अधिक महिलाओं से शादी या फिर,, एक महिला की एक से अधिक,, पुरुषों से शादी हो सकती है। ऐसे में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से यह प्रथा खत्म हो सकती है। इसीलिए राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद 2016 में ही ,,अपने रीति-रिवाजों और धार्मिक प्रथाओं की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था।,,पूर्वोत्तर के राज्यों में जनजाति आबादी काफी ज्यादा है। इन्हीं वजहों से पूर्वोत्तर के राज्यों में UCC का बड़े स्तर पर विरोध हो सकता है।सभी आदिवासी समुदायों में एक से ज्यादा पत्नी रखने का रिवाज नहीं है। वहां पर शादियों का रजिस्ट्रेशन भी नहीं होता। सरकार ने जन्म-मृत्यु का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने के साथ,, शादियों के रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता की दिशा में अनेक कदम उठाए हैं।

एक से ज्यादा शादी करने वाले लोगों को,, सरकारी नौकरियों में सामान्यत प्रतिबंधित किया जाता है। हालांकि लिव-इन शादियों के दौर में,,, शहर हो या फिर आदिवासी समाज, वहां पर एक से ज्यादा पत्नी रखने पर,, कानून बनने के बावजूद ,,व्यावहारिक प्रतिबंध लगाना मुश्किल होगा।,,यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद संविधान की ,,अनुसूची 6 में आदिवासियों के लिए किए गए विशिष्ट प्रावधान खत्म नहीं होंगे।,,

क्या दक्षिण भारत के हिंदू परिवारों में रिश्तेदारों के बीच होने वाली शादियां नहीं हो पाएंगी?

दोस्तों इसे ऐसे भी समझ सकते हैं,, जैसे बिहार में सिर्फ 3.2% लोग ही अपने कजिन्स के साथ शादी करते हैं। ,,वहीं तमिलनाडु में करीब 26% लोग ऐसा करते हैं। 2015-16 के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक तमिलनाडु में 10.5% महिलाएं अपनी पिता की साइड के फर्स्ट कजिन्स से, 13.2% अपनी मां की साइड के फर्स्ट कजिन्स से और 3.5% महिलाएं अपने अंकल से शादी करती हैं।,,दोस्तों यहां उदाहरण तो हमने तमिलनाडु का दिया है, लेकिन दक्षिण के दूसरे राज्यों में भी ऐसा देखने को मिलता है,,। माना जा रहा है यूनिफॉर्म सिविल कोड आने से जैसे मुस्लिम अपने कजिन्स से शादी नहीं कर पाएंगे,,, वैसे ही दक्षिण भारत के ये ,,हिंदू परिवार भी ऐसी शादी नहीं कर पाएंगे।,,,दोस्तों यूनिफॉर्म सिविल कोड में शादी के बारे में 5 महत्वपूर्ण बातों पर कानून बन सकता है। शादी की न्यूनतम उम्र, शादी के बाद महिलाओं के अधिकार, तलाक की कानूनी प्रक्रिया, महिलाओं के भरण-पोषण का अधिकार, बच्चों के गोद लेने का अधिकार इत्यादि।

हिंदू धर्म में होने वाली शादियों के लिए संसद से 1956 में कानून बन चुका है। कानून के अनुसार ,,दो बालिग लोग शादी कर सकते हैं, लेकिन अब सेम सेक्स मैरिज की मांग पर ,,सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। इसलिए दक्षिण भारत के हिंदू परिवारों में रिश्तेदारों के बीच होने वाली,, शादियों में प्रस्तावित समान नागरिक संहिता कानून से ,,ज्यादा फर्क पड़ने की उम्मीद नहीं है।,,समानता के अधिकारों को सुनिश्चित करने के साथ ,,सांस्कृतिक और धार्मिक विशिष्टता बरकरार रखने का संतुलन ,,यूनिफॉर्म सिविल कोड के ,,कानून में रखना होगा।,,दोस्तों आप क्या चाहते है ,,,यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होना चाहिए या नहीं अपनी राय कमेन्ट बॉक्स में जरूर दे

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