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क्या बृजभूषण सिंह के ऊपर से हट गया POCSO?

दोस्तों यौन शोषण के आरोप में फंसे बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है,, दिल्ली पुलिस ने सात महिला पहलवानों की शिकायत पर बृजभूषण के खिलाफ केस दर्ज किया है,,BJP सांसद बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ दो अलग-अलग FIR दर्ज हुई हैं. नाबालिग पहलवान की शिकायत पर पहली एफआईआर में बृजभूषण के खिलाफ पॉक्सो एक्ट लगाया गया है,, भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और पहलवानों के यौन उत्पीडन के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह की मुश्किलें फिलहाल कम नहीं हुई हैं. लेकिन, पॉक्सो के मामले में बचने की चर्चाएं तेज हो गई हैं. दिल्ली में पहलवान महीनेभर से मोर्चा खोले हैं. प्रदर्शन करने वालीं महिला पहलवानों के बाद,,अब नाबालिग लड़की के मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज हुए हैं और संबंधित विशेष जज के पास भेज दिए गए हैं,,

‘पटियाला हाउस कोर्ट में शिकायत वापस ली?’

दोस्तों ऐसी फेक खबरे चल रही है की,,बृजभूषण शरण सिंह के मामले में नाबालिग महिला पहलवान ने अपना केस वापस ले लिया है। उसने अपना बयान बदल लिया है और अदालत में मजिस्ट्रेट के सामने नए बयान में उसने कहा है कि,, उसने दबाव में बृजभूषण शरण सिंह पर दुष्कर्म का प्रयास करने के आरोप लगा दिए थे। दावा किया जा रहा है कि इसके बाद बृजभूषण शरण सिंह पर दर्ज पॉक्सो का मामला खारिज हो जाएगा। वही दोस्तों साक्षी मलिक ने इस खबर को अफवाह बताते हुए इस न्यूज को गलत बताया है

क्या है एक्सपर्ट की राय

दोस्तों कानून के जानकारों का मानना है कि,,पॉक्सो के मामले में पीड़ित को भी केस वापस लेने का अधिकार नहीं है। यानी अगर नाबालिग महिला खिलाड़ी अपना बयान बदलती भी है, तो भी बृजभूषण शरण सिंह को राहत नहीं मिलने वाली है। दोस्तों सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे ने बताया कि पॉक्सो कानून में एक बार मामला दर्ज हो जाने के बाद पीड़ित को भी केस वापस लेने का अधिकार नहीं है। लेकिन पीड़ित चाहे तो अदालत के सामने अपना ब्यान बदल सकती है। लेकिन यह बदला बयान भी,,पीड़ित या पुलिस को FIR रद्द करने का अधिकार नहीं देता। दोस्तों इस बदले बयान के आधार पर पुलिस अदालत में मामले को बंद करने की रिपोर्ट दाखिल कर सकती है, लेकिन यह अंतिम रूप से अदालत के ऊपर निर्भर करता है कि वह इस रिपोर्ट को स्वीकार करे, या पुलिस को मामले की जांच और  ट्रायल चलाने का आदेश दे।  

हालांकि, दोस्तों पीड़ित के बदले हुए बयान के आधार पर आरोपी व्यक्ति हाई कोर्ट में यह अपील कर सकता है कि इस मामले को बंद कर दिया जाए। लेकिन हाई कोर्ट में भी यह पूरी तरह कोर्ट के पर निर्भर करता है कि वह अपील स्वीकार करेंगी या नहीं,,दोस्तों इसी तरह का एक मामला साल 2022 में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के सामने आया था। दो नाबालिग लड़कियों के पिता ने आरोप लगाया था कि दो युवकों ने उनकी बेटियों के साथ दुष्कर्म किया था। मामले के अदालत में चलने के दौरान एक आरोपी ने पीड़ित लड़की के साथ शादी कर ली,, इसी आधार पर उसने अदालत से यह गुहार लगाई थी कि पीड़िता से शादी कर ली है,,तो यह मामला रद्द कर दिया जाएं

लेकिन कोर्ट ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए कठोर टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि अगर पॉक्सो के मामलों में भी इस तरह से समझौते होने लगे तो पॉक्सो का क्या अर्थ रह जाएगा। पॉक्सो कानून,,नाबालिग बच्चों को किसी भी तरह के दुष्कर्म से बचाने की कोशिश करता है, और बच्चों का यह अधिकार हर हाल में सुरक्षित रहना चाहिए,,दोस्तों सच्चाई तो यह है कि,,दुष्कर्म के किसी भी मामले में आरोपी और पीड़ित के बीच समझौता नहीं हो सकता। अदालतों ने कई बार इस तरह के निर्णय दिए हैं, जिससे यह साबित होता है कि इस तरह के अपराध में आरोपी और पीड़ित के बीच समझौता स्वीकार नहीं किया जा सकता। लेकिन हाँ,, कुछ मामलों में अदालतें कुछ राहत दे सकती है

क्या है POCSO कानून ?

दोस्तों अब हम आपको pocso कानून के बारे में थोड़ा बता देते है,,नाबालिग बच्चों को दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध से बचाने के लिए 2012 में एक विशेष कानून बनाया गया था। इसे पॉक्सो यानि (Protection of Child From Sexual Offences Act, 2012) एक्ट कहा गया। इसमें नाबालिग शब्द का अर्थ 18 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे यानि (लड़का या लड़की) से है। पहले इसमें अधिकतम सजा आजीवन कारावास थी, लेकिन इस कानून को और अधिक कड़ा बनाने के लिए 2019 में इसमें मौत की सजा देने का प्रावधान भी जोड़ दिया गया।

लेकिन इसमें आजीवन कारावास का अर्थ आरोपी के उसकी अंतिम सांस तक जेल में रहने से है, यानी पॉक्सो केस में आजीवन कारावास की सजा पाने वाला व्यक्ति कभी जेल से बाहर नहीं आ सकता। हालांकि, विशेष मानवीय संवेदना के आधार पर अदालतें या सक्षम एजेंसी समय-समय पर आरोपी को कुछ समय के लिए जमानत/पैरोल/फरलो देने पर विचार कर सकती हैं। दोस्तों हम आपको यह भी बता दे की,,पॉक्सो केस में सहमति से बना शारीरिक संबंध भी अपराध की श्रेणी में आता है क्योंकि कानून यह मानता है कि बच्चे की मानसिक अवस्था इतनी परिपक्व नहीं होती कि वह सेक्स के मामले में सभी पहलुओं पर विचार करते हुए निर्णय ले सके।

दोस्तों BJP सांसद बृज भूषण शरण सिंह को POCSO से बचाने के लिए केस में अब अलग अलग एंगल सामने आ रहे है,,कभी इस केस में चाचा की एंट्री हो रही है,,तो कभी यह खबर चल रही है की नाबालिग पीड़ित पहलवान ने अपना बयान वापस ले लिया है,,लेकिन यह सब अफवाह है,,अभी तक ऐसी कोई सुचना सामने नहीं आई है,,दोस्तों आप इस मामले को लेकर के कहना चाहते है,,

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