Delhi High Court On Arvind Kejriwal: दिल्ली की आम आदमी पार्टी ओर सीएम अरविन्द केजरीवाल देशदुनिया भर में दावे करते फिरते है अपनी शिक्षा प्रणाली को लेकर कितना ढोल पीटते रहे है की हमने शिक्षा प्रणाली व्यवस्था बेहतर की लेकिन अब तो ये काम हो रहा है आग लगे बस्ती में केजरीवाल जी अपनी मस्ती में जी हाँ सत्ता की चाह की वजह से पूरा प्रसाशन ठप पड़ा है केजरीवाल को जरा भी चिंता नहीं है कि छात्र स्कूल नहीं जा रहे या उनके पास (delhi high court on kejriwal mcd school book) किताबें नहीं केजरीवाल की दिलचस्पी (High Court) सिर्फ सत्ता में है
इस्तीफा न देकर अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय हित के ऊपर निजी हितों को प्राथमिकता दी है अपने निजी हित के लिए गरीब बच्चो को बिना किताब पढ़ने को मजबूर कर रहे है केजरीवाल जी हाँ ,,, सत्ता का अहंकार चरम पर है. सत्ता के आपसी खिचतान में देश के भविष्य यानि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है (Delhi Sarkar) दिल्ली सरकार
Delhi Sarkar पर High Court ने लगाई फटकार
दोस्तों आम आदमी पार्टी समेत सीएम केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल कहती है की दिल्ली के सीएम को सत्ता का मोह नहीं है विडिओ लगानी है सुना आपने देश की सेवा करना चाहते है अगर सच मे ऐसा है तो इस्तीफा क्यों नहीं दे देते केजरीवाल जी क्यों दिल्ली की जनता के साथ खिलवाड़ कर रहे है आखिर क्यों बच्चों तक का भविष्य खतरे मे डाल रहे है अब तो हाई कोर्ट ने भी बोल दिया है केजरीवाल को कुर्सी का लालच है
दरअसल अरविंद केजरीवाल द्वारा अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार करने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई। हाई कोर्ट ने कहा कि अरविंद केजरीवाल राष्ट्रहित से ऊपर अपना व्यक्तिगत हित रखते हैं। उनके जेल में होने के कारण दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में 2 लाख विद्यार्थियों को किताब एवं यूनिफॉर्म मिलने में देरी हो रही है।
दरअसल ‘सोशल ज्यूरिस्ट’ नाम के एक NGO ने एक जनहित याचिका दाखिल करके कहा कि नगर निगम के स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को अब तक किताबें नहीं मिली हैं। और वे टिन शेड में पढ़ाई करने को मजबूर हैं।इस पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस प्रीतम सिंह अरोड़ा ने कहा कि दिल्ली सरकार को सिर्फ सत्ता की चाह है।बेंच ने कहा “किताब और यूनिफॉर्म बँटवाना कोर्ट का काम नहीं है। हम ये इसलिए कर रहे हैं क्योंकि कोई अपना काम नहीं कर रहा है… दिल्ली सरकार को सिर्फ सत्ता में दिलचस्पी है।
क्या अब इस्तीफा देंगे केजरीवाल ?
आखिर आप सुप्रीमो कितनी शक्ति चाहते हैं?प्रॉब्लेम ये है की केजरीवाल जी शक्ति को हथियाने का प्रयास कर रहे हैं जिसके कारण उन्हे शक्ति नहीं मिल रही है।”इस पर दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील शादान फरासत ने कहा कि उन्हें सौरभ भारद्वाज से निर्देश मिले हैं कि एमसीडी की स्थायी समिति की गैरमौजूदगी में किसी उपायुक्त प्राधिकारी को शक्तियां सौंपने के लिए मुख्यमंत्री की सहमति की जरूरत होगी जो कि अभी हिरासत में हैं। इसलिए देरी हो रही है। ये कोई बहाना नहीं हो सकता। जस्टिस मनमोहन ने सौरभ भारद्वाज को लेकर कहा कि उन्होंने छात्रों की दुर्दशा पर आंखें मूंद लीं हैं और वे घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं।
खुद हाई कोर्ट अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की माँग वाली कई याचिकाओं को खारिज कर चुका है। उन्होंने कहा “आपने कहा है कि मुख्यमंत्री के हिरासत में होने के बावजूद सरकार जारी रहेगी। आप हमें उस रास्ते पर जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं जिस पर हम नहीं जाना चाहते थे। यदि आप चाहते हैं कि हम इस पर टिप्पणी करें तो हम पूरी सख्ती से करेंगे।”कोर्ट ने कहा कि वह सौरभ भारद्वाज का नाम भी ऑर्डर में शामिल करेंगे।यहाँ पर कोर्ट का साफ साफ मतलब है अगर दिल्ली सरकार जेल से चलने मे नाकाम रही ऐसा ही काम चलता रहा तो केजरीवाल को अपना पद छोड़ना पड़ेगा इस्तीफा देना ही पड़ेगा
इसका मतलब ये नहीं है कि इस मामले को ऐसे ही छोड़ दिया जाए। अगर स्टैंडिंग कमिटी किसी भी वजह से नहीं बन पा रही है तो दिल्ली सरकार किसी उपयुक्त अथॉरिटी को वित्तीय अधिकार दे। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया कि वो इस मामले में दो दिन के अंदर जरूरी कार्रवाई करे
अरविंद केजरीवाल को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोर्ट में अपनी बात रखी । हलफनामे में ED ने कहा “घोटाले की अवधि में और जब 2021-22 की दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति में घोटाला और अनियमितताएँ सार्वजनिक हो गईं तब 36 व्यक्तियों (आरोपित और इसमें शामिल अन्य व्यक्तियों) द्वारा कुल 170 से अधिक मोबाइल फोन बदले/नष्ट किए गए।”हलफनामे में आगे कहा गया है “घोटाले और धन के लेन-देन के महत्वपूर्ण डिजिटल सबूतों को आरोपियों और इसमें शामिल अन्य व्यक्तियों द्वारा सक्रिय रूप से नष्ट कर दिया गया है। सबूतों के इतने सक्रिय और आपराधिक विनाश के बावजूद एजेंसी महत्वपूर्ण सबूतों को फिर से हासिल करने में सक्षम रही है जो सीधे तौर पर प्रक्रिया में याचिकाकर्ता का खुलासा करती है।”
दोस्तों केजरीवाल की जेल से सरकार चलाने की जिद से संवैधानिक संकट गहराता जा रहा दिल्ली में पिछले 35 दिनों से कैबिनेट की बैठक नहीं हुई राजधानी में बिजली और पानी का समर प्लान नहीं बना पिछले साल डूबने के बावजूद मॉनसून के दौरान राजधानी को बचाने के लिए कोई मीटिंग नहीं हो रही पूरा प्रशासन ठप पड़ा है पर सत्ता का लालच इतना है की सब नजरअंदाज किया जा रहा है खैर आपकी इस पर क्या राय है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ