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Donate For Desh: Congress क्यों मांग रही जनता से चंदा ?

Donate For Desh: दोस्तों देश की सबसे पुरानी पार्टी के पास क्या वाकई में पैसों की इतनी कमी हो गई है कि महज 9 साल तक केंद्र की सत्ता से दूर रहने के बाद उन्हें चंदा मांगने की जरूरत हो गई है? क्या समय आ गया है गांधी जी के नाम के पीछे काँग्रेस को अपना दीवालापन छुपाना पड़ रहा है कांग्रेस पार्टी (Congress) पहली बार देश की जनता के पास चंदा मांगने के लिए पहुंची हैं। आखिर देश की सबसे पुरानी पार्टी को ऐसा करने की जरूरत क्यों पड़ गई.

क्या अभी हाल ही में जो काँग्रेस का भ्रष्टाचार पकड़ा गया है कही उससे ध्यान भटकाने के लिए तो ये चाल नहीं चली जा रही ?? या हो सकता है काँग्रेस के 352 करोड़ रुपए पकड़ लिए गए जब्त होगए तो क्या सच में काँग्रेस कंगाल हो गई ??? क्या सच में डोनैशन की जरूरत है या काँग्रेस धीरज साहू की ब्लैक मनी को व्हाइट करने का खेल खेल रहि है या फिर 2024 के लिए जनता का मूँड भापने की एक चाल है

‘DONATE FOR DESH’ अभियान का नाम

कांग्रेस पार्टी ने जनता से चंदा इकट्ठा करने के लिए डोनेट फॉर देश नाम से अभियान शुरू किया है।कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कल इस कैंपने की आधिकारिक शुरूआत की। पोर्टल के जरिए पार्टी 138 रुपये 1,380 रुपये 13,800 रुपये या फिर इससे 10 गुना राशि चंदे के रूप में देने की अपील कर रही है।

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल का कहना है कि ‘डोनेट फॉर देश’ के लॉन्च की घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है। ये किसी भी पार्टी की ओर से किया गया सबसे बड़ा क्राउड फंडिंग होगा। अभियान मुख्य रूप से 28 दिसंबर, स्थापना दिवस तक ऑनलाइन रहेगा जिसके बाद हम जमीनी अभियान शुरू करेंगे जिसमें कार्यकर्ता घर-घर जाकर दान मागेंगे। हर बूथ में कम से कम दस घरों को टारगेट किया जाएगा और हर घर से कम से कम 138 रुपये का दान देना शामिल है।कांग्रेस, वेबसाइट और एक ऐप के माध्यम से यह अभियान चला रही है।

दोस्तों दरअसल, क्राउड फंडिंग एक तरीका है जिसके जरिए पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को आने वाले चुनावों के लिए उत्साहित करना चाहती है. इस कैंपेन के लिए कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर पर घर-घर जाकर चंदा लाने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. इसके अलावा यह जनता से सीधे तौर पर रिश्ता बनाने और संवाद कायम करने की भी कोशिश है.

यह पहला मौका नहीं है जब किसी राजनीतिक दल ने आम जनता से चंदे की अपील की है. इससे पहले साल 2021 में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 97वीं जयंती के मौके पर चंदा अभियान चलाया था. तब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक हजार रुपये पार्टी फंड में दान दिए थे और लोगों से भी दान करने की अपील की थी. पार्टी के कई नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों ने दान के बाद मिली पर्ची को सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किया था. आम आदमी पार्टी ने भी साल 2014 में देश-विदेश से चंदा जुटाने का अभियान चलाया था. उस वक्त पार्टी ने कहा था वह अन्य राज्यों में विस्तार और चुनावों के लिए धन जुटा रही है.

Congress क्यों मांग रही जनता से चंदा ?

भारत में राजनीतिक पार्टियों पर नजर रखने वाली संस्था द एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक, देश की आठ राष्ट्रीय पार्टियों की घोषित संपत्ति एक साल में 1,531 करोड़ रुपये तक बढ़ गई है. एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 2020-21 में बीजेपी की कुल संपति 4990 करोड़ रुपये थी जो साल 2021-22 में 1056 करोड़ बढ़कर 6046 करोड़ रुपये हो गई. वहीं कांग्रेस की संपति उस अनुपात में नहीं बढ़ी. रिपोर्ट में कहा गया कि साल 2020-21 में कांग्रेस की कुल संपत्ति 691 करोड़ रुपये थी जो साल 2021-22 में 114 करोड़ रुपये बढ़कर 805 करोड़ रुपये हुई.

दोस्तों भले ही बीजेपी ने कांग्रेस के इस अभियान पर हमला किया हो लेकिन ये साफ है कि कांग्रेस को मिल रहा चुनावी चंदा काफी घटा है. लगातार दस साल तक सत्ता से बाहर रहने की वजह से उसकी आय के स्रोत घटते जा रहे हैं और अब मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनावी हार ने उसकी पैसा इकट्ठा करने की ताकत को और कमजोर किया है. यही वजह है कि कांग्रेस ने लोगों से पैसा जुटाने के लिए ये अभियान शुरू किया है.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि जो पार्टी सत्ता में होती है उसे आम लोग, उद्योगपति या कंपनियां सबसे ज्यादा पैसा देती है. कांग्रेस फिलहाल कर्नाटक, हिमाचल और तेलंगाना में ही सत्ता में रह गई है. छत्तीसगढ़ और राजस्थान उससे छिन चुके हैं.

जाहिर है कि, अब कांग्रेस इन्हीं राज्यों के मुख्यमंत्रियों और सांसदों-विधायकों की क्षमता पर निर्भर है. हालांकि भले ही छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में चुनाव हार गई है लेकिन चुनाव नतीजों ने दिखाया है कि उसका जनाधार अभी बचा हुआ है. लेकिन पैसे के बिना तो आजकल के चुनाव लड़े नहीं जा सकते. इसलिए वो फंड इकट्ठा कर रही है.”

कांग्रेस चलाएगी क्राउडफंडिंग अभियान

क्राउड फंडिंग के जरिये कांग्रेस को अपनी आर्थिक स्थित सुधारने का मौका मिलेगा और वो ये भी बताएगी कि देखिये बीजेपी को रुपये-पैसे की कोई चिंता नहीं है. एक तरह से ये इशारा होगा कि बीजेपी को दो-तीन बड़े औद्योगिक घरानों से पैसा मिल रहा है.” इसके जरिये एक राजनीतिक संदेश भी देगी और जो रकम इकट्ठा होगी उसे वो अपनी राजनीतिक उपलब्धि भी बताएगी. अगर 100 करोड़ रुपये जमा हुए तो कांग्रेस के लोग कहेंगे कि देखिये इतने लोगों ने हमें समर्थन दिया. चूंकि क्राउड फंडिंग के जरिये लोग छोटी रकम देते हैं. तो जब इस छोटी रकम के जरिये कांग्रेस के पास बड़ी रकम इकट्ठा हो जाएगी तो कांग्रेस इसे अपनी विश्वसनीयता करार देगी.”

बहरहाल, अब भारत में कांग्रेस ने इस मॉडल को अपनाने का फैसला किया है अब आम चुनाव में सिर्फ चार महीने बचे हैँ। इस समय भाजपा से असहमत लोग विकल्प के तौर पर कांग्रेस को नहीं बल्कि इंडिया गठबंधन को देख रहे हैँ। ऐसे में अगर इस गठबंधन की तरफ से चंदा उगाहने की मुहिम छेड़ी जाती तो उसका न सिर्फ प्रतीकात्मक प्रभाव होता बल्कि कुछ सियासी असर भी देखने को मिल सकता था।

लेकिन कांग्रेस ने फिर अकेला चलने का नजरिया अपनाया है। हाल के विधानसभा चुनावों में यह नजरिया नाकाम रहा। इसके बावजूद लगता नहीं कि कांग्रेस नेतृत्व ने कोई सबक सीखा है। वरना, वह खुद को विपक्षी एकता के हिस्से के रूप में पेश करती। तब वह आज की इंडिया की बैठक में क्राउड-फंडिंग का प्रस्ताव लाती और सहमति बनने पर यह मुहिम पूरे गठबंधन की तरफ से शुरू की जाती। इससे भाजपा विरोधी समूहों में उत्साह पैदा होता और उनके बीच उद्देश्य की एकता भी उत्पन्न होती। मगर कांग्रेस की सोच अलग है। वह अपने हितों से आगे नहीं देख पाती। आपकी इस पर क्या राय है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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