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Lok Sabha Election 2024: सत्ता-विपक्ष की बैठकों के क्या है मायने ? Bjp | NDA| Opposition Parties Meetings

Lok Sabha Election 2024: दोस्तों क्या 18 जुलाई की शाम को 2024 के लोकसभा चुनाव की तस्वीर सामने आ जाएगी? देश को पता चल जाएगा कि एनडीए के साथ कौन-कौन है और विपक्ष के खेमे में कौन-कौन है?

NDA की बैठक 18 जुलाई को बुलाई

बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक 17 और 18 जुलाई को होनी है,, और भाजपा ने भी बहुत साल बाद एनडीए की बैठक 18 जुलाई को बुलाई है। ,,कहा जा रहा है कि भाजपा को एनडीए की याद इसलिए आ रही है, ,,क्योंकि विपक्ष एक होने की संभावना पर काम कर रहा है। ,,और दोस्तों उधर विपक्ष की मजबूरी है कि एक नहीं हुए तो एक-एक करके खत्म हो जाएंगे। कुल मिलाकर ,,यह राजनीति का विस्तार है ,,और विस्तार की राजनीति है।

क्या बेंगलुरु में विपक्ष के गठबंधन को कोई नाम मिलेगा

दोस्तों पहले बात करते है ,,विपक्ष की। पटना के बाद यह विपक्ष की दूसरी कोशिश होगी। क्या बेंगलुरु में विपक्ष के ,,गठबंधन को कोई नाम मिलेगा और वह अपना संयोजक चुनने में सफल रहेगा? ,,विपक्ष को नारा और नीति पर भी काम करना होगा। आखिर मोदी ब्रांड के खिलाफ ,,यह नारा नहीं चल सकता कि ‘मोदी हटाओ, देश बचाओ’ या ‘मोदी को हराना है, सत्ता से हटाना है’। गठबंधन को नारा इस विमर्श के आसपास बुनना होगा ,,कि विपक्ष सत्ता में आया तो क्या करेगा। ,,रोजगार, महंगाई जैसे मुद्दों का इलाज किस रूप में करेगा? उसे एक गेम चेंजिंग आइडिया की जरूरत तो होगी। ,,क्या यह संघवाद हो सकता है, ,,यानी अगर गठबंधन सत्ता में आया,,, तो राज्यों को अधिक अधिकार देगा। ,,यह आइडिया कांग्रेस को नापसंद करने वाले ,,ओडिशा के नवीन पटनायक, आंध्र प्रदेश के जगन मोहन रेड्डी और तेलंगाना के केसीआर को भा सकता है। ,,एक अन्य आइडिया या यू कहे विकल्प ,,न्याय योजना का है।

मोदी सरकार आयुष्मान योजना चला रही

दोस्तों राहुल गांधी ने पिछले लोकसभा चुनाव से पहले,, घोषणा की थी कि यूपीए सत्ता में आई, तो देश की सबसे गरीब बीस फीसदी जनता को ,,छह हजार रुपये महीने यानी 72 हजार रुपये सालाना दिए जाएंगे। ,,तब यह आइडिया किसी के गले नहीं उतरा। तीसरा आइडिया राइट टू हेल्थ है। अभी मोदी सरकार आयुष्मान योजना चला रही है, ,,जिसमें करीब दस करोड़ परिवारों को लाभ मिल रहा है।,, क्या विपक्ष 140 करोड़ लोगों को इसके दायरे में लाकर,, अपनी राजनीति का विस्तार करने की ,,संभावना तलाश सकता है? चौथा, सामाजिक सुरक्षा कानून है। सामाजिक सुरक्षा कानून के तहत देश का हर जरूरतमंद,, वोटर आ जाएगा। यह लाभार्थी वोट बैंक में ,,विस्तार करने की राजनीति होगी।अब अगर एनडीए की बात करें, तो नौ साल बाद ऐसी कोई बैठक होगी। पीएम मोदी को किसी नए गेम चेंजर आइडिया की जरूरत नहीं है।,, उन्हें सिर्फ अपने कुनबे का विस्तार करने की जरूरत है। ,,इसके लिए काम शुरू भी हो गया है। जहां-जहां विरोधियों का महागठबंधन है, वहां-वहां सियासी बुलडोजर चल रहा है। महाराष्ट्र में शिवसेना के बाद ,,एनसीपी ईसी की हद में आई है।

मायावती का मायावी साथ मिल रहा

कांग्रेस में रहे सुनील जाखड़ को भाजपा ने,, पंजाब और मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रही ,,एनटीआर की बेटी ,,पुरुं देश्वरी देवी को आंध्र प्रदेश की कमान सौंप कर,, विस्तार की राजनीति का ट्रेलर दिखाया है।,, जीतन राम मांझी भी एनडीए में आ गए हैं। अकाली दल से बात चल रही है। ओम प्रकाश राजभर से लेकर ,,वीआईपी पार्टी के मुकेश साहनी से बात अंतिम दौर में है।,, मायावती का मायावी साथ मिल ही रहा है।,, विपक्ष का रह-रहकर एक ही आरोप होता है कि,, ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स विभाग का ,,दुरुपयोग हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी निदेशक ,,संजय मिश्रा को अतिरिक्त विस्तार नहीं दिया,,, तो गृहमंत्री अमित शाह ने चेता दिया कि,, किसी एक के जाने से खुश होने की जरूरत नहीं है। ईडी को जो शक्तियां मिली हुई हैं, वे अपनी जगह हैं।

पीएम मोदी का घोषणापत्र बढ़-चढ़कर बोल रहा

दोस्तों पीएम मोदी विपक्षी दलों के परिवारवाद ,,और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने की बात करते रहे हैं,,, लेकिन वह जनता को दस साल का हिसाब देने,, के मोर्चे पर भी लगे रहते हैं। भले ही दस वर्षों में मोदी सरकार रोजगार और आर्थिक मोर्चे पर,, ज्यादा सफल नहीं हो पाई हो,,, लेकिन उसका घोषणापत्र बढ़-चढ़कर बोल रहा है। ,,अनुच्छेद 370 का हटना, तीन तलाक खत्म होना,, इस तरकश के दो तीर हैं। सबसे बड़ी बात है कि,, जनवरी में राम मंदिर दर्शन के लिए खुल जाएगा,,। समान नागरिक संहिता पर काम तेजी से चल रहा है।,, वैसे बूथ प्रबंधन और ,,आर्थिक संसाधन आदि को भी महंगे होते,, चुनाव के मद्देनजर राजनीति के विस्तार और ,,विस्तार की राजनीति का हिस्सा मानना चाहिए।,,,आपको क्या लगता है ,,दोस्तों मिशन 2024 में ,,किसकी रणनीति ,,,कामयाब होगी ,,अपनी राय कमेन्ट कर जरूर दीजिएगा

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