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OMG News : गोरखपुर की इन नालियों में बहता है सोना 2022

OMG News : मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती… दोस्तों यह गाना तो आपने सुना होगा, लेकिन गोरखपुर Gorakhpur की नालियों में बहते कीचड़ भी सोना उगलते हैं,

OMG News : मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती… दोस्तों यह गाना तो आपने सुना होगा, लेकिन गोरखपुर Gorakhpur की नालियों में बहते कीचड़ भी सोना उगलते हैं, यह सुनकर कोई भी हैरत में पड़ जाएगा. लेकिन, बात यह पूरी तरह सच है. क्या आपको पता है कि गोरखपुर Gorakhpur ही नहीं बल्कि करीब सभी शहरों में एक ऐसी जगह होती है, जहां कचड़े में सोना बहता है? जी हां, गोरखपुर Gorakhpur में एक ऐसी जगह है, जहां वास्तव में कचड़े में सोना बहता है. इतना ही नहीं बल्कि हर रोज इन कचड़ों से सोना तराशने वालों की भीड़ जमा होती है और प्रतिदिन यहां के कचड़ों से मिलने वाले सोने को बेचकर 100 से अधिक परिवार अपनी आजीविका चला रहे हैं. ऐसा नहीं है कि इस जगह को किसी ने देखा नहीं है, बल्कि आप ने भी इन जगहों से गुजरते वक्त कचड़ों से सोना निकालने वाले बहुत से लोगों को देखा होगा, OMG News लेकिन शायद इसपर कभी ध्यान नहीं दिया हो. आइए जानते हैं सोना उगलने वाली नालियों के बारे में…

वही आपको बतादे की गोरखपुर Gorakhpur की एक ऐसी जगह है, जहां हर रोज कचड़ों में बहता सोना पाया जाता है. वो जगह है शहर के घंटाघर स्थित सोनारपट्टी. यह तो आप जानते ही होंगे कि सिर्फ घंटाघर ही नहीं बल्कि ऐसी बहुत सी जगह है, जहां सोने के जेवरात की कारीगरी करने वाली सैकड़ों दुकाने हैं. तो आपको बता दें कि इन जगहों पर कारीगरी करते वक्त सोने का छोटा-मोटा कण अक्सर छिटककर गायब हो जाता है. साथ ही काम करने के दौरान औजार आदि में भी छोटे कण चिपक जाते हैं. जोकि बाद में धुलाई के दौरान एसिड में मिल जाते हैं और बाद में कारीगर भी इन कणों को वापस खोजने पर कभी ध्यान नहीं देते और एसिड भी फेंक देते है. जोकि बहकर नाली में चला जाता है. क्योंकि यह इतना छोटा होता है कि इसे दोबारा खोजना मुश्किल ही नहीं बल्कि सामान्य लोगों के लिए नामुमकिन होता है. ऐसे में शहर के सैकड़ों डोम जाति के लोग रोज सुबह इन दुकानों के बाहर के कचड़ों को इकट्ठा करते हैं. इसे कहते हैं निहारी.

OMG News : तेजाब और पारे से गलाकर बेच देते सोना

दोस्तों आपको बतादे की यह लोग इसके बाद इन कचड़ों को एक तसले में रखकर नाली के ही गंदे पानी से इसे चालते हैं. इस दौरान घंटों तक कचड़े को चालते रहते हैं और इसमें से खराब कचड़े को ऊपर से निकालते हैं. काफी मेहनत के बाद आखिरी में बचा हुआ शेष इकट्ठा कर इसे तेजाब और पारे से गला दिया जाता है. तब जाकर इन कचड़ों से नाम-मात्र का सोना निकलता है. यह लोग फिर इस सोने को सोनार के पास बेच देते हैं और यह पैसे ही उनकी आमदनी का जरिया है.

नदी में डूबकर भी निकालते हैं सोना

दोस्तों बीते करीब 45 साल से निहारी का काम करने वालों के मुताबिक इस काम में ऐसे बहुत सारे लोग हैं, जोकि शमशान घाट स्थित नदी में डूबकर सोना निकालते हैं. यह लोग बताते हैं कि दाह संस्कार के दौरान ज्यादातर महिलाओं के शव से जेवरात नहीं निकाले जाते हैं. ऐसे में दाह संस्कार के बाद जब नदी में इनका अस्ती विसर्जन होता है तो उसमें जेवरात आदि भी रहते हैं. अस्तियों की राख तो पानी में डालते ही बह जाती है, लेकिन सोने के जेवरात पानी में डूब जाते हैं. बाद में पानी में निहारी करने वाले लोग काफी देर-देर तक नदी में डुबकी लगाकर सोना निकालते हैं.

हजारों में बिकता है निहारी का कचड़ा

दोस्तों ऐसे तो हम सभी के घरों में सफाई के बाद कचड़े फेंक दिए जाते हैं लेकिन सोने की कारीगरी की दुकानों पर कचड़ा फेंका नहीं जाता, बल्कि एक डिब्बे में इकट्ठा किया जाता है. यह जानकर आपको हैरानी जरूर होगी कि जब यह डिब्बे भर जाते हैं तो इन डिब्बों में भरे कचड़ों की कीमत भी हजारों में होती है. इन कचड़ों को भी यह निहारी करने वाले लोग बकायदा इसका रेट तय कर खरीद लेते हैं और फिर इसमें से भी सोना तराशते हैं.

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