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RBI Monetary Policy : EMI होगी अब और महंगी, RBI ने रेपो रेट में की 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी

Repo Rate Hikes By 50 Basis Points : आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने परिणामों की घोषणा करते बताया कि बैठक में नीतिगत ब्याज दरों या रेपो दरों में 50 बेसिस प्वाइंट या 0.50 फीसदी बढ़ोतरी का फैसला लिया। यानी दोस्तों अब रेपो रेट पर 4.40 से बढ़कर 4.90 हो जाएगा। इससे लोन की ईएमआई का बोझ बढ़ जाएगा।

RBI Monetary Policy: आपकी ईएमआई (EMI) महंगी होने वाली है। आरबीआई ( RBI) ने लगातार दूसरे महीने रेपो रेट ( Repo Rate) बढ़ाने का फैसला किया है। आरबीआई ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी करते हुए रेपो रेट को 4.40 फीसदी से बढ़ाकर 4.90 फीसदी कर दिया है। आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक ( RBI Monetary Policy Meeting) के बाद गर्वनर शक्तिकांत दास ( Shaktikanta Das) ने ये ऐलान किया है। यानि अब एक महीने में रेपो रेट में 90 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी हो चुकी है। आरबीआई के इस फैसले के बाद होम लोन ( Home Loan) से लेकर कार लोन ( Car Loan) और एजुकेशन लोन ( Education) का महंगा होना तय है। वहीं जिन लोगों ने पहले से होम लोन लिया हुआ है उनकी ईएमआई और महंगी हो जाएगी। आरबीआई गर्वनर ने रेपो रेट में बढ़ोतरी का फैसला मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की तीन दिनों की बैठक के बाद लिया है। आपको बता दें आरबीआई मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक 6 जून को शुरू हुई थी और आज बैठक का आखिरी दिन है। दरअसल अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई ( Consumer Price Index) दर 7.79 फीसदी रहा है जो 8 साल के उच्चतम स्तर पर है जिसके चलते आरबीआई को रेपो रेट बढ़ाने का फैसला लेना पड़ा है।

मई में कर्ज हुआ था महंगा

4 मई को भी आरबीआई ने रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी करते हुए उसे 4.40 फीसदी कर दिया था। जिसके बाद सभी बैंकों ने कर्ज महंगा कर दिया। लोगों की ईएमआई महंगी हो गई। तब आरबीआई ने सीआरआर (CRR)में भी 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर उसे 4.50 फीसदी कर दिया जिससे बैंकिंग सिस्टम में मौजूद अतिरिक्त नगदी को हटाया जा सके।
आरबीआई गर्वनर ने बढ़ती महंगाई ( Rising Inflation) पर चिंता जताई है। आरबीआई गर्वनर ने कहा कि महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। रूस और यूक्रेन युद्ध ( Russia – Ukraine War) के चलते सप्लाई में दिक्कतों के चलते महंगाई बढ़ी है। कोविड महामारी के बाद अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने के लिए आरबीआई कदम उठाता रहेगा। उन्होंने कहा है कि दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियों में स्लोडाउन देखने को मिला है और भारतीय बाजारों पर भी इसका असर देखा जा रहा है। देश में महंगाई का दबाव बढ़ता जा रहा है। कमोडिटी मार्केट में भी कमी देखने को मिल रही है।

पूर्वअनुमान से ज्यादा बढ़ोतरी
गौरतलब है कि इससे पहले देश में लगातार बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए मई महीने में आरबीआई ने बिना पूर्व सूचना के एमपीसी की बैठक का आयोजन किया था और इसमें रेपो रेट में 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी करने का एलान किया था। इसके बाद ये दरें 2020 से एतिहासिक निचले स्तर यानी चार फीसदी पर रहने के बाद अचानक से 4.40 फीसदी हो गईं। इस इजाफे के बाद आरबीआई गवर्नर ने भी पहले ही संकेत दे दिए थे कि रेपो दरों में जून में होने वाली बैठक में और बढ़ोतरी की जा सकती है।

बढ़ती महंगाई का दिया हवाला
दास ने एमपीसी की बैठक में लिए गए नतीजों का एलान करते हुए कहा कि देश में महंगाई लगातार बढ़ रही है और वैश्विक घटनाक्रमों के चलते सप्लाई चेन बुरी तरह से प्रभावित हुई है। इस बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए आरबीआई का सख्त कदम उठाना पड़ा है। गौरतलब है कि देश में खुदरा महंगाई दर आठ साल के शिखर पर पहुंचते हुए अप्रैल में 7.79 फीसदी पर पहुंच गई है, जबकि थोक महंगाई दर 15 फीसदी के पार पहुंच गई है। इसके साथ ही उन्होंने क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों और देश में टमाटर के दाम आसमान पर पहुंचने का भी जिक्र किया।

एमएसएफ बढ़कर 5.15 फीसदी हुआ
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने महंगाई में इजाफे में अहम भूमिका निभाई है। लेकिन इसके बावजूद देश की अर्थव्यवस्था सुधार के रास्ते पर है। रेपो दरों में बढ़ोतरी के साथ ही आरबीआई ने एमएसएफ को 50 बीपीएस बढ़ाकर 5.15 फीसदी, स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) को बढ़ाकर 4.65 फीसदी कर दिया है।

होम-ऑटो समेत अन्य लोन महंगे
आरबीआई के इस फैसले के बाद लोन लेने वाले ग्राहकों को तगड़ा झटका लगा है, क्योंकि रेपो दरों में वृद्धि के चलते होम, ऑटो और पर्सनल लोन समेत सभी तरह के लोन महंगे हो जाएंगे और ग्राहकों की ईएमआई में इजाफा हो जाएगा। यानी अब ईएमआई के लिए आपकी जेब से ज्यादा पैसे खर्च होंगे। गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि जिस तक के भू-राजनैतिक हालात पैदा हुए हैं, इनके बीच इस तरह का फैसला लेना बेहद जरूरी था।

6.7 फीसदी किया महंगाई दर का अनुमान
भू-राजैनतिक हालातों का हवाला देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि आरबीआई ने भारत के मुद्रास्फीति अनुमान को पहले जताए गए 5.7 प्रतिशत से संशोधित करते हुए अब 6.7 प्रतिशत कर दिया है, क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध के लंबा खिंचने से वैश्विक स्तर पर कमोडिटी की कीमतों पर दबाव बढ़ा है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 23 के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि का अनुमान 7.2% पर बरकरार रखा है, जिसमें जोखिम समान रूप से संतुलित है।

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