INDIA गठबंधन में दरार: अखिलेश यादव की रणनीति से कांग्रेस क्यों परेशान ?
दोस्तों चार महीने पहले बने विपक्षी दलों के गठबंधन में अब गजब का सन्नाटा छाया हुआ है। किसी को पता नहीं है कि चार महीने पहले बने इस गठबंधन में क्या हो रहा है। इसके गठन के सिलसिले में जून में हुई पटना की बैठक के बाद से अचानक जो तेजी आई थी और हर महीने बैठकों का जो दौर शुरू हुआ था वह थम गया है
विपक्षी गठबंधन की ओर से कोई बड़ा तो क्या छोटा साझा कार्यक्रम भी नहीं हुआ है। हां, इस गठबंधन के नेताओं की सार्वजनिक रूप से परस्पर विरोधी बयानबाजी और गठबंधन से अलग होने का सिलसिला जरूर जारी है। दोस्तों भोजपुरी में एक मशहूर कहावत है ‘ना खेलब ना खेले देब…खेलवे बिगाड़ब’, जिसका मतलब है- न खुद खेलेंगे न किसी को खेलने देंगे बस खेल खराब करेंगे.जी हाँ ,मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में इस कहावत की आजकल खूब चर्चा है सपा और कांग्रेस का गठबंधन टूटने के बाद से ही अखिलेश यादव इस कहावत को पूरा करने मे जुटे है
गठबंधन टूटने के बाद सपा उन सभी सीटों पर प्रत्याशी उतार रही है, जहां 2018 में कांग्रेस और बीजेपी के बीच काफी टक्कर का मुकाबला हुआ था. सपा ने अब तक 29 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं. समाजवादी पार्टी मध्य प्रदेश की 243 में से 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम कर रही है. 2018 में सपा को बिजावर सीट पर जीत मिली थी जबकि 5 सीटों पर पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी. इंडिया गठबंधन बनने के बाद सपा को कांग्रेस से समझौते की उम्मीद थी.जो पूरी नहीं हुई
एबीपी- सी वोटर के सर्वे में दावा
दोस्तों सपा जिस तरह से पेंच फंसे सीटों पर उम्मीदवार उतार रही है उससे कांग्रेस को कम से कम 10 सीटों का नुकसान हो सकता है. सपा की इस रणनीति से कांग्रेस की टेंशन बढ़ने की एक और वजह है. हाल ही में एबीपी- सी वोटर के सर्वे में दावा किया गया है कि मध्य प्रदेश का मुकाबला काफी करीबी रहने वाला है. सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस को 113-125 बीजेपी को 104-116 और अन्य को 0-5 सीटें मिल सकती हैं. सर्वे में कांग्रेस और बीजेपी को 45-45 वोट प्रतिशत मिलने का अनुमान जताया गया है. अन्य को 10 प्रतिशत वोट मिलने की बात कही गई है.
सपा और कांग्रेस की क्यों नहीं बात?
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने पत्रकारों से कहा कि रात एक बजे तक सीट बंटवारे को लेकर मीटिंग हुई, लेकिन बात नहीं बनी गठबंधन पर बात क्यों नहीं बन पाई? अखिलेश ने कांग्रेस को धोखेबाज बताते हुए कहा कि अगर उन्हें पता होता इंडिया गठबंधन विधानसभा स्तर पर नहीं है तो वह कांग्रेस से बात ही नहीं करते सपा मध्य प्रदेश के 7-9 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी. इंडिया गठबंधन के कॉर्डिनेशन कमेटी की बैठक में सपा के जावेद अली खान ने सीट को लेकर दावा भी ठोका था. खान का कहना था कि सपा मध्य प्रदेश में पिछले चुनाव में 1 सीटों पर जीती थी, जबकि 5 पर दूसरे नंबर पर रही थी.
सपा के दावे के बाद दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत भी शुरू हुई, लेकिन इसी बीच कांग्रेस ने सपा के दावे वाली सीटों पर प्रत्याशी की घोषणा कर दी. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक सपा गठबंधन पर वीटो कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व ने लगा दिया. स्थानीय नेतृत्व का तर्क था कि मध्य प्रदेश में सपा के पास मजबूत संगठन नहीं है सपा दूसरी पार्टी से आए नेताओं के सहारे सीटों पर दावेदारी कर रही है. अगर सपा को सीटें दी गई तो दूसरे और दल समझौते को लेकर दबाव बनाएंगे.
समाजवादी पार्टी ने मध्य प्रदेश में अब तक 33 उम्मीदवार घोषित किए हैं. पार्टी ने 5 यादव और 3 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. मध्य प्रदेश के निमाड़ और बुंदेलखंड में यादवों का दबदबा है. वहीं बुरहानपुर और भोपाल इलाके में मुस्लिम वोटरों का भी दबदबा है.
यूपी में गठबंधन पर पड़ सकता है फर्क
सपा और कांग्रेस के बीच मध्य प्रदेश में समझौता न होने से अखिलेश यादव ने तल्ख टिप्पणी की है. कि हमारे लोगों से कांग्रेस की बात चल रही थी लेकिन बीच में ही यह फैसला लिया गया. इंडिया की बैठक में हमें यह समझ में आया था कि पूरे देश में बीजेपी के खिलाफ लड़ा जाएगा लेकिन कांग्रेस प्रदेश के हिसाब से फैसला ले रही है.
और कहा उत्तर प्रदेश को लेकर भी अब हम बाद में फैसला लेंगे. जो जैसा व्यवहार करेगा उसके साथ समाजवादी लोग वैसा ही रवैया अपनाएंगे सपा के प्रवक्ता सुनील साजन ने कहा कि जो हैसियत हमारी मध्य प्रदेश में है. वही हैसियत कांग्रेस की उत्तर प्रदेश में है. ये बात कहकर तो सपा ने खुला challange दे दिया की तुम्हें तो हम यूपी में देख लेंगे
क्यों ठिठका हुआ है विपक्षी गठबंधन
खैर , मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी,, तेलंगाना में कम्युनिस्ट पार्टियां ,,और वाईएसआर तेलंगाना पार्टी ,,तथा राजस्थान,, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में,, आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ने की अपनी-अपनी तैयारी में जुटी हुई हैं,, और उन्होंने भी,, अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान भी शुरू कर दिया है। ,,समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तो कह भी दिया है ,,कि अगर मध्य प्रदेश कांग्रेस उनकी पार्टी के साथ तालमेल नहीं करती है ,,तो उसे लोकसभा चुनाव के लिए भी ,,तालमेल की बात भूल जाना चाहिए।,
अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही ,,कांग्रेस,, विपक्षी गठबंधन में शामिल जरूर है,, लेकिन वह गठबंधन राजनीति की आवश्यकता को ,,अभी भी स्वीकार नहीं कर पाई है। ,,उसकी यह मानसिकता ही,, ,,इंडिया गठबंधन के कारवां को आगे बढ़ने में बाधक बनी हुई है।,
अगर यही स्थिति बनी रही ,,तो अभी भले पांच में दो-तीन राज्यों में वह जीत जाए,, लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने का इरादा ,,उसे छोड़ देना चाहिए।, पांच साल पहले 2018 में भी वह मध्य प्रदेश,, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ,,भाजपा को हरा कर ,,अपनी सरकार बनाने में कामयाब हुई थी ,,लेकिन 2019 के लोकसभा में चुनाव में वह ,,इन तीनों राज्यों की 65 लोकसभा सीटों में से,, महज तीन सीटें ही जीत सकी थी।,,आपको क्या लगता है क्या करेगी अब काँग्रेस अपनी राय कमेन्ट कर जरूर दीजिए