Black Paper vs White Paper : देश की संसद में आजकल बजट सत्र चल रहा है। ये मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम सत्र है क्योंकि देश में फिर से लोकसभा चुनाव होने हैं। वैसे तो संसद का बजट सत्र 9 फरवरी को ही समाप्त होना था लेकिन अब बजट सत्र को एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया है। संसद में अब सरकार और विपक्ष के बीच ब्लैक एंड व्हाइट जंग शुरू हो गई है। मोदी सरकार जहां UPA सरकार के 10 साल के कुप्रबंधन पर व्हाइट पेपर लेकर आने वाली है उससे पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार के खिलाफ ‘ब्लैक पेपर’ जारी किया।
दोस्तों काँग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी को साफ साफ शब्दों में झूठा कह दिया सिर्फ झूठा ही नहीं कहा बल्कि अनगिनत सवालों की बोछार भी करदी पूरे बीजेपी में एकदम सन्नाटा छा गया है खरगे ने कहा “NDA का मतलब No Data Available सरकार। यानि मोदी ओर बीजेपी के पास कोई डाटा उपलब्ध नहीं है
ब्लैक पेपर लाने का कांग्रेस का क्या मकसद?
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार के खिलाफ ‘ब्लैक पेपर’ जारी करते हुए कहा कि ये ब्लैक पेपर मोदी सरकार के 10 साल में युवाओं, महिलाओं, किसानों और श्रमिकों पर हुए अन्याय से जुड़ा है। हम आज केंद्र सरकार के खिलाफ ब्लैक पेपर निकाल रहे हैं क्योंकि वे हमेशा सदन में अपनी कामयाबी की बात रखते हैं और अपनी विफलता छुपाते हैं और जब हम उनकी विफलता बताते हैं तब हमें महत्व नहीं दिया जाता है। इस ब्लैक पेपर में हमारा मुख्य मुद्दा बेरोजगारी है जो देश का सबसे बड़ा मुद्दा है और बीजेपी इस बारे में कभी बात नहीं करती।
कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के 10 साल के खिलाफ केंद्र सरकार की ओर से लाए जाने वाले ‘श्वेत पत्र’ का जवाब में ब्लैक पेपर जारी करते हुए खरगे ने कहा कि केरल, कर्नाटक, तेलंगाना जैसे गैर-बीजेपी राज्यों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। इसलिए हमें यह कदम उठाना पड़ा है। देश में लोकतंत्र को खतरा है। बीते 10 साल में 411 विधायकों को भाजपा ने अपने पाले में कर लिया है। उन्होंने कांग्रेस की कई सरकारें गिरा दीं। वे लोकतंत्र को खत्म कर रहे हैं। इससे पहले संसद के वर्तमान बजट सत्र को एक दिन बढ़ाकर 10 फरवरी तक कर दिया गया।
मल्लिकार्जुन खरगे ने संसद भवन परिसर में यह ‘ब्लैक पेपर’ जारी किया. ब्लैक पेपर और व्हाइट पेपर का अंतर सिर्फ नाम तक सीमित नहीं. एकेडमिक्स, सरकारों और संगठन के लिहाज से उनका अलग-अलग इस्तेमाल होता है. ब्लैक पेपर के जरिए किसी टॉपिक, मुद्दे या नीति की आलोचना करते हुए राय जाहिर की जाती है. यह बनी-बनाई धारणाओं को चुनौती देने वाला दस्तावेज होता है. इसमें विवादित विषयों को उठाया जाता है सबूत पेश किए जाते हैं और वैकल्पिक रास्ते पेश किए जाते हैं.
और वही ब्लैक पेपर से उलट व्हाइट पेपर में किसी खास विषय पर विस्तार से जानकारी एनालिसिस और प्रस्ताव शामिल होते हैं. सामान्य तौर पर सरकारें, संगठन या विशेषज्ञ ‘ श्वेत पत्र’ जारी करते हैं. इसका मकसद डिसीजन-मेकिंग में मदद करना, समाधान प्रस्तावित करना या कार्रवाई के लिए सिफारिशें प्रस्तुत करना है. यह आर्थिक संकेतकों, सुधारों और विभिन्न क्षेत्रों पर उसके असर का डीटेल्ड असेसमेंट देता है.
मोदी सरकार ने गिनाए UPA के घोटाले
दोस्तों श्वेत पत्र के जरिए मोदी सरकार ने बताया कि साल 2024 से पहले देश के सामने कैसी आर्थिक और राजकोषीय चुनौतियां थीं. 2014 के बाद मोदी सरकार ने कैसे इन चुनौतियां का सामना किया और इसपर विजय हासिल की. सरकार ने अपने श्वेत पत्र को तीन भागों में बांटा है और ये रिपोर्ट 69 पेज की है. इसमें कांग्रेस के नेतृत्व में 2004 से 2014 की सरकार को ‘UPA सरकार’ और 2014 के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार के लिए ‘हमारी सरकार’ शब्द का इस्तेमाल किया है.
श्वेत पत्र में कहा गया है कि UPA सरकार ने देश की आर्थिक नींव कमजोर की. UPA काल में भारतीय रुपये में भारी गिरावट हुई. 2014 से पहले देश में बैंकिंग सेक्टर संकट में था. विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी थी. तत्कालीन सरकार ने भारी कर्ज लिया था. UPA सरकार ने रेवेन्यू का गलत इस्तेमाल किया. दोस्तों मोदी सरकार व्हाइट पेपर लाए अच्छी बात है लेकिन मोदी सरकार को साथ में फिर मेहुल चोकसी के पेपर भी सदन में लाने चाहिए। आखिर क्यों बीजेपी सरकार में बैंकों को लूटा जाता है? जो लोग बैंक को लूटकर विदेश में भाग जाते हैं उनके साथ बीजेपी का क्या संबंध है?
कांग्रेस ने गुरुवार को जैसे ही ब्लैक पेपर जारी किया प्रधानमंत्री मोदी ने इस पर संसद में फौरन टिप्पणी कर दी। सदन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा ”खड़गे जी यहां हैं। अगर कोई बच्चा कुछ अच्छा करता है अगर कोई बच्चा किसी खास मौके के लिए तैयार होता है और अच्छे कपड़े पहनता है परिवार में कोई बुराई से बचने के लिए ‘काला टीका’ लगा देता है। पिछले 10 वर्षों में, देश समृद्धि के नए शिखर पर चढ़ रहा है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि हम बुरी नजर से सुरक्षित हैं, ‘काला टीका’ लगाने का प्रयास किया गया है। मैं इसके लिए खड़गे जी को धन्यवाद देना चाहता हूं।”
दोस्तों राजनैतिक सफलता के पैमाने पर मोदी जी और मल्लिकार्जुन खड़गे में भले कोई मुक़ाबला नहीं है, लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे में ऐसा क्या है कि वे मोदी और बीजेपी के खिलाफ मोर्चा संभाले रहते हैं अपने भाषणों में वे सीधा हमला करते हैं और ठहर कर अपनी बात रखते हैं। अब तक बीजेपी उन्हें नज़रअंदाज़ करती रही है लेकिन राज्यसभा में जिस तरह से प्रधानमंत्री ने खड़गे पर तंज़ कसे, उन्हें टारगेट किया उससे साफ है कि बीजेपी के लिए खड़गे को नज़रअंदाज़ करना मुश्किल होता जा रहा है।
खड़गे कमज़ोर नेता नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि उन्हें जवाब देना नहीं आता बीजेपी अगर खड़गे को निशाना बनाती है तो यह खड़गे के लिए अच्छा है। राजनीति में कम से कम सवाल जवाब आरोप प्रत्यारोप के स्तर बेहतर हो जाएंगे। हम सब जानते है राजनीति का फैसला केवल मंच पर नहीं होता है मतदान से होता है। खड़गे को मतदान केंद्रों पर भी साबित करना है कि वे मतदाताओं को अपनी पार्टी की तरफ मोड़ सकते हैं।