राज्यबिहार

Bihar Floor Test: विधानसभा सत्र में अबतक नहीं पहुंचे कई विधायक, बिहार में हो गया खेला !

Bihar Floor Test: बिहार की राजनीति के लिए आज का दिन बेहद अहम. विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से पहले बिहार में हलचल तेज है. एक ओर बीजेपी और जेडीयू की ओर पर्याप्त संख्या का दावा किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर से आरजेडी नेता बिहार में ऑपरेशन लोटस पर ऑपरेशन लालटेन के भारी पड़ने का दावा किया जा रहा है.

जानकारी के मुताबिक, खबर बनने तक जेडीयू, आरजेडी और बीजेपी के दो-दो विधायक विधानसभा नहीं पहुंचे हैं. जेडीयू के तीन विधायक संजीव कुमार, दिलीप राय और बीमा भारती नहीं पहुंचे हैं. उसके अलावा बीजेपी के मिश्रीलाल यादव, रश्मि वर्मा नहीं पहुंचे हैं. इसके अलावा आरजेडी के दो विधायक नीलम देवी और चेतन आनंद सत्ता पक्ष की ओर बैठ गए हैं.

दोस्तों बिहार की राजनीति को लेकर जो दावे किए जा रहे है जो उलट पुलट करने की बात कही जा रही है की आज ऐन वक्त पर खेला हो जाएगा बिहार की सियासत में इस वक्त सिर्फ ऑपरेशन लोटस और ऑपरेशन लालटेन चल रहा है बिहार विधानसभा में आज नीतीश सरकार के लिए अग्नि परीक्षा का दिन है क्या आज नीतीश इस परीक्षा को पार कर पाएंगे

बिहार में सियासी भागमभाग

दोस्तों आज से बिहार विधानसभा सत्र की शुरुआत है सत्र के पहले दिन यानि की आज अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा दोस्तों ऐसा पहली बार देखने को मिला है की सभी दलों को ऑपरेशन लोटस के जरिए डराने वाली बीजेपी खुद डरी हुई है कही उसके साथ ऑपरेशन लाल टेन न हो जाए तभी तो पार्टी अपने विधायकों को बोध गया में ज्ञान दे रही थी

जैसे ही फ्लोर टेस्ट को सिर्फ एक दिन बचे था, तो बना-बनाया गेम बदलने लगा और कयास लग रहे हैं कि बिहार में ‘खेला’ होने जा रहा है. ‘खेला’ इसलिए क्योंकि अचानक ही NDA में शामिल HAM के मुखिया पूर्व सीएम जीतन राम मांझी का फोन नहीं लग रहा है. सूत्र बता रहे हैं कि देर रात तक NDA के 8 विधायकों से संपर्क नहीं हो पा रहा है. सूत्रों के मुताबिक जेडीयू के 5 और बीजेपी के 3 विधायक संपर्क में नहीं थे. पहले ये संख्या 6 थी फिर 8 हो गई. सूत्रों के मुताबिक 8 विधायक कम होने के बाद नीतीश कोई भी बड़ा फैसला ले सकते हैं.

जीतनराम मांझी का फोन भी रात 10 बजे के आसपास स्विच ऑफ हो गया. उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है. वहीं, बीजेपी नेता नित्यानंद राय जीतनराम मांझी के आवास पर पहुंचे. एक ओर जहां आरजेडी ने दावा किया है कि बहुमत परीक्षण से पहले खेला होगा,, वहीं कांग्रेस दावा कर रही है नीतीश सरकार गिरेगी राजद भी बौखलाई हुई है क्योंकि देर रात पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के आवास पर दो बार बिहार पुलिस पहुंची.

सूत्रों के अनुसार सामने आया है कि जीतन राम मांझी फ्लोर टेस्ट में नीतीश सरकार को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध नहीं हैं. मांझी खेमे का दावा है कि उन्होंने केवल स्पीकर को हटाने के लिए मतदान के समय सरकार का समर्थन करने का वादा किया है और फ्लोर टेस्ट में सरकार का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध नहीं हैं.

आरजेडी विधायक चेतन आनंद को लेकर पटना पुलिस के पास शिकायत की गई थी की उन्हें किडनैप करके तेजस्वी के आवास पर रखा गया है इसके बाद पुलिस इसकी जांच करने पहुंची थी लेकिन यहां, चेतन आनंद ने पुलिस से कहा कि वो अपनी मर्जी से यहां हैं. इसके बाद पुलिस वापस लौट गई थी. इसके बाद आधी रात बीतते-बीतते एक बार फिर पुलिस तेजस्वी आवास पर पहुंच गई.

पुलिस ने फ्लोर टेस्ट से पहले तेजस्वी के घर को क्यों घेरा

बिहार पुलिस तेजस्वी यादव के आवास पर दो बार पहुंची. पुलिस आधी रात के बाद तेजस्वी यादव के आवास पहुंची और गेट खुलवाने का प्रयास करने लगी. बताया गया था कि अंदर सभी विधायक हैं. इस तरह पुलिस की बार-बार आवाजाही को लेकर RJD ने X पर पोस्ट करते हुए सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोला और कहा कि वह यहां अप्रिय घटना करवाना चाहते हैं. इससे कुछ देर पहले भी तेजस्वी के आवास पर रात में पुलिस पहुंची थी.

बिहार विधानसभा की स्ट्रेंथ 243 है. ऐसे में बहुमत के लिए नीतीश सरकार को 122 विधायकों का समर्थन चाहिए. एनडीए के पास मांझी की पार्टी के चार विधायकों समेत 128 विधायकों का समर्थन है. मांझी की पार्टी के चार विधायक हटा दें तो भी एक निर्दल सुमित सिंह समेत 124 विधायकों का समर्थन सरकार के पास है. लेकिन जेडीयू और बीजेपी विधायकों के आउट ऑफ कॉन्टैक्ट हो जाने से तस्वीर उलझ गई है.

जेडीयू और बीजेपी, दोनों दलों के कुल चार विधायक आउट ऑफ कॉन्टैक्ट हैं. ये चार विधायक अगर विधानसभा की कार्यवाही में शामिल नहीं होते हैं तो सदन की स्ट्रेंथ 239 रह जाएगी. ऐसे में बहुमत के लिए 120 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी. अगर पुलिस हिरासत में लिए गए जेडीयू विधायक ने भी नीतीश सरकार के पक्ष में मतदान किया तो एनडीए का संख्याबल मांझी की पार्टी के बिना भी बहुमत के लिए जरूरी 120 के आंकड़े तक पहुंच जाएगा.

अब दूसरी स्थिति यह है कि अगर संजीव कुमार ने भी विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया आरजेडी के दोनों विधायक भी नदारद रहे और मांझी की पार्टी ने नीतीश सरकार को समर्थन नहीं दिया तो तस्वीर दूसरी हो सकती है. अगर इस तरह की स्थिति बनती है तो विधानसभा की स्ट्रेंथ 236 रह जाएगी. ऐसे में बहुमत के लिए 119 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी और पांच विधायकों की गैरमौजूदगी और मांझी की पार्टी के विधायकों का समर्थन नहीं मिला तब भी एनडीए 119 के जादुई आंकड़े तक पहुंच जाएगा. लेकिन जेडीयू-बीजेपी के एक भी विधायक ने ,,क्रॉस वोटिंग कर दी तो सरकार का गणित गड़बड़ हो जाएगा

बिहार में शह और मात का खेल

दोस्तों आमतौर पर बिहार में विधायकों की खरीद फरोख्त का इतिहास नहीं रहा है और न रिसॉर्ट पोलिटिक्स का इतिहास रहा है। एक बार सन 2000 में जब पहली बार नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने थे तब लालू प्रसाद ने विधायकों की घेराबंदी की थी और नीतीश को बहुमत नहीं साबित करने दिया था। अब एक बार फिर नीतीश कुमार की सरकार दांव पर है। वह पहली बार था और 24 साल के बाद नीतीश ने नौंवी बार शपथ ली है और उनको बहुमत साबित करना है।

उससे पहले तमाम तरह की राजनीति हो रही है जो पहले नहीं होती थी। इस बार भाजपा को अपने विधायक रिसॉर्ट में ले जाकर रखने पड़े। भाजपा अपने विधायकों को प्रशिक्षण के नाम पर बोधगया ले गई थी।, माना जा रहा है कि जाति के नाम पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने कुछ विधायकों से संपर्क किया था और भाजपा के कुछ विधायक उनसे मिले भी थे।

बहरहाल, दूसरी ओर राष्ट्रीय जनता दल को भी अपने विधायकों को घेर कर रखना पड़ा है। 12 फरवरी को होने वाले शक्ति परीक्षण से पहले 10 फरवरी को राजद के विधायकों की बैठक बुलाई गई थी और सभी विधायकों को तेजस्वी के आवास पर ही रोक लिया गया। ठंड के इस मौसम में सबके लिए वही रजाई और बिस्तर की व्यवस्था की गई।

माना जा रहा है कि राजद के कुछ विधायक भाजपा और जदयू के संपर्क में हैं। राजद की एक विधायक नीलम देवी बैठक में नहीं पहुंचीं थीं। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू ने भी विधायक दल की बैठक बुलाई थी जिसमें पांच विधायक गैरहाजिर रहे। उनमें से तीन ने तो जायज कारण बताए लेकिन दो विधायकों की नाराजगी जाहिर हुई है। शह और मात के इस खेल में मुख्य खिलाड़ी जीतन राम मांझी हैं जिनकी पार्टी के चार विधायक हैं। उन्होंने सरकार को समर्थन देने का वादा किया है। उनके बेटे संतोष सुमन राज्य सरकार में मंत्री भी हैं। उनके साथ होने से इस समय सरकार का पलड़ा भारी दिख रहा है। क्या ऑपरेशन लोटस पर हावी होगा ऑपरेशन लाल टेन आपकी क्या राय है कमेन्ट कर जरूर बताएँ

Related Articles

प्रातिक्रिया दे

Back to top button