राज्यराजस्थान

Sukhdev Singh Gogamedi Murder में बड़ा खु़लासा, Ashok Gehlot जाएंगे जेल !

Sukhdev Singh Gogamedi Murder: दोस्तों कुछ महीने पहले ही पंजाब पुलिस की ओर से सुखदेव सिंह पर हमले के इनपुट राजस्थान पुलिस को भेजे गए थे. इसके अलावा सुखदेव सिंह खुद अपनी हत्या की आशंका जता चुके थे वे लगातार पुलिस महकमे और गहलोत सरकार को पत्र लिखकर सुरक्षा देने की मांग कर रहे थे. इसके बावजूद (Ashok Gehlot) गहलोत सरकार ने सुरक्षा नहीं दी विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के तीसरे दिन यानी पांच दिसंबर को अपराधियों ने करणी सेना के प्रमुख सुखदेव सिंह,, गोगीमेड़ा के घर में घुस कर उनकी हत्या कर दी, कांग्रेस पार्टी ने इसके लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया की राज्य में जंगल राज आ गया। मतलब की इनको चुनाव की हार का इतना बड़ा झटका लगा है की यही मालूम नहीं अभी राजस्थान में किसका राज है ?राज्य में कानून-व्यवस्था किस हालत में हैं।

दोस्तों राजस्थान में अभी किसका राज है? क्या अशोक गहलोत अभी राजस्थान के मुख्यमंत्री नहीं हैं? चुनाव हारने के बाद उन्होंने राज्यपाल से मिल कर इस्तीफा सौंप दिया लेकिन तकनीकी रूप से वे अभी मुख्यमंत्री हैं। राज्यपाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए उनको कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर काम करने को कहा है। इसलिए कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी अब भी उसी की है जो सरकार में है। इस मामले में कांग्रेस नेता वैसे ही विवाद कर रहे हैं जैसे अपराध होने के बाद अलग अलग थाना क्षेत्र की पुलिस के बीच होता है। अगर कांग्रेस यह सोचती है कि चुनाव हारते ही निवर्तमान सरकार की सारी जिम्मेदारी खत्म हो जाती है तो उसे इस बात की पहल करनी चाहिए कि चुनाव से पहले या तुरंत बाद जब तक सत्ता हस्तांतरण नहीं हो जाता है तब तक राज्यपाल के हाथ में सरकार की कमान रहे।

Sukhdev Singh Gogamedi Murder में बड़ा खु़लासा

दोस्तों सरकार और प्रशासन की ओर से आए दिन सुरक्षा व्यवस्था के चाक-चौबंद होने के दावे किए जाते है लेकिन हकीकत यही है कि राज्य में अपराधियों को अपने सामने एक तरह से कोई चुनौती नहीं दिखती है और वे मनमाने तरीके से जघन्य वारदात करके फरार भी हो जाते हैं।,

जयपुर की ताजा घटना इसलिए भी ज्यादा गंभीर है कि इसमें राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी और वहीं मौजूद एक अन्य व्यक्ति की हत्या कर दी गई जो शायद मजबूत सुरक्षा घेरे में रहते हों। राज्य के लोगों को हर स्तर पर सुरक्षा मुहैया कराने के लिए कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर सख्ती से लेकर आपराधिक वारदात की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने जैसे तमाम दावे एक तरफ रह गए और दो अपराधियों ने सुखदेव सिंह गोगामेड़ी के घर में जाकर उनकी हत्या कर दी।

जाहिर है, वारदात को अंजाम देने पहुंचे अपराधियों के भीतर किसी का खौफ नहीं था। अब सवाल उठता है अगर बिना किसी बाधा के किसी चर्चित हस्ती की हत्या करने के बाद अपराधी फरार भी हो जाते हैं तो यह वास्तव में किसकी नाकामी है! खबरों के मुताबिक, हत्या की जिम्मेदारी एक कुख्यात अपराधी ने ली जो जेल में बंद एक बड़े गैंगस्टर के साथ मिलकर काम कर रहा था और उसकी तरफ से गोगामेड़ी को लगातार धमकियां मिल रही थीं।

इस वारदात को गैंगस्टर रोहित गोदारा से जुड़े हमलावरों ने अंजाम दिया. शूटरों की पहचान रोहित राठौर और नितिन फौजी के रूप में हुई है. रोहित नागौर के मकराना का रहने वाला है, वहीं नितिन हरियाणा के महेंद्रगढ़ का रहने वाला है. फिलहाल दोनों फरार हैं. दोनों की राजस्थान, हरियाणा, एमपी, दिल्ली समेत कई राज्यों में तलाश चल रही है. दोनों पर 5-5 लाख का इनाम घोषित किया गया है.

पंजाब पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, मोहाली स्टेट स्पेशल ऑपरेशन सेल यूनिट ने 14 मार्च 2023 को राजस्थान पुलिस को बकायदा चिट्ठी लिखकर आगाह किया था कि लॉरेंस बिश्नोई, रोहित गोदारा गैंग के शूटर राजस्थान में सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या कर सकते हैं. अब राजस्थान पुलिस पर आरोप लग रहे हैं कि इनपुट के बावजूद सुखदेव सिंह को सुरक्षा नहीं दी गई

पत्नी शिला शेखावत की भावुक अपील से खत्म किया धरना

शायद किसी ऐसी घटना की आशंका के मद्देनजर ही गोगामेड़ी ने अपने लिए सुरक्षा की मांग की थी लेकिन सरकार ने इस ओर समय पर ध्यान देना जरूरी नहीं समझा। अब जिस तरह से इस घटना को अंजाम दिया गया उसे देखते हुए क्या सरकार अब भी यह दावा करने की हालत में है कि कानून-व्यवस्था को लागू करने के उसके दावे पूरी तरह पुख्ता रहे हैं? अब हत्या की जांच के लिए पुलिस ने विशेष जांच दल गठित किया है मगर सच यह है, राज्य की राजधानी जयपुर में सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या ने समूचे सरकारी तंत्र के सुरक्षा इंतजामों और पुलिस के खुफिया तंत्र की विफलता का ही बयान किया है।

दरअसल, समूचे राज्य में ऐसी छोटी-बड़ी घटनाओं की एक शृंखला है जिसे संभालने में सरकार नाकाम रही। अकेले जयपुर में साल 2022 में अट्ठाईस हजार एक सौ इकहत्तर आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। इससे पिछले वर्ष यह संख्या तेईस हजार तीन सौ उनतालीस थी।, साफ है कि वक्त के साथ राज्य में हालात बिगड़ते गए हैं। इसका मतलब, तो यही हुआ वहां अपराधियों के भीतर पुलिस प्रशासन का कोई खौफ नहीं है।

सुखदेव सिंह की हत्‍या से कानून व्‍यवस्‍था सवालों के घेरे में

हत्या को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि शूटरों का एनकाउंटर होना चाहिए, साथ ही इस पूरे हत्याकांड की जांच NIA करे. राजस्थान प्रशासन की ओर से NIA जांच का आश्वासन मिला है. ,,इतना ही नहीं परिजनों की मांग है कि पंजाब पुलिस के अलर्ट पर लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. प्रशासन की ओर से इस मामले की जांच और लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है. करणी सेना चीफ के मर्डर को लेकर जयपुर के श्याम नगर थाने में FIR दर्ज कराई गई है। जिसमें अशोक गहलोत का भी नाम सामने आ रहा है

अंदाजा इससे लगाया जा सकता है, कि पिछले कई सालों से विपक्ष ने राज्य में एक पूर्णकालिक गृहमंत्री नहीं होने को लेकर अक्सर सवाल उठाए। मगर पहले ही कई अन्य विभागों का बोझ उठाए मुख्यमंत्री को अपराधों की रोकथाम की कितनी चिंता थी? ऐसे में आम जनता के बीच सरकार और उसकी कार्यप्रणाली को लेकर क्या राय बनेगी?

हनुमान सिंह खांगठाने कहा कि बड़े दुख के साथ कहना पड़ता है कि यह संयोग है? या योग है? जब-जब राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आती है। राजपूत समाज के दबंग नेता की हत्या होती है जैसे 2003 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई थी। उस दौरान राजपूत समाज के वीरेंद्र सिंह नगला की असामाजिक तत्वों व बदमाशों ने हत्या कर दी थी। 2013 में बीजेपी की सरकार आई उसी दौरान आनंदपाल सिंह का एनकाउंटर हो गया। पता नहीं इसके पीछे कौन है? षड्यंत्र है? कौन हत्याकांड के पीछे हैं?

यह बेवजह नहीं है कि इस विधानसभा चुनाव में राजस्थान की कानून-व्यवस्था एक बड़ा मुद्दा बनी और इसने बड़े पैमाने पर लोगों की राय और उसके बाद वोट पर असर डाला। अब नई सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती राज्य में कानून व्यवस्था के मोर्चे पर आम जनता के भीतर विश्वास बहाल करने की होगी क्योंकि यह वादा सबसे अहम चुनावी मुद्दों में से एक था। आपको क्या लगता है नई सरकार के आने से राज्य की कानून व्यवस्था में कोई सुधार आएगा अपनी राय कमेन्ट कर जरूर बताएँ

Related Articles

प्रातिक्रिया दे

Back to top button