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Arvind Kejriwal : क्या मोदी सरकार जेल से चलने देगी दिल्ली सरकार ? delhi liquor policy

Arvind Kejriwal : दोस्तों कोरोनो काल में वर्क फ्रॉम होम की शुरुआत हुई थी और अब अमृतकाल मे वर्क फ्रॉम फर्म जेल की शुरुआत हो रही है जी हाँ, और ये पहल कर रहे है दिल्ली के (delhi liquor policy) सीएम अरविन्द केजरीवाल येही है ed का खेल जिसने केजरीवाल को भेज दिया जेल अब सवाल है क्या मोदी सरकार केजरीवाल को वर्क फ्रॉम जेल करने देगी ? क्या एलजी सरकार बर्खास्त नहीं करेंगे ?

क्या मोदी सरकार जेल से चलने देगी दिल्ली सरकार ?

दिल्ली की अदालत ने आप नेता अरविंद केजरीवाल को तिहाड़ जेल भेज दिया है । सीएम केजरीवाल तिहाड़ जेल नंबर 2 में 15 अप्रैल तक रहेंगे. इस दौरान उनपर 24 घंटे CCTV की नजर होगी. उन्हें बैरक में अकेले रखा गया है. केजरीवाल को भले ही तिहाड़ जेल भेज दिया गया है लेकिन केजरीवाल अपनी ज़िद पर अड़े है की सरकार वो जेल से चलायेंगे और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा नहीं देंगे । ऐसे अब सवाल उठ रहे है केजरीवाल के पास अब क्या-क्या विकल्प बचते हैं. मामले में अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी। केजरीवाल के न्यायिक हिरासत में जाने का यह मतलब हुआ है कि अब उनके पास अधिकार है कि वे जमानत के लिए मूव कर सकते हैं। जब तक पुलिस कस्टडी रहती है आप जमानत के लिए मूव नहीं कर सकते। लेकिन अब उनके पास कानूनी तौर से अधिकार है अब ईडी की तरफ से कस्टडी खत्म और उनकी न्यायिक हिरासत शुरू हो गई है।’

दोस्तों सरकारी नौकरी में कार्यरत कर्मचारी अगर किसी अपराध में गिरफ्तार होता है तो उसे तुरंत सस्पेंड कर दिया जाता है। लेकिन भारत का कानून नेताओं के लिए अलग है देश के कानून के मुताबिक, अगर केजरीवाल चाहें तो जेल से भी सरकार चला सकते हैं। परिस्थितियों और कानूनी प्रावधानों के आधार पर एक मुख्यमंत्री जेल में रहते हुए और कानूनी कार्यवाही का सामना करते हुए भी पद पर बना रह सकता है। हालांकि, उसे अपने मुख्यमंत्री पद से जुड़े सभी दायित्वों का निवर्हन जेल मैन्युअल के नियमों का पालन करते हुए करना होगा।

कानून के मुताबिक न्यायिक हिरासत में रहते हुए केजरीवाल सरकार चला सकते 2000 के दिल्ली प्रिजन एक्ट के मुताबिक, किसी भी जगह या बिल्डिंग को जेल घोषित किया जा सकता है. और केजरीवाल वहां रहकर सरकार चला सकते हैं. लेकिन इसका अधिकार उपराज्यपाल के पास है. दोस्तों जब सुब्रत रॉय सहारा जेल में थे तब जेल के एक कॉम्प्लेक्स को,, जेल घोषित किया गया था. वहां इंटरनेट, फोन और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा थी. यहीं रहकर सहारा ने अपनी संपत्तियां बेची थीं और कर्जा चुकाया था तब जाकर उन्हें जमानत मिली थी.

क्या कहता है कानून ?

हालांकि, केजरीवाल के मामले में भी ऐसा हो इसकी गुंजाइश काफी कम है. क्योंकि केजरीवाल ओर उपराज्यपाल के बीच जैसे संबंध रहे हैं उससे आप परिचित ही है इतना ही नहीं एलजी सक्सेना ने ही कथित शराब घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश भी की थी. मुख्यमंत्री केजरीवाल को अगर कोई सुविधा नहीं दी जाती है तो फिर जेल से सरकार चला पाना लगभग नामुमकिन है अगर केजरीवाल को आम कैदी की तरह ही रखा जाता है तो फिर जेल में रहकर किसी फाइल पर साइन करना भी मुश्किल है.

दिल्ली के जेल मैनुअल के मुताबिक, किसी भी कैदी को जेल में आने के बाद जेल प्रशासन को 10 लोगों के नाम देने होते हैं. जेल में रहते हुए इन्हीं 10 लोगों से बात और मुलाकात की जा सकती है. इन 10 में से कोई भी शख्स टेलीफोन कर जेल प्रशासन को बता सकता है कि वो किस दिन कैदी से मिलने आना चाहता है. फिर जेल प्रशासन ही तारीख और समय बताता है. जेल मैनुअल के मुताबिक, हफ्ते में सिर्फ दो बार ही आधे-आधे घंटे के लिए कैदी से मुलाकात की जा सकती है. एक बार में तीन लोग ही कैदी से मिल सकते हैं.

मुलाकात का वक्त सुबह साढ़े 9 बजे से दोपहर साढ़े 12 बजे तक होता है. मुलाकात के दौरान कैदी एक तरफ होता है और दूसरी तरफ उससे मुलाकात करने वाला शख्स. बीच में लोहे की जाली होती है. ऐसा कोई नियम या कानून नहीं है जो केजरीवाल को जेल से सरकार चलाने से रोक सके. हालांकि, उसके बाद भी जेल से सरकार चलाना टेढ़ी खीर है. कोई कैदी जब तक जेल में है तब तक उसकी सारी गतिविधियां कोर्ट के आदेश पर निर्भर होती हैं. कैदी अपने वकील के जरिए किसी कानूनी दस्तावेज पर तो दस्तखत कर सकता है. लेकिन किसी सरकारी दस्तावेज पर साइन करने के लिए कोर्ट की मंजूरी लेनी होगी.

इतना ही नहीं, जेल में बंद नेता चुनाव तो लड़ सकता है सदन की कार्यवाही में भी शामिल हो सकता है लेकिन वहां किसी तरह की बैठक नहीं कर सकता. जनवरी में जब ईडी ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था तो PMLA कोर्ट ने उन्हें विश्वास मत में भाग लेने की इजाजत दे दी थी. हालांकि, ईडी की हिरासत में रहते हुए केजरीवाल ने दो सरकारी आदेश जारी किए थे. लेकिन दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने एक कार्यक्रम में ये भी साफ कर दिया था कि जेल से सरकार नहीं चलेगी. लिहाजा, केजरीवाल चाहें तो सरकार चला सकते हैं, लेकिन उन्हें कोर्ट से मंजूरी लेनी होगी. ऐसे में अगर वो किसी फाइल पर साइन करना चाहें कैबिनेट की बैठक करना चाहें या फिर कोई फैसला लेना चाहें तो कोर्ट की मंजूरी की जरूरत होगी. अगर कोर्ट की मंजूरी के बगैर कोई फैसला लिया जाता है तो उसे चुनौती मिल सकती है.

देखिए, हमारे मुख्यमंत्री और आप नेताओ को पक्का भरोसा है जिस तरह से ed ऐक्टिव है ED उनको सरकार चलाने में पूरी मदद करेगी धीरे-धीरे उनके सभी कैबिनेट मंत्री को तिहाड़ भेजेगी ताकि कैबिनेट मीटिंग भी वही हो सके भले ही कैबिनेट के निर्णय जेल से बाहर न जा सके लेकिन सरकार चलेगी इसी की तर्ज पर आप मंत्री आतिशी ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी पर कई आरोप लगाए आतिशी ने दावा कि बीजेपी ने उन्हें ऑफर दिया है., की या तो बीजेपी ज्वाइन करके अपना राजनीतिक कैरियर बचा लूं या अगर पार्टी ज्वाइन नहीं की तो आने वाले एक महीने में ईडी की ओर से गिरफ्तार कर लिया जाएगा मेरे करीबी व्यक्ति ने बताया कि प्रधानमंत्री और बीजेपी ने मन बना लिया है कि आम आदमी पार्टी के सभी लोगों को कुचलना है.”

केजरीवाल के खिलाफ अभी सिर्फ आरोप लगे हैं। मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही है। हालांकि, अगर केजरीवाल के खिलाफ दोष सिद्ध हो जाता है तो वह अपने पद पर नहीं बने रह सकेंगे। यदि किसी मुख्यमंत्री को किसी आपराधिक अपराध का दोषी ठहराया जाता है और जेल की सजा सुनाई जाती है, तो उसे लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों के अनुसार सरकारी पद संभालने से अयोग्य ठहराया जा सकता है।, ऐसे सजायफ्ता लोकसभा या विधानसभा का चुनाव भी नहीं लड़ सकते हैं। दोस्तों आपको क्या लगता है क्या मोदी सरकार जेल से सरकार चलने देगी आपकी क्या राय है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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