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ECI Notice To BJP and Congress : मोदी अब नहीं लड़ पाएंगे Loksabha election 2024 ?

ECI Notice To BJP and Congress : 2024 के लोकसभा चुनाव में धर्म के नाम पर राजनीति करने का पूरी दुनिया में डंका बजा हुआ है यहाँ तक की विदेशी मीडिया में भी पीएम मोदी के बयानों की चर्चाएं है विपक्षी नेता लगातार चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहे है लेकिन चुनाव आयोग है की कुंभकर्ण की नींद सोया हुआ है देश के प्रधानमंत्री मोदी जी दिन पर दिन भड़काऊ भाषण दे रहे है लेकिन चुनाव आयोग के कान पर जु तक (Loksabha election 2024) नहीं रेंगी चुनाव आयोग को धृतराष्ट्र भी नही कह सकते क्योंकि धृतराष्ट्र को दिखाई नही देता था लेकिन सुनाई देता था देश की जनता पूछ रही है की चुनाव आयोग का जमीर जिंदा है या मर गया है

देश भर से 17 हजार से ज्यादा लोगों ने चुनाव आयोग को शिकायत की दबाव मे या मजबूर होकर  चुनाव आयोग की थोड़ी नींद खुली  एक झपकी ली तो सोचा शिकायत पर सोच लिया जाए चुनाव आयोग के इस कदम पर एक thank u तो बंता है पीएम मोदी के खिलाफ आदर्श आचार संहिता (MCC) उल्लंघन की शिकायत मामले में चुनाव आयोग का पहला फैसला आ गया है.जी हाँ जैसी उम्मीद थी वही फैसला आया है चुनाव आयोग आका का कहना कैसे टाल सकता है इसलीय PM मोदी को चुनाव आयोग ने क्लीन चिट दे दी है क्या 17 हज़ार से ज़्यादा लोगों की शिकायतों का कोई मतलब नहीं है

चुनाव आयोग कि चुप्पी!

दोस्तों विपक्षी दलों की तरफ से लगातार कहा जा रहा है की चुनाव आयोग इस बार निष्पक्ष नहीं है वह हमारी नहीं सुन रहा है बस एक पार्टी की सुन रहा है ऐसे आरोप चुनाव आयोग पर लगते रहते है की सिर्फ एक पार्टी के इशारों पर काम कर रहा है और आज चुनाव आयोग ने इस बात का सबूत भी दे दिया दोस्तों चुनाव आयोग को सच बोलने का साहस दिखाना चाहिए। पीएम मोदी की ओर से किए गए आचार संहिता के उल्लंघन पर आयोग की  निष्क्रियता एवं चुप्पी समझ से परे और कानून के विरूद्ध है।’

दरअसल पीएम मोदी पर आरोप लगा था कि उन्होंने देवी देवताओं के नाम पर वोट मांगने का काम किया पीलीभीत में रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर और करतारपुर कॉरिडोर का जिक्र किया था। इस बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील ने चुनाव आयोग का रुख किया और पीएम मोदी के खिलाफ एक्शन की मांग की। लेकिन सूत्रों के अनुसार  चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री मोदी को क्लीन चिट दे दी

चुनाव आयोग का मानना है कि पीएम मोदी द्वारा आचार संहिता का  उल्लंघन नहीं किया गया वे सिर्फ अपनी सरकार की उपलब्धियां बता रहे थे और उसे धर्म के नाम पर वोट मांगना नहीं कहा जा सकता। जानकारी के लिए बता दे कि सुप्रीम कोर्ट के वकील आनंद एस ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि 9 अप्रैल को पीएम मोदी द्वारा आचार संहिता का उल्लंघन किया गया। पीलीभीत की रैली में उन्होंने हिंदू देवी देवताओं और पूजा स्थलों के नाम पर जनता से वोट मांगने की कोशिश की।इस शिकायत को लेकर चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया गया था लेकिन अब वहां से पीएम मोदी को सबसे बड़ी राहत मिल गई है

चुनाव आयोग को दी शिकायत

जबकि कांग्रेस का कहना है कि चुनाव आयोग को सौंपी गईं सभी शिकायतें गंभीर हैं और देश के संविधान के मूल सिद्धांतों पर आघात करने वाली हैं.  अपनी याचिका में कांग्रेस ने कहा ‘प्रधानमंत्री को आदर्श आचार संहिता के बेशर्म उल्लंघन के साथ-साथ उनके और उनकी पार्टी द्वारा किए गए सभी प्रकार के अपराधों चुनाव और इससे इतर के लिए चुनाव आयोग द्वारा जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.’चुनाव आयोग के लिए भी एक परीक्षा है और इस मामले में चुनाव आयोग की निष्क्रियता उसकी विरासत को धूमिल कर देगी.

कांग्रेस के अलावा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) और नागरिक समाज के लोगों के एक समूह ने भी पीएम मोदी के खिलाफ कार्रवाई की मांग चुनाव आयोग से की है.इस संबंध में माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री का भाषण भड़काने वाला आचार संहिता और सुप्रीम कोर्ट के हेट स्पीच पर दिए फैसले का घोर उल्लंघन है. इसके खिलाफ तुरंत एफआईआर करने की जरूरत है. इस मामले में आयोग की उचित कार्रवाई करने में विफलता  स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए माहौल को और खराब करेगी.

बता दें कि चुनाव आयोग के सामने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ अभी और भी शिकायतें हैं. चुनाव आयोग ने पीएम मोदी की ओर से राजस्थान में दिए गए उस भाषण के खिलाफ दर्ज शिकायतों की पड़ताल शुरू कर दी है जिसमें उन्होंने दावा किया था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो वह लोगों के धन को मुस्लिमों में वितरित करेगी. कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने मोदी द्वारा रविवार को दिए गए भाषण को लेकर आयोग को अलग अलग शिकायतें दी थीं.

 कांग्रेस ने आयोग से राजस्थान के बांसवाड़ा में की गई मोदी की ‘धन के पुनर्वितरण’ वाली टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह करते हुए आरोप लगाया कि ये टिप्पणियां ‘विभाजनकारी’ तथा ‘दुर्भावनापूर्ण’ हैं और एक विशेष धार्मिक समुदाय को लक्षित कर की गई हैं. दरअसल पीएम मोदी ने  रविवार को दावा किया था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो वह लोगों की संपत्ति को मुसलमानों में वितरित करेगी

क्या एक्शन लेगा चुनाव आयोग ?

दोस्तों चुनाव आयोग भाजपा के नेताओं और पीएम  मोदी के द्वारा आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन पर ख़ामोश है. संहिता के अनुसार किसी को भी धार्मिक या सांप्रदायिक आधार पर वोट मांगने या प्रचार की इजाज़त नहीं है. साथ ही ऐसे प्रचार की भी अनुमति नहीं है जिससे समाज के दो तबकों के बीच तनाव या बैरभाव बढ़े.यह सिर्फ़ चुनाव संहिता का ही नहीं जन प्रतिनिधि क़ानून का भी उल्लंघन है जिसमें इस तरह के सांप्रदायिक प्रचार को अपराध ठहराया गया है. इसी कारण सर्वोच्च न्यायालय ने 1999 में महाराष्ट्र के बड़े ताकतवर नेता शिव सेना के बाल ठाकरे के चुनाव लड़ने पर 6 साल की पाबंदी लगा दी थी.

मोदी और भाजपा के दूसरे नेताओं के भाषणों ने कोई शक बाक़ी नहीं रखा है मोदी ने कहा ‘कांग्रेस का  घोषणा पत्र कह रहा है कि वे माताओं-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे उसकी जानकारी लेंगे और फिर उसका वितरण करेंगे. मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. भाइयों-बहनों ये अर्बन नक्सली सोच आपका मंगलसूत्र भी नहीं बचने देगी इतनी दूर तक जाएगी.’दोस्तों मोदी जी को कूट भाषा का माहिर माना जाता है. यानी बिना मुसलमान शब्द का उच्चारण करते हुए मुसलमानों को कैसे अपमानित किया जाए या उन पर हमला किया जाए इसमें मोदी जी  को महारत हासिल है.इस चुनाव को मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंदुओं की जंग के तौर पर पेश कर रहे हैं और ख़ुद को हिंदुओं की सेना.

पीएम मोदी एक ख़तरनाक खेल खेल रहे हैं. इस चुनाव को हिंदुओं और मुसलमानों के बीच जंग में बदल दिया गया है. भाजपा खुलेआम ख़ुद को हिंदुओं की पार्टी बतला रही है. उनके भाषण से यह नतीजा निकालना ग़लत नहीं कि उन्होंने मान लिया है कि उनके मतदाता सिर्फ़ हिंदू ही हैं.उनकी तरह उनकी पार्टी के और नेता भी यही कर रहे हैं. चुनाव की घोषणा के पहले असम के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा था की  उन्हें मिया मुसलमानों का वोट नहीं चाहिए.मुसलमानों को सलाह दी जा रही है कि वे इस पर बात न करें क्योंकि इससे हिंदुओं का भाजपा की तरफ़ ध्रुवीकरण होगा.

चुनाव आयोग की खामोशी से लगता है कि पीएम मोदी और भाजपा नेताओं को चुनावी माहौल को सांप्रदायिक बनाने की उनकी  तरफ़ से पूरी छूट है. चुनाव आयोग के मौन के बाद अब शायद जनता को भी इस जनतंत्र की मौत पर दो मिनट का मौन धारण कर लेना चाहिए अब सवाल ये उठता है एक शिकायत पर फैसला आ गया है बाकी और शिकायतों पर चुनाव आयोग क्या एक्शन लेगा क्या चुनाव आयोग सरकार जी खिलाफ जाएंगे या नहीं ??? क्या मोदी जी के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगेगी या नहीं आपको क्या लगता है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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