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Sri Ram Idol Of Ayodhya: रामलला की मूर्ति में लगने जा रही ये खास शिला, बनने में लग जाते हैं इतने करोड़ साल

Sri Ram Idol Of Ayodhya: दोस्तों भगवान श्री राम की मूर्ति के निर्माण के लिए नेपाल के जनकपुर से शालिग्राम की विशाल शिला लंबी यात्रा तय करने के बाद 40 टन वजनी शालिग्राम की 2 शिलाएं अयोध्या पहुंच गई है

Sri Ram Idol Of Ayodhya: दोस्तों भगवान श्री राम की मूर्ति के निर्माण के लिए नेपाल के जनकपुर से शालिग्राम की विशाल शिला लंबी यात्रा तय करने के बाद 40 टन वजनी शालिग्राम की 2 शिलाएं अयोध्या पहुंच गई है | अयोध्या में रामलला की मूर्ति नेपाल के शालिग्राम शिलाओं से बनेगी | इस शालिग्राम की शिला को लगभग छह करोड़ साल पुराना बताया जा रहा है बता दे की इन्हीं शिलाओं से भगवान राम और माता सीता की भव्य मूर्तियां बनाई जाएंगी। Sri Ram Idol Of Ayodhya माना जा रहा है कि ये मूर्तियां अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की जाएंगी। प्राचीनकाल से मूर्तिकला में इस पत्थर का इस्तेमाल किया जाता रहा है। शालिग्राम पत्थर बेहद मजबूत होते हैं। इसलिए शिल्पकार बारीक से बारीक आकृति उकेर लेते हैं।दोस्तों हिंदू धर्म में शालिग्राम को भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है और श्रीराम भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं | जिस प्रकार भगवान शिव का उनके निराकार रूप शिवलिंग का पूजन होता है, उसी प्रकार भगवान विष्णु का विग्रह रूप शालिग्राम है।


धार्मिक मान्यता के अनुसार श्री हरि के शालीग्राम रूप का वर्णन पद्मपुराण में मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार तुलसी जी के श्राप के कारण श्री हरि विष्णु हृदयहीन शिला में बदल गए थे। उनके इसी रूप को शालिग्राम कहा गया है। (Sri Ram Idol Of Ayodhya) दोस्तों ये पहली बार नहीं है जब शालिग्राम शिला से मूर्ति बनाई जाएगी बल्कि इससे पहले भी शालिग्राम का उपयोग किया गया है ,,,चलिए अब आपको बताते है कहाँ कहाँ शालिग्राम की शिला का उपयोग हुआ है ।


(Sri Ram Idol Of Ayodhya) उडुपी का कृष्ण मठ


दोस्तों कृष्ण मठ की स्थापना 13वीं शताब्दी में वैष्णव संत जगद्गुरु श्री माधवाचार्य ने की थी।

वृंदावन का राधा रमण मंदिर


राधा रमण मंदिर की स्थापना 500 साल पहले गोपाल भट्ट गोस्वामी ने की थी।

तिरुवनंतपुरम का पद्मनाभस्वामी मंदिर


श्री पद्मनाभ मंदिर को छठी शताब्दी में त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया था। भगवान विष्णु की मूर्ति शालिग्राम शिला से बनाई गई है।

बद्रीनाथ मंदिर


आदि शंकराचार्य ने नौवीं शताब्दी में बद्रीनाथ को एक तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित किया था। (Sri Ram Idol Of Ayodhya) भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति भी शालिग्राम शिला से बनी हुई है दोस्तों धार्मिक मान्यता के अनुसार ,,देवी भागवत पुराण के अध्याय 24, शिव पुराण के अध्याय 41 के अलावा ब्रह्मवैवर्त पुराण में शालिग्राम शिला की उत्पत्ति के बारे में विस्तार से बताया गया है। (Sri Ram Idol Of Ayodhya) आइए आपको शालिग्राम से जुड़ी धर्मिक कथा सुनाते है वृषध्वज नाम का एक राजा था। वह शिव के अलावा किसी और देवता की पूजा नहीं करता था। इसी के चलते सूर्य ने उसे श्राप दिया कि वह और उसकी पीढ़ियां गरीब ही रहेंगी।

अपनी खोई हुई समृद्धि को पाने के लिए वृषध्वज के पोते धर्मध्वज और कुशध्वज देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तपस्या करते हैं। देवी लक्ष्मी तपस्या से प्रसन्न होती हैं और उनकी समृद्धि लौटा देती हैं। साथ ही दोनों की पुत्रियों के रूप में जन्म लेने का वरदान देती हैं। (Sri Ram Idol Of Ayodhya) इसके बाद देवी लक्ष्मी कुशध्वज की बेटी वेदवती और धर्मध्वज की बेटी तुलसी के रूप में अवतार लेती हैं। तुलसी अपने पति के रूप में भगवान विष्णु को पाने के लिए बद्रिकाश्रम में तपस्या करने चली जाती हैं। ब्रह्मा उन्हें बताते हैं कि इस जीवन में पति के रूप में विष्णु उन्हें नहीं मिलेंगे और उन्हें शंखचूड़ नामक दानव से विवाह करना होगा।

बता दे की अपने पिछले जन्म में शंखचूड़ ही सुदामा थे। दरअसल, राधा ने सुदामा को श्राप दिया था कि वह अगले जन्म में दानव बनेंगे। (Sri Ram Idol Of Ayodhya) इसी वजह से शंखचूड़ स्वभाव से सदाचारी और पवित्र था और विष्णु का भक्त था। उन्होंने ब्रह्मा की आज्ञा पर तुलसी से विवाह किया। विवाह के बाद शंखचूड़ के नेतृत्व में दानवों ने अपने प्रमुख शत्रुओं, देवताओं के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। शंखचूड़ के गुणों की वजह से यह युद्ध दानव जीत गए। (Sri Ram Idol Of Ayodhya) इसके बाद दानवों ने स्वर्ग से देवताओं को बाहर निकाल दिया। पराजय से हतोत्साहित देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे। उन्होंने बताया कि शंखचूड़ की मौत भगवान शिव के हाथों होनी तय है।

देवताओं के अनुरोध पर शिव शंखचूड़ के खिलाफ युद्ध छेड़ देते हैं। हालांकि कोई भी पक्ष एक दूसरे पर हावी नहीं हो पाता। ऐसे में ब्रह्मा जी शिव को बताते हैं कि शंखचूड़ को तब तक नहीं हराया जा सकता, जब तक कि वह अपना कवच पहने हुए है और उसकी पत्नी की पवित्रता भंग न हो जाए। इसके बाद भगवान विष्णु एक बूढ़े ब्राह्मण का वेश धारण कर शंखचूड़ के पास पहुंचते हैं और भिक्षा कवच मांगते हैं। (Sri Ram Idol Of Ayodhya) शंखचूड़ उन्हें अपना कवच दे देता है। इसके बाद वह शिव के साथ युद्ध में व्यस्त हो जाता है। इसी बीच विष्णु कवच पहन कर शंखचूड़ का रूप धारण करते हैं और तुलसी के साथ सहवास करते हैं। इस प्रकार तुलसी की पवित्रता भंग हो जाती है और शिव के त्रिशूल द्वारा शंखचूड़ को मार दिया जाता है।

शंखचूड़ की मृत्यु के क्षण तुलसी को संदेह हो गया कि जो पुरुष उस वक्त उनके साथ था वह शंखचूड़ नहीं था। जब उन्हें पता चला कि विष्णु ने उनके साथ छल किया है तो उन्होंने भगवान विष्णु को पत्थर बनने का श्राप दिया। (Sri Ram Idol Of Ayodhya) तुलसी का मानना था कि वह अपने भक्त शंखचूड़ को मारने के लिए और उसकी पवित्रता चुराने के दौरान पत्थर की तरह भावहीन थे। इसके बाद विष्णु ने तुलसी को यह कहकर सांत्वना दी कि यह उन्हें पति के रूप में पाने के लिए की गई तपस्या का फल था। साथ ही वह अपनी देह त्यागने के बाद फिर से उनकी पत्नी बन जाएंगी। (Sri Ram Idol Of Ayodhya) इसके बाद लक्ष्मी ने तुलसी के शरीर को त्याग दिया और एक नया रूप धारण किया जिसे तुलसी के नाम से जाना जाने लगा। तुलसी का परित्यक्त शरीर गंडकी नदी में बदल गया और उसके बालों से तुलसी की झाड़ी निकली।

तुलसी से शापित होने के कारण विष्णु ने गंडकी नदी के तट पर शालिग्राम के नाम से जाने वाले एक बड़े चट्‌टानी पर्वत का रूप धारण कर लिया। वज्र के समान मजबूत दांतों वाले कीड़े वज्रकिता ने इन चट्‌टानों पर कई चिह्नों को उकेरा। वज्रकिता द्वारा उकेरे गए पत्थर जो उस पर्वत की सतह से गंडकी नदी में गिरते हैं, शालिग्राम शिला के रूप में जाने जाते हैं।
तो ये थी शालिग्राम से जुड़ी कथा और मान्यताए |

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