राज्यअर्थव्यवस्थाआंध्र प्रदेशउत्तर प्रदेशउत्तराखंडगुजरातचर्चा मेछत्तीसगढ़जम्मू कश्मीरदिल्लीपंजाबबिहारमध्य प्रदेशमहाराष्ट्रराजस्थानहरियाणाहिमाचल प्रदेश

Budget 2024: अंतरिम बजट में बंधे थे मोदी सरकार के हाथ, लोक लुभावन घोषणाओं का खुला पिटारा

Budget 2024: दोस्तों चुनावी साल है और आज मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया. चुनावी साल को देखते हुए उम्मीद लगाई जा रही थी की बजट में इस बार कुछ खास होगा लोगों को कुछ राहत मिलेंगी लेकिन मोदी सरकार के आखिरी बजट ने लोगों को मायूस कर दिया है चुनावी साल होने के बावजूद लोगों की उम्मीदों पर परंपरा भारी पड़ी बजट में इनकम टैक्स के स्लैब में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया टैक्स के कारण हमारा यानी आम आदमी का बजट भले ही गड़बड़ा जाए सरकार का बजट नहीं गड़बड़ाना चाहिए।

दोस्तों इस ठंडे मौसम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देशवासियों की उम्मीदों पर ठंडा पानी फेर दिया है वित्त मंत्री ज्ञान, गरीब, युवा और नारी की बात करती हैं लेकिन उन्होंने इन सबके लिए कुछ नहीं किया. पिछले 10 साल में जो वादे उनकी ओर से किए गए वे पूरे न किए जा सके. पिछले 10 साल में सिर्फ जुमलेबाजी हुई. बढ़िया नारे आए अच्छी कैच करने वाली पंचलाइन्स लाई गईं बड़े विज्ञापन भी दिए गए मगर असल में कुछ नहीं हुआ. बीते साल में किसानों, श्रमिकों, युवा और महिलाओं के लिए कोई प्रोग्राम नहीं हुआ? क्या सरकार ने एफडीआई में सुधार निवेश लाने और रोजगार को बढ़ाने लाने के लिए कुछ किया?”

प्रधानमंत्री मोदी ने कल यानी 31 जनवरी को कहा कि पूर्ण बजट भी वही पारित करेंगे यानी उनको इस बात का पूरा यकीन है कि वह सत्ता में वापस आ ही जाएंगे. सरकार ने हालांकि इसका कलेवर चुनावी ही रखा है और कई ऐसी घोषणाएं की हैं जो पहले से चली आ रही योजनाओं का विस्तार ही हैं. महिलाओं, किसानों, युवाओं को अपना लक्षित वर्ग सरकार ने कई बार बताया है और इसीलिए सरकार ने इस बजट में भी उनको ही ध्यान में रखा है.

व‍िकस‍ित भारत के 4 स्तंभों को ताकत देगा ये बजट- पीएम

दोस्तों बजट सरकार का निर्धारित लेखा-जोखा होता है कि आपकी कितनी आय है और कितना खर्च आप किधर करेंगे. आय तो निर्धारित होती है लेकिन expenditure फ्यूचर प्लान यानी भविष्य की योजना से तय होता है. जब फ्यूचर प्लान करते हैं तो इसमें सरकार के अपने कुछ एजेंडे होते हैं और उसी हिसाब से वह काम करते हैं. जब पूर्ण बजट पेश करते हैं तो गवर्नमेंट अपने एजेंडा पर अपने प्रायोरिटी एक्सपेंडिचर के हिसाब से तय करती है

अब क्योंकि सरकार आने वाले साल में रहेगी या नहीं इसकी कोई गारंटी चुनावी साल में नहीं होती तो उसका मोरल ग्राउंड नहीं बनता है कि उस हिसाब से बजप पेश करें इसलिए सरकारें अंतरिम बजट ही पेश करती है. मोदी सरकार अगले साल रहेगी या ना रहेगी जब ये ही तय नहीं तो कैसे वह प्लान कर सकते कि मैं यहां एक्सपेंडिचर करूंगा हम लोग इधर करेंगे. अंतरिम बजट सरकार का लेखा-जोखा होता है. सरकार के पास पिछले साल का क्या खर्च होगा और जब तक इलेक्शन होगा तब तक का हमारा व्यय किधर होगा उसके आगे की बात नहीं होती है

सरकार अपने चार सालों में देखेगी कि उसने क्या-क्या काम किया है और उसी आधार पर आज वित्त मंत्री ने बजट पेश किया है. खासकर जो पिछला वर्ष रहा है हमारी अर्थव्यवस्था में जो सुधार हुआ है. अगर आप अपने आस पड़ोस के विश्व की किसी भी अर्थव्यवस्था से तुलना करें तो सरकार ने उस हिसाब से अपनी पीठ थपथपायी है और यह बताया है कि जो उसकी प्रायरिटी लिस्ट है उसको वह बता सके.

3 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य

गवर्नमेंट अभी तक जैसा परफॉर्मेंस कर रही है इसमें अंतरिम बजट और पूर्ण बजट में किसी को कोई संदेह है. अगर पूर्ण बजट यही सरकार लेकर आएगी इसलिए सरकार ने कुछ पॉइंटर सेट किए हैं. जैसे सरकार ने दावा किया कि गरीब, महिलाओं, युवाओं और किसानों पर वह सबसे ज्यादा ध्यान दे रही है. पिछले 10 वर्षों में सरकार ने 25 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकाला है इसका भी सरकार ने काफी प्रचार किया है

डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर का भी सरकार ने काफी उल्लेख किया है. किसानों को अन्नदाता बताते हुए 11.8 करोड़ किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ मिला है यह भी सरकार ने बताया. 4 करोड़ से अधिक किसानों को फसल बीमा योजना का फायदा मिला है. वित्त मंत्री ने किसी नए टैक्स का या टैक्स स्लैब में बदलाव का ऐलान नहीं किया. इसका मतलब ये है कि सरकार ने आयात शुल्क सहित प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के लिए समान कर दरों को बनाए रखने का प्रस्ताव सरकार ने किया है. हालांकि, सरकार की ओर से इस बजट में इनकम टैक्स देने वालों को कोई राहत नहीं मिली.

पहला, नॉमिनल जीडीपी है जो आपका करंट प्राइस (यानी, अभी के मूल्य पर) जो भारत की अर्थव्यवस्था का विकास है या कुल आकार जो है अर्थव्यवस्था का उसकी ग्रोथ देखें तो बाकी किसी भी देश से हमारी अर्थव्यवस्था काफी बेहतर स्थिति में है. ऐसा नहीं कि हम डबल डिजिट में बहुत ज्याद विकास कर रहे हैं, लेकिन अगर पूरे समय का आकलन करें तो उसमें हम लोग काफी बेहतर स्थिति में है सरकार ने इस चीज को हाईलाइट किया कि हमारा जो नॉमिनल जीडीपी जो है अभी फिलहाल 10 से 12 परसेंट के आसपास है और यह जारी रहेगा तो इससे काफी फायदा होता है

ग्रोथ होते ही जो लॉग बेरोजगार हैं वे बारोजगार हो जाते हैं तो कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था में ये सबसे जरूरी बात है और इसी को सरकार ने दिखाया भी है. सरकार का पब्लिक एक्सपेंडिचर, खासकर कैपिटल एक्सपेंडिचर ऐसे इन्वेस्टमेंट जो आपको बाद में रिटर्न दे उससे आपको सर्विसेज मिल पाए. उस पर गर्वमेंट का बहुत ज्यादा फोकस हुआ है और 2014 से लेकर जबसे बीजेपी की सरकार आई है, पहली बार तीन गुना बढ़ोतरी हुई है लगभग 3 गुना.

मतलब डाटा में देखें तो 16.6 ट्रिलियन रुपए था पूंजीगत व्यय 2014 में और वह अभी बढ़ कर पिछले साल तक वह 46 ट्रिलियन को पार कर गया. जीएसटी में शुरू में तकलीफ हुई लेकिन आज हम उसका परिणाम देख रहे हैं. गवर्नमेंट का जो कलेक्शन है, वह बेहतर हुआ है. ये सारी बातें इस बजट में दिखी हैं. भारत जैसे देश में हमेशा से एक चीज होती आई है कि यहां पर सरकार का व्यय सरकार के राजस्व से ज्यादा रहा है. कई बार इसपर कमिटि भी बनी जिसने इसपर नियंत्रण करने की बात की चूंकि कर्ज बढ़ता चला जाता है और उसके बढ़ने के बाद कंट्री की क्या हालत होती है वो सभी को पता है.

दोस्तों वित्त मंत्री ने बजट भाषण की शुरुआत जिस हिसाब से की थी वही उन्होंने अपने पूरे भाषण में कहा. महिलाओं पर जोर देते हुए उन्होंने यह बताया कि अब तक एक करोड़ लखपति दीदियां बन चुकी हैं. 9 करोड़ महिलाएं 83 लाख हेल्प ग्रुप्स से जुड़ी हुई हैं. लखपति दीदी का लक्ष्य बढ़ाकर 2 करोड़ से 3 करोड़ कर दिया गया है

चुनाव से पहले लोक लुभावन घोषणाओं का खुला पिटारा

सरकार के दूसरे लक्षित वर्ग किसानों के लिए भी सरकार ने अंतरिम बजट में ही कई बड़े ऐलान किए. डेयरी किसानों की मदद के लिए सरकार की ओर से योजना बनेगी. पीएम संपदा योजना का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री ने बताया कि इससे अब तक 38 लाख किसानों लाभ को हुआ है. मत्स्य पालन के लिए मोदी सरकार ने अलग विभाग बनाया और पीएम मत्स्य योजना से 55 लाख नए रोजगार मिलने की संभावना है. युवाओं के लिए कौशल विकास पर जोर दिया जा रहा है इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर जोर है और कुल मिलाकर यह बजट चुनावी नहीं है क्योंकि सरकार के हाथ बंधे हैं,, लेकिन फिर भी कई लोकलुभावन घोषणाएं सरकार ने की हैं.

वित्तमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना के जरिए 3 करोड़ घर के लक्ष्य को पाने के सरकार करीब हैं. अगले 5 साल में 2 करोड़ लोगों को और घर मिलेंगे. 1 करोड़ गरीबों के घरों में सोलर पैनल के जरिए 300 यूनिट मुफ्त बिजली पहुंचाई जाएगी.

दोस्तों बजट को लेकर सपा चीफ अखिलेश यादव ने कहा है कि कोई भी बजट अगर विकास के लिए नहीं है और कोई भी विकास अगर जनता के लिए नहीं है तो वो व्यर्थ है. भाजपा सरकार ने जनविरोधी बजटों का एक दशक पूरा करके एक शर्मनाक रिकार्ड बनाया है जो फिर कभी नहीं टूटेगा क्योंकि अब सकारात्मक सरकार आने का समय हो गया है. यह भाजपा का ‘विदाई बजट’ है. आपकी इस बार के बजट को लेकर क्या राय है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ

Related Articles

प्रातिक्रिया दे

Back to top button