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Delhi Property Update: Delhi में Flats को लेकर RERA ने जारी किया फरमान

Delhi Property Update: दोस्तों दिल्ली में बढ़ती आबादी को लेकर सभी चिंतीत है दिल्ली में लोग अपने घरों को तुड़वाकर फ्लैट बनवा रहे हैं। हाल ही में दिल्ली रेरा ने बड़ा खुलासा किया। जो काफी चिंताजनक है। नियमों को ताक पर रखकर महज 200 गज जगह में लोग 20 फ्लैट्स बनाकर बेच रहे हैं। एजेंसियों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया है। इस निर्देश के बाद रजिस्ट्री ऑफिसों से लेकर बिल्डर व आम लोगों में खलबली है। लोगों को डर सता रहा है कि अब फ्लैट्स की रजिस्ट्री होगी या नहीं? वहीं बिल्डर परेशान हैं कि उनके बनाए फ्लैट्स बिक सकेंगे या नहीं।

दिल्ली रेरा से मिली जानकारी के अनुसार साल 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने यह तय किया था कि दिल्ली में कितने बड़े प्लॉट पर कितने घर बनेंगे। लेकिन इसका पालन नहीं हुआ। पिछले कुछ समय में रेरा में जब कुछ बिल्डर रजिस्ट्रेशन के लिए पहुंचे तो एप्लिकेशन की जांच से पता चला कि जमीन पर तय सीमा से अधिक फ्लैट्स बन रहे हैं। इसके बाद उन आवेदनों को वापस कर दिया गया।

RERA ने आदेश में कई बातों को लेकर नियम तय किए

रेरा के एक अधिकारी के अनुसार इन मामलों के सामने आने के बाद ही हमने यह डायरेक्शन जारी किए। यह निर्देश नए नहीं है। 2008 में ही सुप्रीम कोर्ट ने यह नियम लागू किए थे। हमने सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के उन नियमों का सख्ती से पालन करने को कहा है। अधिकारी के अनुसार अभी दिल्ली का जो हाल है यहां डेंसिटी ऑफ पॉपुलेशन सबसे अधिक है। इसके बावजूद नियमों को ताक पर रखकर फ्लैट्स बनते ही जा रहे हैं। इस हालातों में दिल्ली में सुधार की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है। 200 गज के प्लॉट पर 20-20 तक फ्लैट्स बन रहे हैं।

अधिकारी ने बताया कि जब हमने इन मामलों की गहराई से जांच की तो पता चला कि जो फ्लैट्स होते हैं वह किचन के साथ होते हैं। बिल्डर क्या करते हैं कि नक्शे में उतने ही फ्लैट्स दिखाते हैं जितने तय सीमा में होते हैं। बाकी दो या चार में किचन की जगह स्टोर रूम या पूजा घर आदि दिखा कर नक्शा पास करवा लेते हैं। बाद में उसे मॉडिफाई कर लेते हैं। कुछ जगहों पर ऐसा भी देखने को मिला है कि बड़े फ्लैट्स का नक्शा पास करवाते हैं और फिर बाद में उसे तोड़कर दो छोटे फ्लैट्स बना लेते हैं। फ्लैट खरीदने वालों को यह पता ही नहीं होता कि जिस जगह वह फ्लैट्स खरीद रहा है वहां कितने फ्लैट बन सकते हैं। उस जगह पर बने चार या छह फ्लैट्स तो अवैध हैं।

यह खामी पता चलने के बाद दिल्ली रेरा ने एमसीडी, दिल्ली कैंट बोर्ड, एनडीएमसी, डीडीए को यह निर्देश जारी किए हैं। निर्देश में सुप्रीम कोर्ट के नियम का पालन करने को कहा है। इन नियमों के पालन के साथ नक्शे में हर फ्लैट को एक नंबर देंगे। यह नंबर एक/दस के फार्मेट में रहेगा। यहां इस नंबर से मतलब है कि जमीन पर कुल 10 फ्लैट बने हैं और इनमें से यह एक नंबर फ्लैट है। साथ ही फ्लैट का एरिया भी लिखें।

50 वर्ग मीटर से 3750 वर्ग मीटर के बड़े प्लाटों को लेकर आदेश

ग्रेटर कैलाश, पंजाबी बाग, पंचशील,, उत्तम नगर आदि में 10 की जगह 12 से 16 फ्लैट्स के आवेदन मिले हैं। रेरा चेयरमैन आनंद कुमार के अनुसार यह कोई नया निर्देश नहीं है। इस आदेश के बाद राजधानी में बन रहे अवैध फ्लैट्स कम हो पाएंगे और स्थिति में सुधार आएगा। रेरा से मिली जानकारी के अनुसार पंचशील में जब एक बिल्डर का रजिस्ट्रेशन रेरा ने नहीं किया तो वह कोर्ट पहुंच गया कोर्ट ने रेरा के पक्ष में फैसला दिया और कहा कि फ्लैट्स नियमों के अनुसार ही बनेंगे।

घनी आबादी वाली कॉलोनियों में ज्यादातर जगहों पर बिल्डर फ्लैट्स बन रहे हैं। 100 गज की जगह में यह लोग आठ फ्लैट्स तक बनाकर बेच देते हैं। इसकी वजह से इन कॉलोनियों में पानी, सीवर, सफाई की व्यवस्था काफी चरमरा सी गई है। इस नियम से बिल्डर इतने अधिक फ्लैट नहीं बना पाएंगे।

रेरा एक्ट 500 स्क्वायर मीटर या उससे बड़ी जगह पर बन रहे हाउसिंग प्रोजक्ट्स में लागू होता है। ऐसे में रेरा सिर्फ इसी सीमा में काम कर सकता है। लेकिन रेरा के निर्देश यदि माने जाते हैं तो सभी प्रॉपर्टी के नक्शे पास करते समय यह शर्तें लागू होंगी। लेकिन यह नियम 2008 से ही लागू है। ऐसे में 2008 से 2023 तक यह नियम कैसे लागू नहीं हुए यह सवाल भी उठ रहे हैं। वहीं बिल्डर लॉबी ने अब इसमें भी लूप होल ढूंढने शुरू कर दिए हैं।

दोस्तों दिल्ली में 50 वर्ग मीटर में बनने वाली इमारत का दायरा सीमित करने वाले आदेश का सबसे ज्यादा असर सैकड़ों कच्ची कॉलोनियों पर पड़ेगा। नए नियम के कारण इन कॉलोनियों में मौजूद लाखों संपत्तियों पर संकट के बादल छा गए हैं।

दरअसल, इन इलाकों में बहुत ही कम संपत्तियों के पास नगर निगम से पास किए हुए नक्शे हैं। ऐसे में इन संपत्तियों की खरीद-फरोख्त,,,,, अब मुश्किल में फंसती दिख रही है। दिल्ली में 1600 से ज्यादा कॉलोनियां हैं, जिन्हें कच्ची कॉलोनी की श्रेणी में रखा जाता है। इनमें से ज्यादातर को नोटिफिकेशन जारी कर पास भी कर दिया गया था। इसके बाद से यहां पीएम उदय योजना के तहत रजिस्ट्रियां भी शुरू हो गई थीं। यही कारण है कि इन इलाकों में बिल्डरों के साथ-साथ आम लोगों ने भी धड़ल्ले से पांच से छह मंजिल फ्लैट बनाए। बड़ी संख्या में लोगों ने यहां प्रॉपर्टी भी खरीदी लेकिन अब रेरा के नए नियम से लाखों संपत्तियों पर संकट के बादल छा गए हैं।

अमान्य हो गई तीन से ऊपर की मंजिल

इन कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है और भवनों के नक्शे भी पास नहीं है। इन इलाकों में बिल्डर की ओर से प्लॉट पर आमतौर पर पार्किंग और चार मंजिलें बनाई गई हैं लेकिन अब 50 मीटर तक के प्लॉट पर केवल तीन मंजिलों को वैधता प्रदान की गई है। ऐसे में इन प्लॉट पर बनी चौथी मंजिल यूं भी पूरी तरह से अमान्य हो जाती है।

इन कॉलोनियों में स्थित संपत्तियों को बैंक लोन मिलने में दिक्कत होती है लेकिन कुछ वित्तीय कंपनियां यहां पर मौजूद संपत्तियों पर भी लोन देती हैं। एक वित्तीय कंपनी से जुड़े एक अधिकारी बताते हैं कि 50 मीटर तक के प्लॉट की चौथी मंजिल अमान्य घोषित हो गई है इसलिए अब यहां पर किसी भी तरह का लोन नहीं दिया जाएगा। पहले से जारी लोन का क्या होगा इसके बारे में अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है।

प्रोजेक्ट पर नहीं पड़ेगा कोई असर डीडीए

डीडीए के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेरा के आदेश से डीडीए के किसी प्रोजेक्ट पर असर नहीं पड़ेगा। डीडीए की तरफ से निर्धारित किए गए मास्टर प्लान 2021 और भवन निर्माण के नियमों का रेरा अनुपालन करता है। नियमों के तहत ही रेरा के अधीन संचालित होने वाले रजिस्ट्री कार्यालयों पर संपत्ति की रजिस्ट्री सुनिश्चित की जाती है।

दिल्ली सरकार के रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) से जुड़ी संपत्ति रजिस्ट्री के मामले को सरल तरीके से निपटाने की मांग की जा रही है विशेषज्ञों ने कहा है कि संपत्ति रजिस्ट्री से जुड़ी शिकायतों को हल करने के लिए रेरा को एक हेल्पलाइन नंबर जारी करना चाहिए। साथ ही लोगों को बिल्डर व भवन निर्माण के ठेकेदार बिल्कुल भी ठगे नहीं। इसके लिए भी जागरूकता लानी चाहिए।

इस संबंध में दिल्ली नगर निगम के भवन निर्माण समिति के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि रेरा को संपत्ति रजिस्ट्री से जुड़ी शिकायतों का निवारण करने के लिए तुरंत कर्मचारियों को तैनात करना चाहिए। रेरा की ओर से लोगों को यह भी आश्वस्त कराया जाना चाहिए कि विभाग उनके साथ है। वह किसी भी प्रकार से घबराएं नहीं। दिल्ली के 29 सब रजिस्ट्रार कार्यालयों के लिए एक मोबाइल ऐप तैयार करते हुएसंपत्ति रजिस्ट्री से जुड़ी शिकायतों का तुरंत समाधान निकाला जाए। साथ ही अवैध रूप से नियमों की अनदेखी करने वाले बिल्डरों व भवन निर्माण के ठेकेदारों से भी सावधान रहने के लिए रेरा सक्रिय भूमिका अदा करे। आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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