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Kerala New Name: क्यों केरल का नाम केरलम रखना चाहते हैं CM विजयन?

Kerala New Name: देश में कई शहरों और स्टेशन के नाम बदले जाने के बाद,,, अब दक्षिण के राज्य का नाम बदलने की चर्चा है.विभिन्न जगहों का नाम बदलकर भारतीय स्वरूप में करने का दौर जारी है अब भगवान का अपना घर कहे जाने वाले केरल का नाम बदले जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.

जी हाँ राज्य की पिनराई विजयन सरकार ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजकर केरल का नाम ‘केरलम’ करने का आग्रह किया है. इससे जुड़ा प्रस्ताव बुधवार को असेंबली में सर्वसम्मति से पास कर दिया गया. सब कुछ ठीक रहा तो केरल को केरलम के नाम से जाना जाएगा. अब फुटबॉल केंद्र सरकार के पाले है. प्रस्ताव पास करके इसे राज्य सरकार ने केंद्र को भेजा है

पुराने और नए नाम में कितना अंतर

आइए जानते है क्यों बदला रहा है, क्या है वो नियम, जिसके तहत नाम को बदलने की तैयारी है, पुराने और नए नाम में कितना अंतर है और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का क्या कहना है? भारत की आजादी के 9 साल बाद ,,1 नवंबर 1956 में भाषा के आधार पर केरल नाम से एक,,,,, अलग राज्य बना था। अब 67 साल बाद ,,,,,,,,केरल सरकार ने भाषा के ही आधार पर इस राज्य के नाम को बदलकर ,,,,,,,,,,केरलम करने का फैसला किया है।,,,,,, 9 अगस्त को इसके लिए केरल की विधानसभा में एक प्रस्ताव पास किया गया है

Kerala राज्य का नाम क्यों बदला जा रहा है?

केरल राज्य के नाम बदलने के पीछे की वजह को जानने के लिए केरल राज्य से जुड़े एक पुराने किस्से को जानना जरूरी है साल 1920 की बात है। नागपुर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक बैठक हो रही थी। इस बैठक में यह प्रस्ताव पास किया गया कि नया राज्य सिर्फ क्षेत्रीय नहीं बल्कि भाषाई आधार पर भी बनना चाहिए। अगले ही साल 1921 में त्रावणकोर,,, कोच्चि और मालाबार क्षेत्र के लिए,,,, कांग्रेस पार्टी ने अपनी इकाई का नाम बदलकर,,,,, केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी रख दिया।,,,,, यहीं पहली बार ,,,,,केरल नाम की बुनियाद पड़ी।,,,,,इसी समय इस क्षेत्र में रहने वाले मलयाली लोगों ने ,,,,,,एक आंदोलन शुरू किया। ,,ऐक्य (यूनाइटेड) केरल मूवमेंट के नाम से शुरू हुए इस आंदोलन का मकसद था- त्रावणकोर, कोच्चि और मालाबार में रहने वाले मलयाली लोगों के लिए अलग राज्य की मांग करना।

देश की आजादी के बाद 1 जुलाई 1949 को ,,,,दो राज्य त्रावणकोर और कोच्ची बना,,,, लेकिन लोग खुश नहीं थे। 3 दशक तक मलयाली भाषा के सभी लोगों के लिए ,,,,,,अलग राज्य के लिए आंदोलन चलता रहा। ,,,,,,,आखिरकार 1956 में भाषाई आधार पर एक अलग राज्य बना, ,,,,,जिसका नाम केरल रखा गया।

सरकार ने बताई केरल का नाम बदलने की वजह

सरकार ने केरल का नाम बदलने की वजह बताई ,,, केरल विधानसभा में पास हुई प्रस्तावना के मुताबिक,,,,,, केरल का असल में मलयाली भाषा में नाम केरलम है। ,,,,,हिंदी और दूसरी भाषाओं में इसे केरल कहा जाता है। ,,,,,,,नाम बदलने का उद्देश्य केरल राज्य की पहचान,,, भाषा,,, संस्कृति और विकास को बढ़ावा देना है।,,,,,,केरल नाम रखे जाने को लेकर कई तरह की थ्योरी हैं,,,, आइए जानते हैं,क्या है थ्योरी

केरल राज्य के दो नाम रखे जाने की असल कहानी

पहली थ्योरी: केरल का जिक्र सम्राट अशोक के समय के शिलालेख 2 में मिलता है।,,,,, इसमें 257 ईसा पूर्व यानी करीब 2200 साल पहले,,,,,, केरल शब्द के इस्तेमाल की बात कही गई है।,,,, इस शिलालेख के स्थानीय शासक के लिए ,,,,संस्कृत शब्द केरलपुत्र का इस्तेमाल किया गया था।,,इसका मतलब केरल के पुत्र या चेर वंश का पुत्र बताया गया।,,,,, चेर शब्द 3200 साल पहले यानी,,,,, 1200 ईसा पूर्व तक ,,,,,,,,,यहां शासन करने वाले चेर राजवंश के लिए इस्तेमाल हुआ है।,,,,,,,, ऐसा माना जाता है कि इसी के आधार पर 1921 में कांग्रेस ने ,,,,,,,,,अपनी पार्टी इकाई का नाम केरल रखा।

दूसरी थ्योरी: 1872 में मलयालम-इंग्लिश शब्दकोश को पब्लिश करने वाले ,,,,,,,जर्मन स्कॉलर डॉ. हरमन के मुताबिक,,,,, ‘केरम’ शब्द कन्नड़ भाषा के ‘चेरम’ शब्द से आया है। ,हरमन ने,,, केरलम के लिए हर जगह चेरम शब्द ही लिखा है। ,,गोकरनम और कन्याकुमारी के बीच के इलाके को ,,,,,,,चेरम कहा गया है। चेरलम शब्द में ‘चेर’ का मतलब जुड़ना ,,,,,,और ‘अलम’ शब्द का अर्थ ,,,,,,,स्थान या क्षेत्र बताया गया है

तीसरी थ्योरी : कुछ विद्वानों का ये भी मानना है कि इस इलाके में काफी ज्यादा नारियल की पैदावार होती है। नारियल के लिए केर शब्द इस्तेमाल होता है। केरम का कन्नड़ रूप केरलम है और यहीं से केरल नाम आया है

केंद्र के हाथ में है फैसला

यह देश का पहला ऐसा मामला नहीं है,,. 2011 में उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा किया गया था,,,,,,,. इससे भी पहले उत्तरांचल का नाम बदलकर ,,,,,,उत्तराखंड किया गया है,,. कई बार पश्चिम बंगाल का नाम बदलने की मांग भी उठ चुकी है.,,, पश्चिम बंगाल सरकार चाहती है कि ,,,,,,,,इसका नाम बदलकर ‘बांग्ला’ किया जाए. ,,,,,,,,इसके लिए पिछले साल जुलाई में गृह मंत्रालय ने,,,,, संसद को बताया था कि,,,,,,,,, ममता बनर्जी सरकार की तरफ से नाम ,,,,,,,,,,को बदलने का प्रस्ताव मिला है

कितना खर्च आता है नाम बदलने में ?

राज्यों के नाम बदलने में कितना खर्च आता है ,,,औरंगाबाद सांसद ,,,,इम्तियाज जलील ने ,,,,,,,एक केंद्रीय अधिकारी के हवाले से ,,,,,,,,दावा किया कि ,,,,,बड़े शहरों या राज्यों के नाम बदलने में 1000 करोड़ रुपए तक का खर्चा आता है।,,,इस पूरी प्रक्रिया में,,,,, भारत सरकार की संचित निधि से पैसा खर्च होता है

देश के इन 8 राज्यों के नाम कैसे और क्यों रखे गए

  • राजस्थान: राजस्थान को ऐतिहासिक रूप से राजाओं का प्रदेश कहा जाता है। यहां ज्यादातर समय राजपूत राजाओं का शासन रहा है, जिस कारण इसे राजस्थान नाम दिया गया है।
  • मध्यप्रदेश: मध्यप्रदेश भारत के मध्य में स्थित है, जिस कारण से भूभाग को मध्यप्रदेश का नाम मिला। 1947 में जब देश आजाद हुआ था, तब मध्य भारत और विंध्य प्रदेश को मिला कर मध्य प्रदेश बना।
  • बिहार: बिहार राज्य का नाम संस्कृत और पाली शब्द ‘विहार’ से पड़ा है जिसका अर्थ है घूमने की धरती। बौद्ध धर्म के प्रसार काल के दौरान बौद्ध विहारों के कारण इस भूभाग को बिहार नाम से जाना जाने लगा।
  • उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश का नाम ब्रिटिश द्वारा दिए गए नाम यूनाइटेड प्रोविंस को बदल कर किया गया। आज का वर्तमान नाम 24 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया।
  • सिक्किम: सिक्किम शब्द लिम्बू भाषा के ‘SUKHYIM’ शब्द से आया है। इसमें ‘SU’ का अर्थ नया है और ‘KHYIM’ का अर्थ स्थान है। लिम्बू भाषा नेपाल और सिक्किम में बोली जाने वाली क्षेत्रीय भाषा है।
  • गुजरात: गुजरात नाम की उत्पत्ति गुर्जर शब्द से हुई है। लगभग 700 से 800 ई.वी. के मध्य गुर्जर जनजाति के लोग इस क्षेत्र में रहते थे। इस वजह से इस भूभाग का नाम गुजरात पड़ा।

नाम बदलने के लिए केंद्र के गृह मंत्रालय से मंजूरी की आवश्यकता

भारत के संविधान में किसी भी राज्य का नाम बदलने का जिक्र,,, आर्टिकल 3 व 4 में किया गया है।,,,,,,शहरों का नाम बदलने के मामले के विपरीत,,,, किसी राज्य का नाम बदलने के लिए केंद्र के गृह मंत्रालय से मंजूरी की आवश्यकता होती है।,,, इसका मतलब यह है कि इस बदलाव को प्रभाव में लाने के लिए,,,,,,, संवैधानिक संशोधन आवश्यक हो जाता है।,,,,,,,प्रस्ताव पहले राज्य सरकार की ओर से आता है। ,,,,,,,,,,फिर इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय,,,, रेल मंत्रालय, इंटेलिजेंस ब्यूरो,,,, डाक विभाग,,,,,,, भारतीय सर्वेक्षण और भारत के रजिस्ट्रार जनरल,,,,,,,,,, जैसी कई एजेंसियों से एनओसी लेना होता है।,,,,,,,, यदि प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है,,,,,,,,,, तो संसद में विधेयक के रूप में पेश किया गया ,,,,,,,,संकल्प एक कानून बन जाता है ,,,,,,,,,और उसके बाद राज्य का नाम बदल दिया जाता है।,,,,,,,,,आपको क्या लगता है ,,,नाम बदलना चाहिए या नहीं ,,,अपनी राय कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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