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Danish Ali Vs Ramesh Bidhuri : अब गाली खाने वाले सांसद के ख़िलाफ़ ही फाइल बनाने में जुटी BJP ?

Danish Ali Vs Ramesh Bidhuri : दोस्तों अब क्या कहेंगे मोदी जी को इतिहास दोबारा लिखवाने पर ताने देने वाले! अब कहकर तो देखें कि मोदी जी तो सिर्फ ऑर्डर देकर इतिहास लिखवा रहे हैं बल्कि पुराने लिखे हुए में ही काट-पीट करा रहे हैं मोदी जी ने छाती ठोक के इतिहास बनवा दिया है।, संसद के एक विशेष सत्र में नन्हे से क्यूट से विशेष सत्र में मोदी जी ने सिंगल नहीं डबल-डबल बल्कि ट्रिपल-ट्रिपल इतिहास बना दिया है।

अब विरोधी अगर चाहें भी तो मोदी जी के इतिहास रचने से इंकार नहीं कर सकते हैं। संसद भवन बदल कर अगर इतिहास बनाने में गिनने में किसी को हिचक भी हो,, तब भी इतिहास बनने के दो मोर्चे और भी तो हैं। आगे-आगे महिला आरक्षण और,, अंत-अंत में रमेश बिधूड़ी। दोनों ने इतिहास बनाया है यह तो मानना ही पड़ेगा। फिर भी मोदी जी मूड में आ गए तो डेमोक्रेसी को टू मच किए बिना नहीं माने और इतिहास बनाया तो उसमें भी चॉइस कर दी। जिन्हें महिला आरक्षण पसंद नहीं हो बिधूड़ी जी वाला इतिहास चुन लें।

सुप्रीम कोर्ट बार-बार दुत्कारता भी रहा

वैसे कोई कुछ भी कहे,, बिधूड़ी वाले इतिहास में कोई कमी,, कोई खोट,, कोई कितना भी खोज ले,, नहीं निकाल सकता।, ये सौ फीसद नया है,, सौ फीसद पहली बार है,, सौ फीसद ओरिजिनल है! ,,सच पूछिए तो इतनी नवीनता,, इतनी ओरिजिनेलिटी तो ,,महिला आरक्षण वाले इतिहास निर्माण में भी नहीं है . 75 साल की संसदीय यात्रा की अपनी स्पीच में खुद मोदी जी भी रमेश बिधूड़ी का जरा सा पूर्व-इतिहास तक नहीं देख पाए।, बेशक यह कहने वाले तो अब बहुत निकल आए हैं कि बिधूड़ी ने जो कहा, वह न खुद बिधूड़ी ने पहली बार कहा है और न पहली बार कहा गया है। मुसलमानों के लिए दबे-छुपे और सोशल मीडिया में खुलेआम यह सब तो बहुत समय से कहा जाता रहा है। मोदी जी की टू मच डेमोक्रेसी में,, और कुछ चाहे न हो पर यह टू मच हुआ है। हिंदुत्व के प्रदर्शनों में चाहे सडक़ों पर हो या धार्मिक जुलूसों में या संत सम्मेलनों में और हां खबरिया टीवी चैलनों पर भी यह खुलेआम होता ही रहा है जिसे हेट स्पीच कहकर सुप्रीम कोर्ट बार-बार दुत्कारता भी रहा है।

संसद की गरिमा का रक्षक कौन है ?

इससे कोई कैसे इंकार कर सकता है कि,, संसद में यह पहली बार हुआ है ,,और लाइव टीवी पर पूरे देश बल्कि पूरी दुनिया ने,, इस इतिहास को बनता हुआ देखा है। इतिहास तो बन गया, अब इसे किसी स्पीकर की कलम की स्याही से मिटाया नहीं जा सकता है। और स्पीकर से इससे ज्यादा कुछ करवाया भी नहीं जा सकता है। और करीब दस साल में इतनी मुश्किल से तो बात इतिहास बनने के मुकाम तक पहुंची है मोदी जी इस पर ट्वीट-वीट करके जश्न का मजा खराब क्यों करेंगे।

जब देश की संसद में गाली दी जाने लगे,, तो समझ जाइए कि कुछ गड़बड़ है., जब नेताओं के धर्म पर टिप्पणी की जाने लगे,, उन्हें आतंकी जैसे शब्दों से नवाजा जाने लगे,, तो समझिए कि चुने हुए प्रतिनिधि ,,अपनी राह से भटक गए हैं. ,,उन्हें कोर्स करेक्शन की जरूरत है., उन्हें आचरण के कनेक्शन की भी जरूरत है.,,ये ऐसे शब्द थे,, जो किसी धर्मविशेष के व्यक्ति को अपमानित करने के लिए कहे जाते हैं,,. ऐसे शब्द जो किसी व्यक्ति को या किसी धर्म को आतंकवाद से जोड़ देते हैं., इतना घुमाकर क्यों कहें?, ऐसे शब्द जो देश में अक्सर अल्पसंख्यकों – खासकर मुसलमानों – को अपमानित करने के लिए कहे जाते हैं. 21 सितंबर को लोकसभा में जो कुछ हुआ,, वह भारतीय संसद ने और देश ने पहली बार देखा.

रमेश बिधूड़ी का विवादित बयान

चंद्रयान-3 की कामयाबी पर चर्चा के दौरान ,,दक्षिण दिल्ली से निर्वाचित भाजपा सांसद ,,रमेश बिधूड़ी ने ,,अमरोहा से निर्वाचित बहुजन समाज पार्टी के सांसद कुंवर दानिश अली के लिए ,,जैसे अभद्र और देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति ,,सांप्रदायिक नफ़रत से भरे शब्दों को इस्तेमाल किया ,,और उन्हें सदन से बाहर निकलने पर देख लेने की धमकी भी दी.,,सांसद रमेश बिधूड़ी या ,,उनके बगल में बैठे सांसदों की हंसी ठिठोली पर चर्चा करना बेकार है।, वो आज सांसद हैं ,,कल हो सकता है जनता उन्हे संसद के पास तक फटकने ही न दे ,,लेकिन लोकसभा अध्यक्ष जिस पर संविधान ने भरोसा किया है , इसके बावजूद अध्यक्ष पीड़ित ,,सांसद को न्याय देने में अभी तक विफल प्रतीत हुए हैं। ,,दिलचस्प बात है कि पिछले साल,, जुलाई में असंसदीय शब्दों की,, लंबी चौड़ी फ़ेहरिस्त जारी की गई ,,जिनका प्रयोग संसद में वर्जित होगा. आप उस सूची को देखिए और सोचिए जो कुछ बीजेपी सांसद ने कहा है वो उन शब्दों की तुलना में कितनी अभद्र हैं.

दोस्तों एक सवाल मन में यह भी उठता है ,,कि अगर ऐसे बयान देने वाले व्यक्ति का नाम,, रमेश की जगह दानिश होता ,,तो क्या कुछ हुआ होता? ये आप भी जानते है ,,देश में और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ,’सबका साथ-सबका विश्वास,, सबका विकास’ कहने वाले पीएम मोदी ने,, इस पूरे घटनाक्रम पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.,,ओर दे भी कैसे , बिधूड़ी भाजपा के सामान्य सांसद नहीं हैं,, प्रधानमंत्री मोदी जब विदेशी दौरे से लौटते हैं,, तो दिल्ली हवाईअड्डे पर उनके स्वागत के लिए ,,वे मौजूद रहते हैं,,. इसके अलावा दिल्ली में मोदी की कोई रैली और रोड शो के लिए ,,भीड़ के प्रबंधन का ज़िम्मा बिधूड़ी ही उठाते हैं,,. इस नाते,, वे प्रधानमंत्री के चहेते सांसदों में से एक हैं,,.

स्पीकर ने इस मामले में सिर्फ चेतावनी दी

बिधूड़ी अपनी किशोरावस्था से,, जिस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए हैं,, उसके मुखिया मोहन भागवत ,,अक्सर कहते हैं कि ,,हिंदुओं और मुसलमानों का एक ही डीएनए है,, और सब भारतमाता की संतानें हैं.,,लेकिन इस मामले में अपने स्वयंसेवक बिधूड़ी के आचरण पर ,,संघ की भी कोई प्रतिक्रिया अभी तक नहीं आई है.,,छोटी-छोटी बातों पर विपक्षी ,,सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर देने वाले ,,स्पीकर ने इस मामले में बिधूड़ी को सिर्फ चेतावनी दी है,, कि अगर उन्होंने सदन में ऐसा व्यवहार दोबारा किया ,,तो उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई होगी.

गौरतलब है कि ,,संसद के मानसून सत्र में लोकसभा में ,,कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी और राज्यसभा में ,,आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ,,जब मणिपुर के मामले में प्रधानमंत्री से बयान देने की मांग करते ,,हुए अपनी सीट से उठकर स्पीकर के सामने वेल में पहुंच गए थे,, तो दोनों सदस्यों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था.,,विपक्षी सांसदों के निलंबन के,, ऐसे कई मामले राज्यसभा और इस 17वीं लोकसभा में देखे गए हैं,, जबकि बिधूड़ी का मामला ,,उन सब मामलों के तुलना में बेहद गंभीर है.,

मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया

यह सही है कि संविधान के अनुच्छेद 105 (2) के मुताबिक़ ,,संसद में कही गई बात या किसी व्यवहार के लिए ,,कोई भी सांसद किसी भी अदालत के प्रति उत्तरदायी नहीं होता,, उसके ख़िलाफ़ कोई पुलिस कार्रवाई भी नहीं हो सकती है., ऐसे मामलों में लोकसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के तहत ,,स्पीकर को ही कार्रवाई करने का अधिकार है.,,ऐसे में सवाल है कि क्या कोई सांसद अपने इस विशेषाधिकार के तहत किसी अन्य सांसद के ख़िलाफ़ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल या गाली-गलौच भी कर सकता है?,,बहरहाल,, भारतीय जनता पार्टी ने बिधूड़ी को कारण बताओ नोटिस देकर,, उनसे 15 दिनों में जवाब देने को कहा है.,,लेकिन हम सब जानते हैं,, जिन्होंने नोटिस दिया है वे भी,, और जिसे नोटिस दिया गया वह भी ,,कि ऐसे नोटिस का कोई मतलब नहीं है., बिधूड़ी नोटिस के जवाब में खेद व्यक्त कर लेंगे ,,और मामला रफा-दफा हो जाएगा.,

दरअसल, बिधूड़ी भाजपा के पहले ऐसे नेता नहीं हैं,, जिन्होंने मुस्लिम समुदाय को निशाना बना कर,, ऐसे आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है.,,संसद में इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करने वाले ,,वे पहले नेता जरूर हैं ,,लेकिन संसद या विधानसभा के बाहर तो योगी आदित्यनाथ,, अनुराग ठाकुर,, प्रज्ञा सिंह ठाकुर, गिरिराज सिंह,, हिमंत बिस्वा सरमा,, साध्वी निरंजन ज्योति आदि की एक लंबी लिस्ट है,, जो ऐसे बयान देने के लिए जाने जाते हैं,,. लेकिन आज तक किसी का कुछ नहीं बिगड़ा,,

इन सारे उदाहरणों को ,,रमेश बिधूड़ी को सोशल मीडिया में ,,भाजपा समर्थकों की ओर से मिल रहे समर्थन ,,को देखते हुए लगता नहीं कि,, पार्टी उनके ख़िलाफ़ किसी तरह की कोई कार्रवाई करेगी.,,नई संसद में पहले भाषण में नरेंद्र मोदी ने कहा था,,. कि आपका आचरण तय करेगा कि,, आप संसद में सत्ता वाली साइड में बैठेंगे,, या विपक्ष वाली साइड,,. बिधूड़ी ने बात नहीं मानी., उन्होंने अनुसरण भी नहीं किया.,

दोस्तों सवाल ये है ,,जब चुनाव करीब है,, तो क्या सत्तारूढ़ दल के नेताओं,, सांसदों और मंत्रियों की ओर से ,,इस तरह के बयानों का सिलसिला रुकेगा ,,और क्या पार्टी नेतृत्व उनके ख़िलाफ़,, कोई ऐसा सख़्त कदम उठा पाएगा,, जिससे ‘लाइन क्रॉस’ करने वाले ,,दूसरे नेताओं को सबक मिले.,,अपनी राय कमेन्ट कर जरूर दे

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