सर्दियों के दिनों में दिल्ली में वायु प्रदूषण का खतरा काफी बढ़ जाता है।इसके कंट्रोल के लिए दिल्ली के स्पेशल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने हरियाणा सरकार को लेटर लिखा है।इसमें 1 अक्टूबर से दिल्ली में केवल बीएस-6 इंजन वाली बसों को ही दिल्ली आने देने का अनुरोध किया गया है।
राजधानी में प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार ने हरियाणा सरकार को पत्र लिखा है। पत्र में सरकार ने एक अक्तूबर से दिल्ली में केवल बीएस -6 अनुपालन वाली बसों को प्रवेश देने की बात कही है। दिल्ली में हर साल सर्दी में वायु गुणवत्ता बिगड़ जाती है। इसकी प्रमुख वजह पराली जलाने के साथ-साथ एनसीआर से आने वाले डीजल वाहनों को भी माना जाता है।
दिल्ली परिवहन के विशेष आयुक्त ओपी मिश्रा ने हरियाणा परिवहन विभाग के प्रधान सचिव नवदीप सिंह विर्क को 15 जून के पत्र में लिखा है कि दिल्ली में प्रदूषण ने सर्वोच्च न्यायालय और दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 अक्तूबर 2018 को अपने आदेश में कहा था कि एक अप्रैल 2020 से पूरे देश में बीएस-6 अनुपालक वाहनों को बेचने या पंजीकृत करने की अनुमति दी थी।
पत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) पहले ही निर्देश दे चुका है कि दिल्ली-एनसीआर में 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों को नहीं चलने दिया जाएगा। अधिकारी ने पत्र में कहा है कि दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह से सीएनजी में कर दिया गया है, जबकि अन्य राज्यों से चलने वाली बसों में डीजल का उपयोग जारी है। ऐसे में उन्होंने हरियाणा के सहयोग की मांग करते हुए एक अक्तूबर से दिल्ली में सिर्फ बीएस-6 बसों को ही अनुमति देने की बात लिखी है।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश
शीर्ष कोर्ट के निर्देश के तहत केवल BS-VI इंजन वाले वाहनों को ही बेचने या रजिस्टर्ड करने की अनुमति है। पत्र में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश का भी हवाला दिया गया है, जिसके तहत 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों को एनसीआर में चलने की अनुमति नहीं है। पत्र में बताया गया है कि दिल्ली में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को पूरी तरह से सीएनजी में बदल दिया गया है, जबकि अन्य राज्यों से दिल्ली आने वाली बसों में डीजल का उपयोग जारी है। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण रोकने के लिए पड़ोसी राज्यों का सहयोग जरूरी है।
यूरोप की तर्ज पर मानक
यूरोप की तर्ज पर भारत में भी व्हीकल के लिए एक मानक तय किया गया है, ताकी वे कम से कम कार्बन उत्सर्जन या प्रदूषण फैलाएं। देश में पहले बीएस-3 इंजन वाले व्हीकल चलते थे, जिनसे अत्यधिक प्रदूषण फैलता था। उसके बाद बीएस-4 लागू किया गया। इससे प्रदूषण काफी हद तक नियंत्रित हुआ। फिर भी, इन गाड़ियों के प्रदूषण से जलन, सांस लेने में तकलीफ आदि होती है। उसके बाद BS-VI इंजन वाले व्हीकल को ही मंजूरी दी गई है।