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Delhi Water Crisis : भीषण गर्मी में पानी को तरसी दिल्ली की जनता

आम जनता को जल स्वराज के सपने दिखाकर हर बार गर्मियों में पानी के लिए कतार में खड़ा कर दिया जाता है। बरसों से आश्वासन तो दिए जा रहे हैं ।लेकिन पानी नहीं आता वर्षा जल संग्रह की व्यवस्था नहीं की जाती है । टूटी पाइप लाइनों की मरम्मत तक भी नहीं कराई जाती है। इन सबका नतीजा पानी बर्बाद होता रहता है और एक बड़ी आबादी पानी के लिए परेशान होती रहती है।


आज भी पानी के लिए लोग आपस में झगड़ रहे, घर के बड़े-बूढ़े लाइन में लग कर पानी ढो रहे हैं।यहां तक की बच्चों को भी इस काम में लगा दिया जाता है।दोस्तों ये हालात कहि और नहीं बल्कि देश की राजधानी दिल्ली का है या यूँ कहे ये हालात पानीदार सपने देखने वाली दिल्ली की है और बीते कई सालो से इसी हालात में है।


दोस्तों दुःख की बात तो यह है हर सरकार ने अपने कार्यकाल में पानी पर राजनीति की लेकिन यमुना से इतर जल स्रोतों को मजबूत करने पर बल नहीं दिया।अभी स्थिति ऐसी है कि वजीराबाद, जहां से दिल्ली के तीन जल शोधन संयंत्रों को यमुना से पानी मिलता है।वहां नदी में ड्रेजिंग करके पानी को एक जगह एकत्रित किया जा रहा है और फिर पंपों के जरिये जल शोधन संयंत्रों को भेजा जा रहा है। यमुना से कम पानी मिल पाने के कारण संयत्रों से होने वाली पानी की आपूर्ति भी घट गई है। जिसकी वजह से दिल्ली में जहां सामान्य स्थिति में 990 mgd पेयजल की आपूर्ति होती थी। वो अब करीब 100 mgd तक घट गई है।

दोस्तों ऐसे हालात हर साल देखने को मिलते है और सरकार इसके लिए हरियाणा को जिम्मेदार ठहरा कर किनारा कर लेती है अब दोस्तों सवाल यह उठता है कि मई-जून के महीने में स्थिति नहीं बिगड़े इसके लिए जल विभाग आखिर बाकी 10 महीने क्या व्यवस्था करता है इस पर स्थायी समाधान क्यों नहीं किए जा रहे? और कैसे हों? इस तरह के तमाम सवाल हर बार उठते हैं। मीटिगें की जाती है। मगर उसके बाद सब साफ़ हो जाता है।

फिर जब अगले साल ऐसे ही मई-जून का महीना शुरू होता है तो फिर से इस तरह के सवाल उठते हैं। संसाधनों पर चर्चा की जाती है मगर उसका समाधान करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जाता।इसका खामियाजा सिर्फ आम आदमी को भुगतना पड़ता है और सरकारें अपनी राजनीति करके निकल जाती हैं।

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