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Jobs In India: भारत में 83% बेरोजगार हैं युवा, इस ग्लोबल रिपोर्ट में हुआ खुलासा | India Employment Report 2024

Jobs In India: गलियों पर, चौराहों पर, सडकों पर, खम्भों पर, हरेक जगह मोदी जी की गारंटियों के पोस्टर, आड़े-तिरछे लटके नजर आते हैं और हरेक पोस्टर पर मोदी जी की मनमोहक मुस्कराती तस्वीर के साथ लिखा है हमारा संकल्प, विकसित भारत मोदी जी के भाषणों से जितना विकसित भारत नजर आता है वह है बड़ी अर्थव्यवस्था, इतिहास के तोड़े-मोड़े गए तथ्य और कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों पर अनर्गल प्रलाप हरेक भाषण से आम (India Employment Report 2024) आदमी गायब रहता है सामाजिक विकास गायब रहता है टीवी पर समाचार चैनलों में 5 खरब वाली अर्थव्यवस्था, पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर चर्चाएँ चल रही हैं और एंकर से लेकर हरेक पैनालिस्ट मोदी जी के अंतिम आदमी तक पहुचने की जिद का आकलन कर रहा है,, कुल मिला कर हालत यह है कि सत्ता और मीडिया यह बताने पर तुला है कि देश में कहीं कोई समस्या नहीं है कोई बेरोजगार नहीं है

वैसे ये कितनी अच्छी खबर है. आज बड़ी संख्या में युवा ,रोजगार और नौकरी के झंझट से मुक्त हैं. न ऑफिस जाने की चिंता न पकौड़ा तलते हुए हाथ जलने का डर. ना कोई काम,, आराम ही आराम… एक थैंक्यू तो बनता है सरकार जी को बेरोजगारी आज का सबसे बड़ा सवाल है लेकिन मीडिया मे ये चर्चा का विषय कब बनेगा शायद कभी नहीं

दोस्तों ये जो मौसम है न चुनावी मौसम चुनावी जोर और चुनावी शोर का है वादे इरादों की छड़ी लगाई जा रही है भरोसा दिलाया जा रहा है जनता को उनकी स्तिथि सुधर जाएगी इसके लिए सबसे अहम होता है एक अदद नौकरी हर व्यक्ति की ख्वाहिश होती है एक अदद नौकरी की जी हाँ, नोकरी देगे, रोजगार देंगे सब वादे किए गए पहले भी 2 करोड़ नौकरी देंगे सब जुमला निकला आत्म निर्भर भारत बनाते बनाते बेरोजगार बनाते जा रहे है जी हाँ ये में नहीं इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) की एक रिपोर्ट में भारत के अंदर रोजगार को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए है भारत दुनिया का सबसे युवा देश होने के बावजूद,, यहां का युवा ही सबसे ज्यादा बेरोजगार है लो देखलों भारत में 83% बेरोजगार हैं युवा हो गया विकास या अभी और चाहिए विकास

मोदी सरकार के सलाहकार ने खोली पोल

भारत में रोजगार की स्थिति के बिगड़ते जाने का सिलसिला लंबा हो गया है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट की ताजा रिपोर्ट इस बात की गवाह है। इसे आधिकारिक आंकड़ों को लेकर तैयार किया गया है। इसलिए सरकार इसके निष्कर्षों का खंडन नहीं कर सकती। यह रिपोर्ट साल 2000 से 2022 तक के रोजगार ट्रेंड की कहानी बताती है।

दोस्तों ये वो काल है जिसमें सत्ता की कमान भाजपा के पास 12 साल और कांग्रेस के पास 10 साल रही है। इसलिए यह कहानी दलगत दायरों से उठकर नीतिगत दायरों में पहुंच जाती है। वैसे यह गौरतलब है कि इसमें रोजगारी भागीदारी का पैमाना वही रखा गया है जो मोदी सरकार ने तय किया है।

सरकार जी देश के युवाओं और बेरोजगारी को लेकर कितनी गंभीर है इसकी पोल भी खुद मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने खोल दी है वी अनंत नागेश्वरन का कहना है कि- ‘सरकार बेरोजगारी जैसी समस्या को हल नहीं कर सकती।’ इस बयान से साफ है कि मोदी सरकार रोजगार के मोर्चे पर पूरी तरह से फेल है। यही कारण है कि देश के बेरोजगारों में 83% युवा हैं। मोदी सरकार में युवा बेरोजगारी 3 गुना ज्यादा हो चुकी है।

युवा यानी देश का भविष्य। और भविष्य तो पाँच ट्रिलियन डॉलर की इकोनमी बनाने का सपना देखा गया है। 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनाने का संकल्प लिया गया है। क्या युवाओं को बिना किसी रोजगार के यह संभव है? रिपोर्ट ने एक बार फिर भारत के शिक्षित युवाओं के बीच उच्च बेरोजगारी के मुद्दे को उजागर किया है।

इसमें बताया गया है कि 2022 में कुल बेरोजगार आबादी में बेरोजगार युवाओं की हिस्सेदारी 82.9% थी। मानव विकास संस्थान और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा तैयार भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 में कहा गया है ‘भारत में बेरोजगारी मुख्य रूप से युवाओं विशेष रूप से माध्यमिक स्तर या उससे अधिक शिक्षा वाले युवाओं के बीच एक समस्या थी और यह समय के साथ बढ़ती गई।’,,रिपोर्ट के अनुसार भारत के बेरोजगार कार्यबल में लगभग 83% युवा हैं और कुल बेरोजगार युवाओं में माध्यमिक या उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं की हिस्सेदारी 65.7% है।

यानी बेरोजगार युवाओं के बारे में कोई यह भी नहीं कह सकता है कि जब पढ़ाई नहीं पढ़ेंगे तो रोजगार कहाँ से मिलेगा। ऐसे पढ़े-लिखे युवाओं का प्रतिशत बढ़ता रहा है साल 2000 में यह दर 35.2 फ़ीसदी ही थी। यानी क़रीब 22 साल में इसमें क़रीब 30% प्वाइंट की बढ़ोतरी हुई है। यह भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 में आँकड़ा आया है। ,,रिपोर्ट के अनुसार 2022 में युवाओं के बीच बेरोजगारी दर पढ़े-लिखे युवाओं में कहीं ज़्यादा थी। युवाओं में उन लोगों की तुलना में छह गुना अधिक थी जिन्होंने माध्यमिक शिक्षा या उच्च शिक्षा पूरी कर ली थी (18.4%) और स्नातकों के लिए नौ गुना अधिक (29.1%) थी जो पढ़ या लिख नहीं सकते थे उनकी 3.4% ही थी।

रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि भारत शिक्षा के स्तर में मजबूत सुधार के साथ अपने जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा ले सकता है।,,ये निष्कर्ष महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है और कम से कम एक दशक तक अपने जनसांख्यिकीय लाभांश से लाभ उठाने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है ‘इसका मतलब है कि सालाना 7-8 मिलियन युवा श्रम बाजार में प्रवेश कर रहे हैं।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दो दशकों में युवाओं ने अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में उच्च स्तर की शिक्षा भी प्राप्त की है। फिर भी युवाओं को बेहतर गुणवत्ता वाली औपचारिक नौकरियों तक पहुँचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।,

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सभी बेरोजगार लोगों में शिक्षित युवाओं की हिस्सेदारी भी 2000 में 54.2% से बढ़कर 2022 में 65.7% हो गई है। शिक्षित (माध्यमिक स्तर या उच्चतर) बेरोजगार युवाओं में पुरुषों (62.2%) की तुलना में महिलाओं (76.7%) की हिस्सेदारी बड़ी है। इससे पता चलता है कि भारत में बेरोजगारी की समस्या तेजी से युवाओं, खासकर शहरी क्षेत्रों में शिक्षित युवाओं और महिलाओं के बीच केंद्रित हो गई है।

कांग्रेस ने इस रिपोर्ट को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है खरगे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया की रत में बेरोजगारी की समस्या गंभीर है. उन्होंने दावा किया ”हम बेरोज़गारी के ‘टाइम बम’ पर बैठे हैं. लेकिन मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार यह कहकर प्रिय नेता का बचाव करते हैं कि सरकार बेरोजगारी जैसी सभी सामाजिक,आर्थिक समस्याओं का समाधान नहीं कर सकती.”

काँग्रेस ने साधा निशाना

वही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया लिखा ‘भारत के कुल कार्यबल में जितने बेरोजगार हैं उनमें 83 प्रतिशत युवा हैं. प्रियंका गांधी ने दावा किया, ‘यही भाजपा सरकार की सच्चाई है. आज देश का हर युवा समझ चुका है कि भाजपा रोजगार नहीं दे सकती. और जयराम रमेश ने एक बयान में कहा ‘‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट द्वारा कल जारी ‘द इंडिया एंप्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024’ पिछले 10 साल के ‘अन्याय काल’ में भारत के श्रम बाजार को लेकर कुछ चिंताजनक तथ्य प्रस्तुत करती है.

रघुराम राजन ने जो कहा वही हुआ

दोस्तों आईएलओ की रिपोर्ट आने से एक दिन पहले ही देश के पूर्व आरबीआई गवर्नर और मशहूर इकोनॉमिस्ट रघुराम राजन ने कहा था कि भारत को अपनी इकोनॉमिक ग्रोथ के मजबूत होने की हाइप पर भरोसा नहीं करना चाहिए, ऐसा करना उसकी बड़ी भूल होगी. बजाय इसके भारत को अपनी इकोनॉमी में मौजूद बुनियादी समस्याओं को दूर करना चाहिए जैसा कि अपने एजुकेशन सिस्टम को ठीक करने पर ध्यान देना चाहिए.

कुछ इसी तरह की बात आईएलओ ने अपनी रिपोर्ट में कही है. आईएलओ का कहना है कि भारत में सेकेंडरी (दसवीं) के बाद लोगों का स्कूल छोड़ना अभी भी उच्च स्तर पर बना हुआ है खासकर के गरीब राज्यों में या समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों के बीच में इसका ट्रेंड जयादा देखने को मिलता है. वहीं हायर एजुकेशन के मामले में देश के अंदर काफी दाखिला होता है लेकिन इन जगहों पर शिक्षा का स्तर चिंताजनक है. स्कूल से लेकर हायर एजुकेशन लेवल तक भारत में बच्चों के बीच सीखने की क्षमता कम है.

दोस्तों कुल मिलाकर इस रिपोर्ट ने वही बताया है जो रोजमर्रा का अनुभव है। समस्या ये है की सरकार हकीकत के उलट कहानी बताने के प्रयासों में जुटी रहती है। कहती रहती है धर्म खतरे में है दोस्तों धर्म न खतरे में था और न है रोजगार खतरे में था और है और शायद आगे रहेगा अगर हालत यही रहे तो हम सभी को चुनाव के समय ये मुद्दा उठाना चाहिए आपकी इस पर क्या राय है हमे कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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