चुनावLoksabha Election 2024

Loksabha Election 2024: PM मोदी नही CM मोदी कर रहे है चुनाव प्रचार!

Loksabha Election 2024: 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए  भाजपा के बड़े नेता और देश के प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी  ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं  इस बार का चुनाव वादों और दावों की जगह गारंटी के भरोसे है  मुद्दों और असरदार नारों के अभाव में  चुनाव में उफान नहीं दिख रहा  और देश का शांत मतदाता  ना तो गारंटी की ओर  भरोसे से देख रहा हैं  और ना ही  भरोसे पर गारंटी देने का संकेत दे रहे हैं  और ना ही  किसी मुद्दा विशेष पर देश में बहस छिड़ी है यह तो खुद चुनाव आयोग ही मुद्दा बना हुआ है  खैर बहस  छिड़े भी कैसे  मेन स्ट्रीम मीडिया  और सरकार रोज  बहस का मुद्दा बदल देते है  और मोदीजी  साल 2014 की तरह  इस बार भी नारी शक्ति  सेना और 1984 के दंगे को आधार बनाकर अपने पक्ष में माहौल बना रहे हैं  और इसी के साथ बीजेपी का चुनाव  उन असली मुद्दों पर लौट आया है जिन पर वह दशकों से चुनाव लड़ती रही है  इसीलिए  प्रचार मे  वे सारे मुद्दे उठाए जाने लगे हैं

 पाकिस्तान की भी एंट्री हो गई है मुस्लिम लीग की भी एंट्री हो गई है तीन तलाक इटैलियन मानसिकता राम मंदिर  भारत घर में घुस कर मारता है  आतंकवादियों को मारने सीमा पार चले जाएंगे  और इन जैसे कितने ही मुद्दों की अब प्रचार में एंट्री हो गई है  इसके साथ ही भ्रष्टाचार पर हमला या 2047 तक भारत को  विकसित बनाने या तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का संकल्प  ये बातें भी हैं  लेकिन जिन मुद्दों पर  उसने अपना वोट आधार बनाया है और ध्रुवीकरण की राजनीति की है  उन मुद्दों की  किसी न किसी रूप में  चर्चा तो होती ही रहेगी  अब बात करते है  पहले मुद्दे की  

पहला मुद्दा राम मंदिर

राम मंदिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद  लोगों से रामनवमी के नाम पर वोट करने की अपील कर रहे हैं  प्रधानमंत्री मोदी ने  बिहार के नवादा में  एक चुनावी रैली में लोगों से कहा  कि वे याद रखें रामनवमी आ रही है और जिन्होंने पाप किया है  उनको वोट के जरिए सजा देनी है  और दूसरी ओर भाजपा  इस प्रचार में लगी है कि कांग्रेस और दूसरी तमाम विपक्षी पार्टियों ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का विरोध किया था  इसिलिए प्रधानमंत्री  इसे ही पाप बता कर इसकी सजा देने की अपील कर रहे थे

आपको पता ही होगा  अयोध्या में राममंदिर का निर्माण होने और रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के बाद  पहली रामनवमी आ रही है   और भारतीय जनता पार्टी इसे एक बड़ा आयोजन बना रही है  दूसरी खास बात यह है कि रामनवमी के दिन ही  पहले चरण के लिए प्रचार समाप्त होगा और दो दिन के बाद यानी 19 अप्रैल को 102 लोकसभा सीटों पर मतदान होगा और तीसरी बात यह है कि बिहार झारखंड से लेकर उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक  कई इलाके ऐसे हैं जहां रामनवमी के मौके पर हिंसक झड़प होती है या शांति भंग होती है  जुलूस की वजह से  कई जगह तनाव पैदा होता है जो कई दिन तक बना रहता है  उसी बीच पहले चरण का मतदान होना है  और चुनाव आयोग तो आँख कान बंद करके बैठा ही है  तो चुनाव आयोग से क्या ही उम्मीद करनी ? विपक्ष तो खुद चुनाव आयोग के कार्यालय के बाहर धरने पर बैठा है

दूसरा मुद्दा पाकिस्तान

चुनाव भारत मे हो  और भाजपा का चुनाव प्रचार हो तो वो  पाकिस्तान के बगैर पूरा नहीं होता है  अब चुनाव शुरू हुआ तो  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर भारत में आतंकवादी किसी गतिविधि को अंजाम देकर पाकिस्तान भाग जाते हैं तो भारत पड़ोसी देश में घुस कर उनको मारेगा इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  खुद  मुस्लिम लीग की प्रचार में एंट्री कराई  उन्होंने कहा  कि कांग्रेस के घोषणापत्र पर  मुस्लिम लीग की पूरी छाप है आप खुद ही देखिए  पहले दिन बीजेपी कहती है  कि कांग्रेस सपने बेच रही  या चमत्कार कर देने का वादा कर रही है  लेकिन उसके एक दिन बाद  पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में  मोदी ने उस पर  मुस्लिम लीग की छाप बताई  इसी तरह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राजस्थान में  एक कार्यक्रम में अनुच्छेद 370 को लेकर बयान दिया तो केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यह इटैलियन संस्कृति का असर है कि कांग्रेस को भारत के बारे में पता नहीं होता  इसके अलावा और भी कई भावनात्मक मुद्दे हैं जिनकी एंट्री चुनाव प्रचार में किसी न किसी रूप में हो गई है और इस तरह से 10 साल की उपलब्धियों का लेखा जोखा देकर वोट मांगने के बजाए  ध्रुवीकरण कराने वाले मुद्दे उठाए जा रहे हैं असल में पीएम मोदी ने  साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सेना दंगे और महिला अपराधों को ढाल बनाया था  इस बार भी पीएम मोदी रैलियों में इन्हीं बातों को प्रमुखता से उठा रहे हैं  और यकीन ना हो तो  उत्तर प्रदेश के सहारनपुर  और पीलीभीत में की गई रैलियों में पीएम मोदी की कही गई बातें इसकी तस्दीक करती हैं  इसमें उन्होंने नारी शक्ति सेना और साल 1984 में हुए दंगे में सिखों के मारे जाने का मुद्दा उठाते हुए जनता से अपने पक्ष में मतदान करने की अपील की  क्योंकि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी पीएम पद के उम्मीदवार थे  इस दौरान हरियाणा के रेवाड़ी में आयोजित रैली में उन्होंने वीर सैनिकों  तथा पूर्व-सैनिकों को अपनी श्रद्धांजलि देकर पाकिस्तान से शांति का अनुरोध किया  उस समय जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में आतंकवादी हमले में कई जवान शहीद हो गए थे  यह मुद्दा भाजपा के पक्ष में रहा  और भाजपा ने 10 में से 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी

विपक्ष के पास नहीं कोई अपना मुद्दा

अगर विपक्ष की बात करें  तो किसी भी मुद्दे को  केंद्र में लाने की विपक्षी गठबंधन की तमाम कोशिशें सिरे नहीं चढ़ी हैं। विपक्षी गठबंधन के नेता लालू प्रसाद की पीएम मोदी पर व्यक्तिगत टिप्पणी के खिलाफ भाजपा ने मोदी का परिवार अभियान चलाया  वहीं विपक्षी गठबंधन कभी केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग कभी चुनावी बॉन्ड में भ्रष्टाचार तो कभी केंद्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है लेकिन अफसोस विपक्ष के पास कोई मुद्दा ही नहीं है  बल्कि वह सत्ता पक्ष के मुद्दों को ही हवा दे रहा है   ऐसा लग रहा है  की विपक्ष पक्ष का ही प्रचार कर रहा है और यही हालात रहे तो कही ऐसा न हो की विपक्ष 400 पार नामक सीढ़ी तोड़ने की बजाय  उसमे और जोड़ न दे  क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव 2019 के समय भी   भाजपा के पास इतने मुद्दे नहीं थे  जितने इस बार हैं  अगर पुलवामा न होता और मोदी सरकार दो सप्ताह के अंदर पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादियों के कैंप पर हमला न करती तो भाजपा को बहुमत नहीं मिलता  और वही दूसरी और  कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल देश की भावनाओं को समझते होते तो बालाकोट के सबूत नहीं मांगते  राष्ट्र सुरक्षा और सेना के दावों से जुड़े मुद्दों पर सबूत नहीं मांगे जाते।  घर में घुसकर मारने के डायलॉग ने  मोदी जी को देश का इतना बड़ा हीरो बना दिया कि उनके नाम पर भाजपा 282 से बढ़कर 303 हो गई  लेकिन विपक्ष ने  उस गलती से कोई सबक नहीं सीखा  वह इस चुनाव में भी  लद्दाख में चीनी सेना के कब्जे का सवाल उठाकर भारतीय सेना की क्षमता पर फिर सवाल उठा रही है  हालांकि भारतीय सेना ने  कांग्रेस के इन आरोपों का पूरी तरह खंडन किया है  लेकिन कांग्रेस की ओर से सवाल दागा जाना जारी है

काँग्रेस खुद मोदी का कर रही प्रचार !

विपक्ष  खासतौर से कांग्रेस  राष्ट्रवाद के प्रति देश की जनता खासकर हिन्दुओं की भावनाओ को नहीं समझ पा रही  अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जम्मू कश्मीर से 370 हटाए जाने वाले मुद्दे को लोकल मुद्दा बताकर सेल्फ गोल कर लिया है  जिस कांग्रेस ने 370 हटाए जाने का विरोध किया था और लोकसभा में कहा था कि कश्मीर का मसला क्योंकि संयुक्त राष्ट्र में है इसलिए भारत को 370 हटाने का अधिकार ही नहीं है जो सत्ता में आने पर दुबारा 370 लागू करने की बात कहती रहती है वह अब उसी मुद्दे को लोकल मुद्दा बता रही है ऐसा लगता है की विपक्ष और कांग्रेस  सही समय पर सही मुद्दा पहचानने की क्षमता खो चुके है

 कांग्रेस को शायद अब तक यह समझ ही नहीं आया कि जम्मू कश्मीर का अनुच्छेद 370 संविधान लागू होने के बाद से ही सारे देश का मुद्दा बना हुआ था। 370 के कारण जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग नहीं बन सका था क्योंकि संसद से पारित कोई भी क़ानून जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होता था। जम्मू कश्मीर के दलितों और पिछड़ों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता था बंटवारे के समय पाकिस्तान से आए लोगों को वोटिंग का अधिकार नहीं मिलता था जम्मू कश्मीर की बेटियों को बाहर शादी करने पर प्रॉपर्टी में अधिकार नहीं मिलता था। जम्मू कश्मीर के साथ देश की जनता की भावनाएं जुडी हुई हैं और कांग्रेस अध्यक्ष कहते हैं कि वह तो लोकल मुद्दा है।

मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान ने  खुद मोदी और बीजेपी के मुद्दे में  प्राण फूंक दिए हैं इससे पहले कश्मीर फाइल्स फिल्म का विरोध करके  कांग्रेस ने कश्मीरी पंडितों के जख्म भी हरे कर दिए थे  राम मन्दिर को भी  कांग्रेस ने खुद  अपने खिलाफ चुनावी मुद्दा बनने दिया  वैसे रामजन्मभूमि का निर्माण चुनावी मुद्दा बनना ही था लेकिन उसके प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम के बहिष्कार का बयान जारी करके कांग्रेस ने अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार ली  कांग्रेस राष्ट्र की भावना के मुद्दों को समझने में  फिर से भयंकर गलती कर रही है  2014 के बाद 2019 हारने के बाद भी कोई सबक नहीं सीखा।  और इसी के चलते  कम से कम एक दर्जन कांग्रेसी नेताओं ने कांग्रेस छोड़ते हुए रामजन्मभूमि मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा के बहिष्कार को कांग्रेस छोड़ने को कारण बता कर देश को याद दिलाया है कि कांग्रेस हिन्दू विरोधी है।

पिछले दस साल के अनुभव से उन्हें यह समझ लेना चाहिएकि भारत के गैर संघी और गैर भाजपाई हिन्दुओं को ऐसा लगने लगा है  कि मोदी एक एक कर उन गलतियों को सुधार रहे हैं  जो आज़ादी से पहले या आज़ादी के बाद  मुगल ब्रिटिश और भारतीय शासकों ने की थीं   तमिलनाडु के द्रमुक नेताओं ने जब सनातन धर्म को कोरोना जैसी बीमारी कहा था  तो कांग्रेस ने उसके खिलाफ स्पष्ट स्टैंड नहीं लिया था। ठीक चुनावों के वक्त ब्रिटेन के गार्डियन अखबार ने  पाकिस्तान के हवाले से उन 20 इस्लामिक और खालिस्तानी आतंकियों की लिस्ट छापी है जिनकी पिछले तीन साल में पाकिस्तान में हत्या हुई है भारत सरकार भले ही इसका खंडन करे भारत का हर नागरिक इस खबर को सच मानता है और इसे मोदी की घर में घुसकर मारने वाली नीति का नतीजा बता रहा है और इस खबर ने  दुश्मन के घर में घुस कर मारने वाले  मोदी के बयान की पुष्टि करके विपक्ष की नींद वैसे ही हराम कर दी है  जैसे पिछले लोकसभा चुनाव के समय बालाकोट में घुसकर पाकिस्तान के आतंकी ठिकाने नष्ट करने की घटना ने की थी

लेकिन इन मुद्दों से जनता को क्या मिलेगा  और अगर चुनाव असल मे मुद्दा विहीन रहा तो हार-जीत तय करने में  स्थानीय मुद्दे अहम भूमिका निभाएंगे  जो भी दल स्थानीय समीकरण साधेगा  जिसका चुनाव management  बेहतर होगा वह बाजी मार लेगा  पर अफसोस पक्ष ओर विपक्ष दोनों में ही असली मुद्दे गायब है ना  तो पक्ष  और ना ही विपक्ष  महंगाई  बेरोजगारी  भ्रष्टाचार  आदि मुद्दे उठा रहा है  खैर इस पर  आपकी क्या राय है हमे कमेन्ट बॉक्स मे कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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