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Social Media: भ्रामक विज्ञापन दिखाने पर लगेगा 10 से 50 लाख रुपए तक का जुर्माना

Social Media: अब नामी हस्तियां किसी भी वस्तु या सेवा को पहले खुद परखे बिना उनका विज्ञापन नहीं कर सकेंगी। Social Media उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने मशहूर हस्तियों और सोशल मीडिया पर असर डालने वालों के लिए विज्ञापन संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

Social Media: अब नामी हस्तियां किसी भी वस्तु या सेवा को पहले खुद परखे बिना उनका विज्ञापन नहीं कर सकेंगी। Social Media उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने मशहूर हस्तियों और सोशल मीडिया पर असर डालने वालों के लिए विज्ञापन संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। Social Media  उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि उत्पाद और सेवा का विज्ञापन करने वाले को उसके उपयोग का अनुभव होना चाहिए। उपभोक्ता भी गलत और भ्रामक जानकारी देने वालों पर कानूनी कार्रवाई की मांग कर सकता है।  

पहली बार 10 लाख और दूसरी बार 50 लाख रुपये का जुर्माना
नियमों का उल्लंघन करने वालों पर पहली बार 10 लाख और दूसरी बार 50 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा और बार-बार ऐसा करने पर विज्ञापन करने पर रोक भी लग सकती है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 अनुचित व्यापार प्रथाओं और भ्रामक विज्ञापनों के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है। मंत्रालय के अनुसार, इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोग उत्पादों या सेवाओं का विज्ञापन करते समय श्रोताओं एवं दर्शकों को गुमराह न करें। विज्ञापन, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम व दिशा निर्देशों के अनुरूप हों।

Social Media सख्त दिशा-निर्देश की जरूरत


सचिव ने ‘एंडोर्समेंट नो-हाउ!’ शीर्षक से नए दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि तेजी से बढ़ती डिजिटल दुनिया को देखते हुए सख्त दिशा-निर्देश समय की जरूरत हैं। विज्ञापन अब पारंपरिक मीडिया तक सीमित नहीं हैं। फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया की बढ़ती पहुंच के साथ, Social Media मशहूर हस्तियों और सोशल मीडिया प्रभावित करने वालों के अलावा वर्चुअल तौर पर प्रभावित करने वालों में भी वृद्धि हुई है।

नामी हस्तियां कर रहीं ऑनलाइन गेमिंग रम्मी ऐप का प्रचार
नए नियमों के मुताबिक किसी उत्पाद या सेवा का ​​विज्ञापन उसके बारे में पर्याप्त जानकारी या अनुभव पर आधारित होना चाहिए. ये नियम ऐसे समय में लागू किए गए हैं जब कई लोकप्रिय अभिनेता और खिलाड़ी ऑनलाइन गेमिंग और रम्मी ऐप, तंबाकू और शराब जैसे उत्पादों का विज्ञापन कर रहे हैं. Social Media उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव निधि खरे ने कहा, ‘एक महत्वपूर्ण पहलू यह है Social Media कि क्या उत्पादों का समर्थन करने वाली हस्तियों ने किसी उत्पाद या सेवा के बारे में उचित जानकारी हालिस की है, उसके बारे में पूछताछ की है, जिसके लिए वे अपनी सेलिब्रिटी स्टेटस या इमेज का उपयोग कर रहे हैं.’

विज्ञापन में स्पष्ट जानकारी देनी होगी  
मंत्रालय ने नए दिशा-निर्देशों में कहा है कि किसी भी विज्ञापन में स्पष्टीकरण को प्रमुखता से और साफ-साफ शब्दों में प्रदर्शित किया जाना चाहिए, Social Media ताकि लोग उन्हें देखने से न चूकें। Social Media नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक विज्ञापन सरल, स्पष्ट भाषा में किया जाना चाहिए और किसी भी उत्पाद के प्रचार के लिए ‘विज्ञापन’, ‘प्रायोजित’ या ‘सशुल्क प्रचार’ शब्द का उपयोग किया जा सकता है। हस्तियों को ऐसे किसी भी उत्पाद या सेवा और कार्य का विज्ञापन नहीं करना चाहिए, जिसमें मूल बातों को उनके द्वारा उचित तरीके से व्यक्त न किया गया हो या जिसे उन्होंने व्यक्तिगत रूप से इस्तेमाल अथवा अनुभव नहीं किया हो।

तेजी से बढ़ रहा सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बाजार
 उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव रोहित कुमार ने कहा, यह दिशा-निर्देश इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि 2022 में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बाजार 1,275 करोड़ का है Social Media जो कि केवल दो साल 2025 में 19-20 फीसदी की दर से बढ़कर 2,800 करोड़ का होने का अनुमान है। Social Media कुमार ने बताया कि मौजूदा समय में सोशल मीडिया प्रभाव का जिनके पास अनुभव और जिनके खासे अनुयायी हैं, Social Media उनकी संख्या लाखों में हैं। जून 2022 में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण-सीसीपीए ने भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश के लिए और ऐसे विज्ञापनों के अनुमोदन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे।

तंबाकू कंपनियां ऐसे विज्ञापनों को बढ़ावा देती हैं


नए नियमों के मुताबिक उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण द्वारा भ्रामक विज्ञापनों का समर्थन करने वाली हस्तियों पर ₹10 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. Social Media नियमों का बार-बार उल्लंघन करने पर ₹50 लाख तक का जुर्माना और 5 साल तक जेल की सजा का प्रावधान है. Social Media हालांकि, नए दिशानिर्देश किसी विशेष सेलिब्रिटी को परिभाषित नहीं करते हैं. इस शब्द को आमतौर पर एक प्रसिद्ध व्यक्ति, जैसे अभिनेता या खिलाड़ी के रूप में समझा जाता है. Social Media एक विज्ञापन को गैर-भ्रामक और वैध तभी माना जाएगा जब वह नए नियमों में निर्धारित मानदंडों को पूरा करेगा. सरोगेट विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाया गया है. शराब और तंबाकू कंपनियां ऐसे विज्ञापनों को बढ़ावा देती हैं और सोडा, इलायची या माउथफ्रेशनर की आड़ में अपने उत्पाद का प्रचार करती हैं.

क्या होते हैं सरोगेट विज्ञापन

‘सरोगेट’ विज्ञापन ऐसे विज्ञापन होते हैं, जिसमें प्रोडक्ट के बारे में सीधे बता न करते हुए उसे किसी दूसरे ऐसे ही प्रोडक्ट या पूरी तरह अलग प्रोडक्ट के तौर पर दिखाया जाता है। Social Media जैसे सोडा वाटर के बहाने शराब का प्रचार करना या इलायची के बहाने गुटखे का प्रचार करना।

सीसीपीए (CCPA) अधिनियम में हैं प्रावधान

उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने इन दिशानिर्देशों की घोषणा करते हुए कहा कि ‘‘विज्ञापनों में उपभोक्ता काफी दिलचस्पी लेते हैं। सीसीपीए अधिनियम के तहत, उपभोक्ताओं के अधिकारों को प्रभावित करने वाले भ्रामक विज्ञापनों से निपटने का प्रावधान है।’’ Social Media उन्होंने यह भी कहा कि विज्ञापन उद्योग को अधिक स्पष्ट और जागरूक बनाने के लिए, सरकार आज से निष्पक्ष विज्ञापन के लिए दिशानिर्देश लेकर आई है।’’

14 कपनियों ने लिए अपने विज्ञापन वापिस 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उपभोक्ता मामलों की अतिरिक्त सचिव निधि खरे ने कहा, “नोटिस के बाद, 14 कंपनियों ने अपना विज्ञापन वापस ले लिया था, जिनमें से ज्यादातर कंपनियों ने कोविड या कीटाणुओं के खिलाफ 99 प्रतिशत से अधिक प्रभावकारिता का दावा किया था. इसके बाद तीन कंपनियों ने सुधारात्मक विज्ञापन भी जारी किए.”

नापतोल जैसी जानी-मानी कंपनियों पर लगा है जुर्माना  

भ्रामक विज्ञापनों के लिए तीन कंपनियों पर 10,00,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था. विभाग की मानें तो जिन ब्रांडों को सीसीपीए से नोटिस मिले हैं, उनमें नापतोल भी शामिल है. दरअसल, Naaptol, अपने लाइव टीवी और YouTube Social Media प्रसारण के माध्यम से, अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए अनुचित तरीकों का उपयोग कर रहा था. इसमें कहा जा रहा था कि उनका प्रोडक्ट लिमिटेड समय के लिए ही अवेलेबल है ताकि लोग प्रेशर में आकर जल्द निर्णय ले लें. 

एक और विज्ञापन जिसने बिना किसी वैज्ञानिक विश्वसनीयता रिपोर्ट के अपने उत्पाद के बारे में झूठे दावे किए थे. उन्होंने अपने विज्ञापन में घुटनों के दर्द से राहत के लिए चुंबकीय घुटने का समर्थन किया था. इसमें एक्यूप्रेशर योगए चप्पल, एक्यूप्रेशर मालिश चप्पल और यहां तक ​​कि 200 रुपये के कुछ सोने के आभूषण भी शामिल थे.

इन पर 10-10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, जबकि तीन विज्ञापनदाताओं को विज्ञापन बंद करने का आदेश दिया गया.

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