राजनीति

Parliament Special Session: संसद के विशेष सत्र में क्या होगा ? क्या एजेंडा बताना होता है जरूरी?

Parliament Special Session: देश की पहली सरकार है,, जो राजनीति को छायावाद के युग में ले आयी है ।, देश की संसद का विशेष सत्र शुरू होने वाला है, लेकिन विपक्ष को तो छोड़िये केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्यों तक को ,,पता नहीं है कि इस विशेष सत्र की कार्यसूची क्या है ? ये पहली सरकार है ,,जो बाकायदा क्लास लगाकर अपने मंत्रियों से कहती है कि उन्हें संसद के बाहर किस विषय पर बोलना है और किस विषय पर नहीं। सरकार के इस छायावाद के पीछे क्या उद्देश्य है ये समझना बहुत मुश्किल है।

संसद का विशेष सत्र गणेश चतुर्थी के दिन आयोजित किया गया है । ये भी पहली बार हो रहा है कि देश में संसद का कोई सत्र, अवकाश के दिन आयोजित किया जा रहा हो।, गणेश चतुर्थी उत्तर भारत का सबसे बड़ा त्यौहार है किन्तु सरकार ने इस बात को ताक पर रख दिया ,,और विशेष सत्र के लिए नए संसद भवन के श्रीगणेश के लिए इसी दिन को तय किया। देश की अनेक राजनीतिक पार्टियों ने सरकार के इस फैसले पर सवाल भी किया । आलोचना भी की लेकिन देश की मजबूत और निर्भीक सरकार, अपने फैसले से एक इंच भी नहीं डिगी।

विशेष सत्र बुलाने का क्या है नियम ?

दोस्तों पहले हम बात कर लेते है ,,की आखिर क्या नियम है विशेष स्तर बुलाने का संसद का सत्र बुलाने का अधिकार ,केंद्र सरकार के पास होता है। ,,संसद सत्र बुलाने का निर्णय संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति लेती है। ,,कैबिनेट के प्रस्ताव को राष्ट्रपति औपचारिक मंजूरी देते हैं। ,,राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ,,संसद का सत्र बुलाया जाता है।, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 85 (1) में लिखा है कि,, राष्ट्रपति जब भी उचित समझें संसद के किसी भी सदन को बैठक के लिए बुला सकते हैं।, बता दें कि भारत में कोई तय संसदीय कैलेंडर नहीं होता है।, संसद की बैठक एक वर्ष में तीन सत्रों के लिए होती है।, संविधान में कहीं भी विशेष सत्र शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है।

साल का पहला सत्र बजट सत्र होता है,, और यह सत्र सबसे अधिक समय तक चलता है।, यह सत्र जनवरी के आखिर में शुरू होता है और अप्रैल महीने के आखिर तक चलता है। ,,दूसरा सत्र मानसून सत्र है ,,जो तीन सप्ताह तक चलता है।, यह जुलाई में शुरू होता है और अगस्त महीने में खत्म हो जाता है।, संसदीय वर्ष का समापन ,,शीतकालीन सत्र से होती है। ,,यह सत्र भी तीन हफ्ते तक चलता है। शीतकालीन सत्र नवंबर में शुरू होता है और दिसंबर में खत्म हो जाता है। ,,संविधान के मुताबिक संसद के दो सत्रों के बीच में छह महीने से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए।, संसद के इन तीन सत्र के अलावा बुलाये जाने वाले सत्र को विशेष सत्र कहते है। विशेष सत्र बुलाने की परिस्थिति में सरकार सदन के हर सदस्य को तारीख और जगह बताती है।

क्या कहता है संविधान का नियम ?

संविधान का नियम कहता है कि,, संसद सत्र को बुलाने की सूचना 15 दिन पहले देनी होती है। ,,हालांकि संसद सत्र से पहले एजेंडा बताना अनिवार्य नहीं होता है।, संसदीय परंपरा के तहत ,,सरकार संसद की बैठक के एक दिन पहले ,,बुलेटिन जारी कर एजेंडा की जानकारी देती है।, सरकार के पास अधिकार होता है कि,, वह पहले से तय एजेंडा को भी बदल सकती है।,,पहले कई बार सरकार ने ,,संसद सत्र के दौरान एजेंडा बदल चुके है। ,,2019 में मानसून सत्र के दौरान ,,जम्मू-कश्मीर में अनुछेद 370 हटाने और,, राज्यों का पुनर्गठन करने से जुड़ा विधेयक पेश करने के दौरान,, एजेंडा बदल दिया था। इन विधेयकों की जानकारी ,,सदन में मौके पर दी गई थी।


संसद का विशेष सत्र तब बुलाया जा रहा है,, जब देश के ऊपर कोई संकट नहीं है । ,,कोई ऐसा कारण नहीं है ,,जिसके लिए इस सत्र को बुलाया गया । ,,विपक्ष ने या किसी और दल ने,, संसद का विशेष सत्र ,,आहूत करने की मांग भी नहीं की ।, देश में जी-20 समूह की बैठक की तैयारियां भी चल रहीं हैं ,,फिर भी संसद का विशेष सत्र बुलाया जाना,, और उसकी कार्यसूची को अब तक ,,सार्वजनिक न किया जाना ,,पूरे मामले को रहस्यमय बना रहा है। ,,सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्या है ,,जो सरकार देश से छिपा रही है ?

सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी

संसदीय इतिहास के इस खुफिया विशेष सत्र को लेकर,, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने ,,प्रधानमंत्री मोदी को एक चिट्ठी लिखी है,, और महंगाई, भारत-चीन सीमा विवाद और मणिपुर जैसे 9 मुद्दों पर चर्चा की मांग की है। ,,विशेष सत्र 18 सितंबर से 22 सितंबर तक चलेगा।, पहले दिन का कामकाज पुरानी बिल्डिंग में होगा,, लेकिन दूसरे दिन से सभी सांसद नए भवन में बैठेंगे।, इस विशेष सत्र में पहला अवसर होगा,, जब विपक्ष एक नयी शक्ल में संसद पहुंचेगा । ,,विपक्षी गठबंधन इंडिया में शामिल 28 में से,, 24 दल संसद के विशेष सत्र में शामिल होंगे। ,,विपक्ष का कहना है कि,, मोदी सरकार पहली बार बिना एजेंडा बताए ,,संसद का विशेष सत्र बुला रही है। ,,किसी भी विपक्षी दल से न तो सलाह ली गई,, और न ही जानकारी दी गई है।,,जाहिर है की सरकार विपक्ष के एजेंडे पर नहीं ,,बल्कि अपने खुफिया एजेंडे पर काम करेगी ,,और इसी को लेकर संसद का विशेष सत्र भी हंगामे की भेंट चढ़ेगा ।, सरकार चाहती भी यही है कि ,,संसद के हंगामे के बीच वो अपनी खुफिया कार्यसूची पर ,,ध्वनिमत से प्रस्तावों यानि ,,विधेयकों को पारित करा ले।

संसद के विशेष सत्रों की परंपरा क्या है ?

राजनीति को रहस्य की चादर में लपेटने वाले,, देश के भाग्यविधाताओं के मन में क्या है,, ये जानना अब किसी ज्योतिषी ,,किसी बाबा-वैरागी के बूते की भी बात नहीं है। ,,सरकार किन विषयों को विशेष सत्र में लेकर ,,देश को चौंकाना चाहती है ,,ये कोई भी नहीं जानता ।, सरकार को इतनी गोपनीयता बरतने ,,की क्या जरूरत आन पड़ी ,,ये भी समझ से परे है। ,,कभी -कभी लगता है कि ,,जैसे देश की सरकार बहुमत की सरकार न होकर,, पीसी सरकार के जादू का तम्बू है। ,,जिसमें होने वाले करतब को केवल जादूगर ही जानता है। ,,जादूगर चौंकाता भी है और मनोरंजन भी करता है ।, सरकार इसमें से क्या करना चाहती है,, ये मोहन भागवत ने भी इंगित नहीं किया।


संसद के विशेष सत्रों की एक परम्परा रही है,, कि सत्र बुलाने की घोषणा के साथ ही,, संसदीय कार्यमंत्री संसद की कार्यसूची को भी सार्वजनिक करते है।, वे ऐसा इसलिए करते हैं ,,ताकि विपक्षी दल भी अपनी-अपनी तैयारी कर लें,, इस बार विपक्ष को भरोसे में लिया ही नहीं गया। ,,सरकार के हिसाब से विपक्ष भरोसे में लेने के लायक है ही नहीं।, जिस देश में विपक्ष का इतना मान-मर्दन हो रहा हो ,,उस देश में लोकतंत्र कि क्या दशा होगी,, आप कल्पना कर सकते हैं ?

पीएम मोदी ने क्या कहा मंत्रियों से

अब विपक्ष केवल विपक्ष न होकर ,,सरकार को एक शत्रु सेना दिखाई दे रही है।, विपक्ष से सब कुछ छिपाने का,, और क्या मकसद हो सकता है । विपक्ष की ताकत सीमित है ।, विपक्ष सरकार को गिरा नहीं सकता। ,,संसद के पिछले सत्र में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान ,,ये साबित हो चुका है ,,लेकिन सरकार है कि विपक्ष से डरी हुई है ,,संसद के विशेष सत्र से पहले मंत्रीमंडल की बैठक में ,,प्रधानमंत्री ने मंत्रिमंडल के सदस्यों को जिस तरह से ,’ क्या करें और क्या न करें ‘ ,,की हिदायतें दीं हैं,, उससे लगता है कि कुछ न कुछ ‘ ‘ होने वाला है।, प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रियों से कहा है कि,, वे जी -20 समूह की बैठक और ‘ इंडिया बनाम भारत ‘ के विवाद पर,, कुछ न बोलें।, मोदी ने मंत्रियों को सनातन धर्म विवाद पर बोलने की छूट दी। ,,लेकिन कहा कि आपका जवाब मुद्दे पर आधारित होना चाहिए,, संविधान किसी भी धर्म की अपमान की इजाजत नहीं देता।


अब देखने की बात ये है की ,,देश में अमृतकाल चल रहा रहा है ,,इस अमृतकाल में विशेष सत्र बुलाकर ,,सरकार देशवासियों को कौन सा अमृत देना चहा रही है ,,इसके लिए तो विशेष स्तर तक इंतजार करना पड़ेगा ,,क्योंकि इससे पहले तो ,,सरकार ये रहस्यमय पर्दा नहीं उठाने वाली है ,,आपको क्या लगता है ,,क्या होगा विशेष सत्र में ,,अपनी राय कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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