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Arvind Kejriwal: जेल जाने को तैयारी कर रहे है, अरविंद केजरीवाल!

Arvind Kejriwal: सीएम अरविन्द केजरीवाल अपने भ्रष्टाचार और घोटालों की वजह से ed की रडार पर है ed कभी भी केजरीवाल को गिरफ्तार कर सकती है बस सही मौके की तलाश में है ईसी बीच आम आदमी पार्टी बार बार ये दावा कर रही है अगर ed केजरीवाल को गिरफ्तार करती है तो तब भी वो अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे jail से ही सरकार चलाएंगे क्या ये कानूनी तौर पर संभव है ?

दोस्तों आम आदमी पार्टी ने, मंगलवार को कहा कि वह दिल्ली, पंजाब और देश के अन्य हिस्सों के पार्टी कार्यकर्ताओं का जनमत संग्रह कराएगी कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपने पद से हट जाना चाहिए या फिर सीएम पद पर बने रहना चाहिए और जेल से सरकार चलानी चाहिए।

केजरीवाल के नजदीकी आप नेता दुर्गेश पाठक ने कहा “आप दिल्ली और देशभर में नुक्कड़ सभाएं करेगी और जनमत संग्रह कराने के लिए घर-घर जाएगी।” “सीएम ने एमसीडी पार्षदों से मुलाकात की , बैठक में सीएम ने कहा कि वह इस मामले पर पंजाब और देशभर में आप के संगठन से भी चर्चा करेंगे। उसके बाद इस मसले पर फैसला लिया जाएगा। इसके साथ ही बैठक में फैसला लिया गया कि इसी मामले पर दिल्ली और पूरे देश में जनमत संग्रह कराया जाएगा। जनता जनसंवाद में जुटेगी क्या अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के सीएम पद से इस्तीफा दे देना चाहिए या तिहाड़ जेल से सरकार चलानी चाहिए।” आप के पार्षद और विधायक देश भर में अभियान चलाकर लोगों की राय जुटाएंगे।

आम आदमी पार्टी केजरीवाल पर जनमत संग्रह क्यों कराना चाहती है?

दोस्तों आम आदमी पार्टी की यह राजनीतिक पैंतरेबाजी कोई गूढ़ रहस्य नहीं है,, जो लोगों को समझ में न आ सके। पार्टी हर तरह से 2024 के लोकसभा चुनाव और इस समय विधानसभा चुनाव में हमदर्दी पाने के लिए नए-नए पैंतरे अपना रही है। जनमत संग्रह का नतीजा भी सभी को पहले से मालूम है।, जाहिर है कि जनमत संग्रह केजरीवाल को देश का सबसे लोकप्रिय नेता बना देगी। इंडिया अंगेस्ट करप्शन अभियान के दौरान अपनाई गई फोन कॉल रणनीति को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।

बहरहाल, भाजपा ने आप पर ईडी के समन पर,, नाटक करने का आरोप लगाया है। दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा, ‘पिछले दो दिनों से AAP यह धारणा बनाने की कोशिश कर रही है, कि केजरीवाल एक जिन्दा शहीद हैं लेकिन आप नेताओं को पता होना चाहिए कि दिल्लीवासी जानते हैं कि केजरीवाल कथित शराब घोटाले में शामिल हैं।, ऐसा प्रतीत होता है कि कर्म केजरीवाल को परेशान कर रहे हैं क्योंकि वह जानते हैं कि घोटाले का पैसा उनके दरवाजे तक पहुंच जाएगा इसलिए वह अब अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों को एक साथ रखने के लिए बैठकों में बुला रहे हैं।

सोमवार को दिल्ली में आप विधायकों ने एक बैठक में केजरीवाल के प्रति अपना समर्थन दोहराया और दावा किया कि अगर केजरीवाल को जांच एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार किया जाता है तो दिल्ली सरकार तिहाड़ जेल से चलेगी और कैबिनेट बैठकें जेल से होंगी।

आखिर क्या है इस रणनीति का मतलब?

अभी तक जो मुख्यमंत्री सत्ता में रहते हुए जेल गए हैं उन्होंने तुरंत ही अपने पद से इस्तीफा देकर दूसरे को मुख्यमंत्री बनाया है. आम आदमी पार्टी लेकिन कह रही है कि ऐसा नियम संविधान में नहीं लिखा है सो वह केजरीवाल को ही मुख्यमंत्री बनाए रखेगी. हालांकि, संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि यह अव्यावहारिक और बचकानी बात है प्रजातंत्र की परंपरा के भी खिलाफ है और इससे एक गहरा संकट पैदा हो जाएगा.

सत्ता में रहते हुए लालू प्रसाद यादव और जयललिता जेल जाने गए है . जयललिता भी मुख्यमंत्री थीं जब जेल गयीं और तब उन्होंने अपना पद दूसरे को दे दिया था लालू प्रसाद भी जेल गए तो उन्होंने अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बना दिया. पूर्ववर्ती जो उदाहरण हैं जिसको लोकतंत्र का डेमोक्रेटिक सिद्धांत कहिए या डेमोक्रेटिक नैतिकता कहिए या परंपरा कहिए उसके अनुरूप तो यही है कि मुख्यमंत्री जब जेल जाते हैं तो उनको अपना पद त्याग देना चाहिए. किसी दूसरे को मुख्यमंत्री बना देना चाहिए.

जहां तक कानूनी पहलू है तो कहीं ये लिखा तो नहीं है अगर कोई मुख्यमंत्री है और वह जेल चला गया तो वह अपना काम जेल से नहीं कर सकता है लोकतंत्र में बहुत सारी चीजें परंपरा से चलती हैं उसमें बहुत जरूरी नहीं होता कि हर चीज लिखित ही मिले खासकर संविधान में बहुत सारी बातें नहीं लिखी हैं

अगर कोई मुख्यमंत्री कहता है कि वह परंपरा को नहीं मानता और जेल से ही शासन चलाएगा तो दिक्कतें क्या-क्या आ सकती हैं इस पर विचार करना चाहिए. कोई भी मुख्यमंत्री अगर कैबिनेट डिसिजन लेना चाहे तो कैबिनेट मीटिंग करनी होगी. यह जेल में तो हो सकती नहीं है. जेल में तो कैदी ही जाएंगे. अब मंत्री लोग तो जेल में जा नहीं सकते हैं. तो कैबिनेट की मीटिंग नहीं हो सकती.

लोकतांत्रिक परंपरा और संवैधानिक रीतियों के होगा खिलाफ

दूसरे, अधिकारी भी अगर बैठक करना चाहें तो मुख्यमंत्री के साथ बैठक संभव नहीं होगी. बहुत ऐसे मामले है जिसमें केवल आदेश देना है,, उसमें तो माना जा सकता है कि वह कागज पर दस्तखत कर भेज सकते हैं लेकिन बहुत सारी ऐसी समितियां हैं कैबिनेट की मीटिंग है बहुत सारे ऐसे मामले होते हैं जैसे विधायकों की मीटिंग है तो वो भी जेल में नहीं जा सकते. जेल में तो दो ही तरह के लोग जा सकते हैं. एक तो जो कोर्ट के आदेश से कैदी है या फिर जो विजिटर है. विजिटर की कैटेगरी है यह तय है कि वे कब मिलेंगे कितनी देर मिलेंगे तो ये अधिकारी,, कैबिनेट के उनके मिनिस्टर्स वगैरह विजिटर तो हैं नहीं कि वहां जाकर मुख्यमंत्री से मिल लें.

इस तरह जेल में रहकर सरकार को चलाना अव्यावहारिक भी है और संभव भी नहीं है. यह जिद कि कहीं लिखा नहीं हुआ है तो मैं जेल से चला लूंगा यह न तो परंपरा के अनुकूल है न ही डेमोक्रेटिक नियमों और सिद्धांतों के अनुरूप है और यह व्यावाहारिक भी नहीं है. ऐसा बचकानापन अरविंद केजरीवाल को नहीं करना चाहिए.

मुख्यमंत्री के बिना कोई फैसला नहीं हो सकता कैबिनेट मीटिंग नहीं हो सकती आदेश पारित नहीं हो सकते हैं. मंत्री के बिना तो सारे फैसले हो सकते हैं. कोई भी अधिकारी जेल में नहीं जा सकता है. संभव नहीं है. ईडी के समन का जहां तक सवाल है तो वह उसका अपना विवेक और निर्णय है. केजरीवाल को ईडी गिरफ्तार कर भी सकती है नहीं भी कर सकती है. ये तो उनका अपना फैसला है.,

बेहतर तो यही होगा कि लोकतांत्रिक परंपरा को चलाएं. संविधान में तो यह भी नहीं लिखा है कि एमएलए-एमपी का क्या अधिकार होगा मंत्री-मुख्यमंत्री का क्या अधिकार होगा. यह तो परंपराओं से ही चल रहा है. अपने अहंकार के लिए उसको नहीं तोड़ना चाहिए. मान लीजिए ये चले गए जेल और वहां से चलाने की कोशिश किए तो कोर्ट इनको फटकार लगा सकती है कार्रवाई भी कर सकती है.

पहली बात तो ये कि कोई भी जेलर इसकी अनुमति देगा नहीं. हां इनकी सरकार पर कोई संकट नहीं है. इनके विधायक हैं. वे चुनाव कर फिर से मुख्यमंत्री बना सकते हैं. हां, दिल्ली में चूंकि विधान परिषद नहीं है तो अगर इन्होंने अपनी पत्नी को बनाया तो छह महीने के अंदर उनको चुनाव लड़वाना और जितवाना होगा. किसी एमएलए को इस्तीफा देकर चुनाव के माध्यम से उनको लाना होगा.

दिल्ली सरकार के मंत्री जिस तरह की बचकानी बातें कर रहे हैं की jail से सरकार चलाएंगे ये सुन कर किसी को भी अजीब लग सकता है – ये तो दोस्तों वैसा ही लगता है जैसे फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ में एक किरदार निभा रहे सलमान खान परमिशन लेकर मुन्नी को उसके घर तक छोड़ने पाकिस्तान चले गये थे.

खैर अरविंद केजरीवाल को भी दिल्ली के लिए राबड़ी देवी मॉडल या पनीरसेल्वम मॉडल जैसा कोई अस्थाई इंतजाम पहले ही कर लेना चाहिये ,- वरना शेख चिल्ली के हवाई किले बनाने वालों को पछतावे के सिवा कुछ भी हाथ नहीं लगता.खैर खयाली पलाऊ तो केजरीवाल जी पका ही सकते है आपकी केजरीवाल की रणनीति को लेकर क्या राय है कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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