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Kuno National Park: चीता RETURNS इन INDIA

Kuno National Park: दोस्तों सात दशक बाद देश में आज से एक बार फिर चीता युग की शुरुआत होने जा रहा है,,जी हाँ,,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में 70 साल बाद चीता फिर से भारत की भूमि पर कदम रख चुका है.

Kuno National Park: दोस्तों सात दशक बाद देश में आज से एक बार फिर चीता युग की शुरुआत होने जा रहा है,,जी हाँ,,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में 70 साल बाद चीता फिर से भारत की भूमि पर कदम रख चुका है. ये मौका इसलिए भी ख़ास है क्योंकि पीएम मोदी 72 साल के हो गए हैं. नामीबिया से 8 चीते भारत पहुंचे हैं इन चीतों में 5 मादा और 3 नर हैं. इन चितों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क Kuno National Park में छोड़ा गया है.वहीं, आज 72 साल बाद चीतों की एक बार फिर भारत में वापसी हुई है.

Kuno National Park: क्वारंटाइन पीरीयड में रखे जाएंगे चीते


दोस्तों नामीबिया से लाए जा रहे 8 चीतों में 5 मादा हैं जबकि 3 नर चीता हैं. मादा चीतों की उम्र 2 से 5 साल के बीच है जबकि नर चीतों की उम्र 4.5 से 5.5 साल के बीच है. इन चीतों को एक महीने तक क्वरंटीन पीरियड में ऱखा जाएगा और इस दौरान 2-3 दिन में इन्हें खाने के लिए 2-3 किलो मीट दिया जाएगा. हिंदुस्तान में 70 साल पहले ही चीता को विलुप्त घोषित कर दिया गया था. 70 साल से देश में चीते नहीं थे और ऐसा नहीं है कि अचानक चीतों को लाया जा रहा है. 50 साल पहले चीतों को भारत लाने की कोशिश शुरू हुई थी जो PM मोदी के जन्मदिन के दिन अपने अंजाम तक पहुंची.

देश नई ऊर्जा के साथ चीतों को बसाने में जुटा’

चीतों के लिए मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क Kuno National Park में एक हेलीपैड भी बनाया गया. जहां पर चीतों को स्पेशल आर्मी के हेलिकॉप्टर से लाया जाएगा. पीएम मोदी 8 चीतों को पिंजरे से उनके बाड़े में छोड़ेंगे. तमाम चीतों के गले में एक सैटेलाइटज-वीएचएफ रेडियो कॉलर आईडी मौजूद है जिसकी मदद से भविष्य में उनकी मॉनिटरिंग से लेकर संक्रमण तक ट्रैक करने में मदद मिलेगी. चीतों में किसी तरह का कोई संक्रमण न हो इसके लिए गांवों के अन्य मवेशियों का भी टीकाकरण किया गया है.

क्वारंटाइन बाड़े में एक महीने तक रहेंगे नामीबिया से आए चीते

चीतों के लिए 25 वर्ग किलोमीटर का एक विशेष घेरा बनाया गया है. दक्षिण अफ्रीका की सरकार और वन्यजीव विशेषज्ञ इन पर नजर रखेंगे. चीतों को भारतीय मौसम से लेकर यहां के माहौल में ढलने में एक से तीन महीने का वक्त लग सकता है. दोस्तों साउथ अफ्रीका के नामीबिया से चीते इसलिए लाए गए क्योंकि वहां दिन और रात की लंबाई ठीक वैसी ही होती है जैसी कि हिंदुस्तान में है और यहां का तापमान भी अफ्रीका से मिलता जुलता है. मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क Kuno National Park में अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक रहता है जबकि न्यूनतम तापमान 6 से 7 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है जो चीतों के लिए मुफीद है.

साल में 50 जानवर खाता है चीता

दोस्तों अब आप सोच रहे होंगे की चीतों के लिए एमपी के कूनो नेशनल पार्क Kuno National Park को ही क्यों चुना गया? तो बता दे की 748 वर्ग किलोमीटर में फैला कूनो नेशनल पार्क Kuno National Park को 10 जगहों के सर्वे के बाद फाइनल किया गया है. एमपी में पुनर्वास का रिकॉर्ड सबसे अच्छा रहा है. दोस्तों चीतों को अच्छे शिकार की जरूरत होती है और कूनो नेशनल पार्क में छोटे हिरण और सुअर की घनी आबादी मौजूद है और पूरे पार्क में चीतल, सांबर और नीलगाय की संख्या करीब 25 हजार है. यानि चीतों को खाने की कोई कमी नहीं होगी.चीता हफ्ते में एक बार ही शिकार करता है और इसी से उसका काम चल जाता है. चीता एक बार में 7 से 8 किलो मटन खाता है. ऐसा माना जाता है कि चीता अपने शिकार को छोड़कर नहीं जाता है.

Kuno National Park 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार

दोस्तों चीता ज्यादा ताकतवर माना जाता है और इसीलिए उसके शिकार में किसी की हिस्सेदारी नहीं होती. चीते को एक महीने में चार और साल में 50 जानवर चाहिए होते हैं. शिकार के अलावा चीतों को पानी की जरूरत होती है.वही चीते को पर्याप्त जगह चाहिए क्योंकि वो 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से जमीन पर सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर है जो सिर्फ 3 सेकेंड के भीतर 97 किमी प्रति घंटे की तेज रफ्तार पकड़ लेता है. चीता अगर पूरी ताकत से दौड़े तो 7 मीटर लंबी छलांग लगा सकता है. चीता बिल्ली की प्रजाति का एक जानवर है लेकिन चीता शेर और बाघ की तरह दहाड़ नहीं सकता बल्कि बिल्ली की तरह गुर्राता है.चीतों के विलुप्त होने से भारतीय ग्रासलैंड की इकोलॉजी खराब हुई थी जिसे ठीक करना जरूरी है.17 सितंबर को चीतों के आगमन के बाद बिगड़ी हुई इकोलॉजी के ठीक होने की शुरुआत हो जाएगी.

Kuno National Park 70 साल पहले विलुप्त हो गए चीते

दोस्तों चीते को भारत में आखिरी बार 1948 में देखा गया था. 1952 में यानि 70 साल पहले भारत सरकार ने चीते को विलुप्त घोषित कर दिया था और फिर 1979 से चीतों को भारत में बसाने की प्रक्रिया शुरु की गई थी. भारत के अलग-अलग राज्यों के जंगल चीतों के घर थे लेकिन पालने और शिकार करने की वजह से देश में चीतों की संख्या धीरे-धीरे घटने लगी थी.

साल 2010 में शुरू हुई बातचीत को अब मिला मुकाम

दोस्तों 2010 में इसके लिए भारत सरकार ने नामीबिया से बातचीत शुरू की लेकिन नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीते लाने का समझौता जुलाई 2022 में हुआ इसी समझौते के पहली कड़ी में अब 8 चीते भारत पहुंच रहे हैं.दोस्तों ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोई मांसाहारी जानवर एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में भेजा रहा है.
कूनो नेशनल पार्क Kuno National Park की जमीन पर 17 सितंबर को अफ्रीका से चीतों के लैंड करते ही यहां के जंगल का ईको सिस्टम बदल जाएगा. यहां रहने वाले तेंदुए अपनी कैट प्रजाति के एक नए वन्यप्राणी से पहली बार मुखातिब होंगे. बिल्कुल उनकी जैसी शक्ल वाले ये चीते 70 साल बाद उनके इलाके में आए हैं.

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