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I.N.D.I.A. ने मोदी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, संसद से मोदी कैसे भागेंगे No confidence Motion

I.N.D.I.A. : देश संसद पर प्रति घंटे कम से कम 2 करोड़ रूपये खर्च करता है। यानि संसद पर हर साल होने वाले सत्रों पर दो सौ करोड़ से कम खर्च नहीं होता। बदले में जनता को क्या हासिल होता है ? केवल हंगामा। विपक्ष में कोई भी हो उसका काम है, हंगामा करना , कोई देश की सूरत बदलने के लिए संसद में जिरह करने नहीं आता। , सरकार का तो जिरह में यकीन ही नहीं रहा । सरकार हर काम ध्वनिमत से करना चाहती है। चूंकि सरकार ऐसा चाहती है। इसलिए सारे काम ध्वनिमत से हो भी जाते हैं। सांसदों को तो फिर भी सदन में हाजरी का पैसा मिल जाता है। जनता को तो वो भी हासिल नहीं है ।

स्पीकर ओम बिरला को अविश्वास प्रस्ताव को नोटिस

आज संसद में मणिपुर हिंसा पर पीएम मोदी को घेरने के लिए विपक्षी गठबंधन INDIA ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को अविश्वास प्रस्ताव को नोटिस दिया है,,,,, स्पीकर ने इसे स्वीकार कर लिया है,,,,, इसी के साथ ही कांग्रेस ने कहा कि सरकार पर से लोगों को भरोसा टूट रहा है। हम चाहते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी मणिपुर हिंसा पर कुछ बोलें । ,लेकिन वह बात ही नहीं सुनते। , पीएम सदन के बाहर तो बात करते हैं लेकिन सदन में कुछ नहीं बोलते।

सरकार की सबसे बड़ी सफलता

सरकार को नहीं बोलना तो सरकार नहीं बोलेगी ,,,,, उसे मजबूर नहीं किया जा सकता। आप चाहे जितना हंगामा कर लीजिये कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। सरकार शतुरमुर्ग बन चुकी है ,,,,, सरकार ने रेत में अपना सर छिपा लिया है। मुझे सरकार के आत्मविश्वास पर पूरा विश्वास है इसलिए मै सरकार के प्रति अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में खड़ा नहीं हो सकता। आम आदमी बीते 9 साल में इतनी जगह से तोड़ा जा चुका है की वो सीधा खड़ा हो ही नहीं सकता। यही सरकार की सबसे बड़ी सफलता है

अब आपके मन मे सवाल उठ रह होगा की आंकड़े न होने के बाद भी कांग्रेस यह अविश्वास प्रस्ताव क्यों ला रही है. उसके इस कदम के पीछे क्या प्लान है? लेकिन कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के अविश्वास प्रस्ताव लाने के पीछे के। , राजनीतिक मायने समझने से पहले,,,,, यह समझ लीजिए की । क्या यह अविश्वास प्रस्ताव टिक भी पाएगा या नहीं ,,,,, और इसे लाने का क्या नियम है

संविधान के अनुच्छेद-75 के अनुसार

अगर लोकसभा में किसी विपक्ष दल को लगता है। , कि सरकार के पास बहुमत नहीं है या सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है, तो वह अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है। संविधान के अनुच्छेद-75 के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह है। , अगर सदन में बहुमत नहीं है, तो पीएम समेत पूरे मंत्रिमण्डल को इस्तीफा देना होता है। , कोई सदस्य लोकसभा की नियमावाली के नियम 198(1) से 198(5) के तहत ,,,,, लोकसभा अध्यक्ष को सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है

लोकसभा में मोदी सरकार बहुमत में

इसके लिए उसे सुबह 10 बजे से पहले प्रस्ताव की लिखित सूचना देनी होती है साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होता है कि उस प्रस्ताव को कम से कम 50 सांसदों ने स्वीकृति दी हो। ,, इसके बाद अगर लोकसभा स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दे देते हैं। तो प्रस्ताव पेश करने के 10 दिनों के भीतर इस पर चर्चा जरूरी है। , वैसे लोकसभा में मोदी सरकार बहुमत में है। उसके पास 301 सांसद हैं, वहीं एनडीए के पास 333 सांसद हैं,,,,, इधर पूरे विपक्ष के पास कुल 142 सांसद हैं। कांग्रेस के पास सबसे ज्यादा 50 सांसद हैं,,,,, ऐसे में साफ है कि विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव फेल हो जाएगा,,,,,

पहला :मणिपुर मुद्दे पर बयान देने के लिए विवश करना

लेकिन सवाल अब भी वही ,,,,, कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव क्यों ला रही है। ये समझने के आप सिर्फ इन 5 पॉइंट को समझिए ,,आप समझ जाएंगे अविश्वास प्रस्ताव के पीछे का सच , सबसे पहला कारण है ,,,,,: पीएम मोदी को मणिपुर मुद्दे पर बयान देने के लिए विवश करना। , जी हा ,,,,, विपक्ष आरोप लगाता रहा है। कि पीएम नरेंद्र मोदी अहम मुद्दों पर मौन साथ लेते हैं। , इससे पहले भी वह कई मुद्दों जैसे-राहुल की सदस्यता, महिला पहलवानों का मुद्दा व अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर चुप्पी साध चुके है . ऐसे में वह अविश्वास प्रस्ताव लाकर पीएम मोदी को बोलने पर मजबूर करेंगे । और यह प्रचारित करने की कोशिश करेंगे। कि गंभीर मुद्दों पर जवाब देने से बच रहे पीएम मोदी को विपक्षी एकता ने बोलने पर मजबूर कर दिया।

दूसरा : मणिपुर के मुद्दे पर माहौल बनाना

मणिपुर पिछले 84 दिन से सुलग रहा है,,,,, खूनी संघर्ष हो रहा है। हालात इतने बिगड़ने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जुलाई तक कोई बयान नहीं जारी किया। , कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल इसी बात को लेकर नाराज हैं। वे इस हिंसा को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह की जवाबदेही तय करने की मांग कर रहे हैं। सदन में मणिपुर हिंसा पर बहस के लिए और पीएम मोदी से जवाब चाहने के लिए आविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया है। ,विपक्ष संसद में मणिपुर का मुद्दा उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगी.

तीसरा :नए गठबंधन की ताकत दिखाना

विपक्ष ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और एनडीए को टक्कर देने के लिए यूपीए को खत्म कर नए गठबंधन I.N.D.I.A. (Indian, National, Democratic, Inclusive, Alliance) का ऐलान किया था। इसके बाद संसद का मॉनसून सत्र पहला मौका है, जहां विपक्षी दलों को अपने गठबंधन की ताकत दिखाने का मौका मिला है। विपक्ष कोशिश कर रहा है कि वह अपनी शर्तों पर, अपने मुद्दों पर सरकार को जवाब देने पर मजबूर करे। , अगर वह ऐसा कर ले जाते हैं तो यह विपक्ष की एक तरह की जीत मानी जाएगी। , इसीलिए विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाकर एक दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। फिलहाल स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया है। ,, ऐसे में अब लगभग तय हो गया है कि प्रधानमंत्री को मणिपुर के मुद्दे पर जवाब देना पड़ेगा।

चौथा : 2024 से पहले एजेंडा सेट करना

देश में अगले साल लोकसभा चुनाव हैं। ,,, कांग्रेस आविश्वास प्रस्ताव लाकर विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ के आक्रामक होने का माहौल बनाने की कोशिश करेगी। , ताकि वह मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बनाकर लोकसभा चुनाव में उसका लाभ उठा सके.। विपक्ष कोशिश करेगा कि वह मणिपुर हिंसा के अलावा राहुल की सदस्यता, पहलवानों की प्रदर्शन, बेरोजगारी, महंगाई जैसे तमाम मुद्दों को लेकर आगामी चुनाव के लिए एजेंडा सेट कर सके और जनता के बीच जाकर मोदी सरकार के खिलाफ नैरेटिव सेट कर सके।

पूर्वोत्तर को वापस पाने की जंग

और सबसे आखिरी लेकिन सबसे जयादा जरूरी .पूर्वोत्तर को वापस पाने की जंग। ,,, पूर्वोंत्तर के राज्यों में अभी तक कांग्रेस के पैठ रही थी । लेकिन केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद। ,, कांग्रेस वहां से धीरे-धीरे अपनी पकड़े खोती जा रही है। ,, लेकिन मणिपुर हिंसा को मुद्दा बनाकर कांग्रेस अपनी खोयी जमीन वापस लेने की कोशिश करेगी। , दरअसल पीएम मोदी अपने कार्यकाल के 8 साल में 50 बार से अधिक पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा कर चुके हैं। ,, इस दौरान वह पूर्वोंत्तर के राज्यों को मुख्यधारा से न जोड़ने के लिए कांग्रेस के घेरते रहे हैं,,,, अपर अब जलते मणिपुर को अकेला छोड़ देने पर मोदी सरकार को घेरेगा,,,,

नए नाम ने भाजपा की नींद उड़ा दी

लेकिन मुद्दों से भटकी देश की सियासत में । अब बिखरे हुये विपक्ष के नए संगठन का नाम ही। एक मुद्दा बन गया है । ,, विपक्ष के पुराने गठबंधन का नाम ‘यूपीए’ था। , जिसे बदलकर अब ‘इंडिया’ कर दिया गया है। ,, इंडिया है तो अनेक शब्दों संक्षिप्त रूप। लेकिन इस नए नाम ने भाजपा की नींद उड़ा दी है,,,,, देश के प्रधामंत्री मोदी के सिर पर। , पहले से कांग्रेस नाम का भूत सवार था। ,, अब उसके साथ ही ‘इंडिया’ का भूत सवार हो गया है। ,, वे सोते-जागते अब बस ‘इंडिया’ का नाम जपते नजर आते हैं। जब खुद भारतीय जनता पार्टी में। , भारतीय होने पर कोई उफ़ तक नहीं करता। ,, तो भाजपा और देश के प्रधानमंत्री जी को विपक्ष के गठबंधन को इंडिया कहे जाने पर आपत्ति क्यों हैं, ये समझ से परे हैं।

देश मुद्दों पर तो चुनाव लड़ता नहीं

यदि बिखरा विपक्ष इंडिया हो गया है ,,,,,तो हो जाने दीजिये। जरूरी तो नहीं की,,,,, आप उसे इंडिया कहें ?,,,,, आप उसे ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्ल्यूसिव अलायन्स’ कहिये न। वैसे भी देश मुद्दों पर तो चुनाव लड़ता नहीं है। , इसलिए इस बार का चुनाव नाम को लेकर ही लड़ा जाये तो बेहतर है। , अभी तक यूपीए बनाम एनडीए होता था। ,, अब एनडीए बनाम इंडिया होगा तो जनता को भी कुछ नया महसूस होगा। , आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है , हमे कॉमेंट बॉक्स मे कमेन्ट कर जरूर बताए

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