चुनावचर्चा मेराजनीति

Rahul vs Modi या INDIA vs NDA : आज की राजनीति मे कौन मारेगा बाजी ?

Rahul vs Modi : आखिर पीएम मोदी ,,,, मणिपुर मुद्दे पर बोले ,,, अविश्वास प्रस्ताव के बाद ही सही,,,,,,, लोकसभा में आने और बोलने का अवसर मिल ही गया,,,,,,,,, पूरे सत्र से उनके होंठ सिल हुये थे,,,,,,,, लेकिन आज आख़िर वह सीवन उधड़ी,,,,,,,, और मुँह खोल दिया,,,,,,,, और मुहँ खोलते ही ,,,, लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बोलना शुरू किया या ,,,यूह कहें की सिर्फ काँग्रेस को कोसना शुरू किया,,,,,,,, पूरे दो घंटे से भी ज्यादा बोले ,,,, जिस मुद्दे पर अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था ,,,,, पीएम मोदी उस मणिपुर मुद्दे पर भी बोले ,,,,,, वो भी पूरे 53 शब्द,,,, (INDIA vs NDA) पीएम मोदी ने कहा,,,,, कि अदालत के फैसले के बाद राज्य में हिंसा का दौर शुरू हुआ,,,,, महिलाओं के साथ अक्षम्य अपराध हुआ,,,,,,,, दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने के लिए,,,,,,, केंद्र और राज्य सरकार मिलकर प्रयास कर रही है,,,,,,, मैं देश के नागरिकों को आश्वस्त करना चाहता हूं,,,,,,, निकट भविष्य में शांति का सूरज जरूर उगेगा,,,,,ये कहना था पीएम मोदी का

चुनावी मुकाबला मोदी और राहुल के बीच होगा

अब केंद्र और राज्य सरकार मिलकर कैसा प्रयास कर रही है,,, और किया है ,,,, वो आप लोग पिछले काफी दिनों से देख रहे है ,,,, कुछ छुपा नहीं है ,,,, लेकिन जैसे पीएम मोदी मणिपुर पर ,,ना के बराबर बोले ,,,, मे भी आज नहीं बोलउगी ,,,, आज आपको बताऊँगी ,,,, क्यों मोदी जी का भाषण मणिपुर पर कम ,,,काँग्रेस पर ज्यादा था ,,,,, सिर्फ काँग्रेस के पिछले शासन को कोसा ,,,, क्या रणनीति है बीजेपी की ,,,, क्या चल रहा है पीएम मोदी के मन मे ,,,,, असल मे जब से देश की राजनीति में,,,,,,, इंडिया बनाम एनडीए शुरू हुआ है,,,,,,,, बीजेपी के रणनीतिकार इसकी काट तलाशने में लगे थे,,,,,,,, गठबंधन का नाम इंडिया रखकर,,,,,,, विपक्ष ने बीजेपी को बैकफुट पर धकेलने की कोशिश की थी,,,,,,, बीजेपी के लिए अच्छी बात ये है,,,,, की अब फिर से चुनावी मुकाबला मोदी और राहुल के बीच होगा,,,,, बीजेपी को ये सूट करता है

विपक्ष में प्राइम मिनिस्टर कैंडिडेट के लिए कई दावेदार

चुनावों के राहुल वर्सेस ,,,,,,,,मोदी होने से,,,,, बीजेपी में बल्ले-बल्ले है,,,,, पार्टी सोचती है,,,,, कि देश हर हाल में राहुल गांधी के मुकाबले,,,,,, नरेंद्र मोदी को पसंद करेगा,,,,,, एक बात और तय है कि ,,,,,,, जैसे जैसे राहुल मजबूत होंगे,,,,,, विपक्ष की एकता कमजोर होगी,,,,,, विपक्ष में प्राइम मिनिस्टर कैंडिडेट के लिए कई दावेदार हैं,,,,,, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षा किसी से छिपी नहीं है,,,,, राहुल की मजबूती इंडिया की कमजोरी का आधार बनती जाएगी,,,,,, इसलिए बीजेपी की हमेशा से कोशिश रही है ,,,,,,, कि मुकाबले में कांग्रेस ही रहे,,,,,,, राहुल हमेशा से बीजेपी के लिए आसान टार्गेट रहे हैं

बीजेपी के निशाने पर राहुल गांधी

बीजेपी उनकी छोटी-छोटी गलतियों को बड़ा बनाने में माहिर है,,,,,, राहुल फिर वही गलतियां करेंगे,,,,,,, और अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के पहले दिन,,,,,,, यह साफ हो गया ,,,,, कि बीजेपी के निशाने पर राहुल गांधी और उनका परिवार ही रहेगा,,,,,, बीजेपी पूरी प्लानिंग से चलती दिखती है,,,,,, क्योंकि उसके निशाने पर,,,,, इंडिया गठबंधन की बजाय,,,,,, अब राहुल गांधी और,,,,, उनके बहाने गांधी परिवार है,,,,,, बीजेपी के दुबे ने ,,,,, न केवल राहुल को टार्गेट पर लिया ,,,,,,,बल्कि उनकी मां सोनिया,,,,,, और उनके जीजा राबर्ट वाड्रा तक को लपेटा

बीजेपी भी समझती है,,,,, कि गांधी परिवार के बारे में देश की पब्लिक जितना गौर से सुनती है,,,,, उतना किसी और के बारे में नहीं,,,,, और बीजेपी के उसी निशिकांत दूबे ने ,,,,,,, तो इंडिया के सारे गठबंधन दलों के एक एक करके बीजेपी का मित्र बताया,,,,,, और याद दिलाया कि हम तो हमेशा,,,,,,,, आपके साथ खड़े रहे है ,,,,,,, जबकि कांग्रेस ने आपके साथ अत्याचार किया,,,,,, और आप आज उनका साथ दे रहे हैं,,,, वैसे सच तो ये भी है की ,,,, जब जब बीजेपी ने किसी राज्य मे,,,,,, क्षेत्रीय दल को हराने के लिए अपनी एड़ी-चोटी एक की है,,,,,बीजेपी ने मुंह की खाई है,,,,, वह चाहे बंगाल हो ,,,,या दिल्ली,,,,,, बीजेपी को सबसे अधिक डर,,,,,,, लोकल क्षेत्रीय दलों से ही है,,,,,,, कांग्रेस से नहीं है,,,,,, फर्ज करिए कि यूपी में समाजवादी पार्टी मजबूत होती है,,,,,, तो बीजेपी परेशान होगी कि नहीं?,,,,,,, झारखंड में हेमंत सोरेन मजबूत होंगे तो बीजेपी परेशान होगी ही

क्या 2024 में राहुल गांधी पीएम पद के उम्मीदवार

अब सबसे बड़ी लड़ाई,,,,,, साल 2024 के लोकसभा चुनाव हैं,,,,,,, एक तरफ मजबूत नरेंद्र मोदी और भाजपा है,,,,,, तो दूसरी तरफ बिखरा हुआ विपक्ष,,,,,,, भले ही इंडिया (I.N.D.I.A.) नाम का गठबंधन तैयार हो गया हो,,,,,, जिसमें 26 राजनीतिक पार्टियां शामिल हैं,,,,,, लेकिन सबको एक बड़े चेहरे की तलाश है,,,,,, ऐसे में कांग्रेस और राहुल गांधी का क्या होगा,,,,,,,, सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद ,,,,,,, जो राहुल की वापसी हुई है,,,,,, इसका फ़ायदा कांग्रेस को होगा,,,,,,, या नहीं?,,,,,,,, होगा तो कितना?,,,,,,, क्या 2024 में राहुल गांधी पीएम पद के उम्मीदवार हो सकते हैं? यही सवाल सबसे बड़ा है,,,,,,, राहुल गांधी कैसे और इतना क्यों बदल गए,,,,,, ये जो जनता के बीच जाते हैं,,,,,, यात्रा करते हैं,,,,,, इतने तीखे और धारदार सवाल,,,,, वो भी प्रधानमंत्री से,,,,,, तो क्या राहुल गांधी अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं,,,,,, क्योंकि इतना उग्र तो पहले नहीं हुए?,,,,,, कहीं प्रधानमंत्री बनने का सपना तो नहीं देख रहे हैं?,,,,,

वैसे सपना देखना ,,,,,, और वाजिब सवाल पूछना कोई गलत नहीं है,,,, लेकिन पीएम पद का उम्मीदवार कौन होगा,,,,,, इसको लेकर काँग्रेस जल्दबाजी में बिल्कुल भी नहीं है ,,,,,, क्योंकि लोकसभा में जादुई आंकड़ा 272 का होता है,,,,,, और लोकसभा की 200 सीटें ऐसी हैं,,,,,, जहां बीजेपी और कांग्रेस सीधे मुकाबले में हैं,,,,,,, क्या कांग्रेस ऐसी स्थिति में है,,,,,, कि इन 200 में से आधी सीटें जीत सकें?,,,,, अगर हां, तो राहुल I.N.D.I.A की तरफ से प्रधानमंत्री पद के सबसे बड़े उम्मीदवार होंगे,,,,,, अगर नहीं, तो राहुल की उम्मीदवारी के कोई मायने नहीं हैं,,,,,,लेकिन सच्चाई ये है दोस्तों ,,,,,, की कभी-कभी हम अपने विरोधियों की वजह से ही आगे बढ़ते हैं,,,,,, बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने,,,,, राहुल गांधी का जिस तरीके से हर स्तर पर विरोध किया,,,,,,,, और घेरा

राहुल गांधी ने माफी मांगने से इनकार कर दिया

इससे राहुल की इमेज मजबूत हुई,,,,,,,, भारत जोड़ो यात्रा के बाद,,,,,, वह राष्ट्रीय स्तर पर बड़े नेता के तौर पर उभरे हैं,,,,,, वहीं मणिपुर में बदहाल स्थिति,,,,,, ओर नूंह में हिंसा के बाद,,,,,,, राहुल के मोहब्बत की दुकान ,,,,,जैसे नैरेटिव को पुश मिला है,,,,,, मोदी सरनेम मामले में दोषी पाए जाने के बावजूद,,,,,,, राहुल गांधी ने माफी मांगने से इनकार कर दिया,,,,,,, पहले सूरत कोर्ट,,,,,, फिर गुजरात हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में भी,,,,,,, राहुल गांधी ने कहा कि वो माफी नहीं मांगेंगे,,,,,, माफी नहीं मांगने की रणनीति से राहुल की इमेज को फायदा पहुंचा,,,,,,, सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर सिर्फ रोक लगाई है,,,,,,,, राहुल गांधी को निर्दोष नहीं माना है,,,,,, लेकिन अब इतनी कड़ी सजा नहीं होगी

राजनीति में अक्सर लोग ,,,,,, अल्टरनेटिव की बात करते हैं,,,,,,की मोदी नहीं तो कौन ,,,,, नरेंद्र मोदी को भी ,,,,,,2014 में इसी का फायदा मिला था ,,,,,, वो UPA सरकार में मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के एकदम,,,,,, विपरीत बातें करते रहे और डटकर खड़े रहे,,,,,,,,, इसी तरह जो भी मोदी का एकदम विपक्षी होगा,,,,,,, यानी उनके अंदाज से एकदम उल्टा होगा,,,,,, वोटर उसके प्रति ही आकर्षित होंगे ,,,,,, न कि मोदी के जैसा होने पर,,,, कांग्रेस पार्टी और बीजेपी दोनों यह जानती है,,,,,,, कि इंडिया गठबंधन में या,,,,, स्वयं कांग्रेस पार्टी में भी,,,,,, ऐसा कोई लीडर नहीं है,,,,,,,, जो पैन इंडिया पीएम मोदी का मुकाबला कर सके,,,,,,, अब भाजपा ने ही राहुल गांधी को देश का हीरो बना दिया है,,,,,, पहले उनको,,,,, पप्पू पप्पू कह कर मजाक उड़ाने वाली भाजपा,,,,,, उन्हें हलके में नहीं ले सकती,,,,,, भाजपा पहले कहती थी ,,,,, कि कांग्रेस का नेतृत्व राहुल करेंगे ,,,,,, तो फिर जीवन भर भारतीय जनता पार्टी जीतेगी

इसी साल चार राज्यों में चुनाव

राहुल गांधी ने भाजपा के प्रश्नों का उत्तर अपनी भारत जोड़ों यात्रा से दे दिया,,,,,, भारत जोड़ों यात्रा से कहीं न कहीं ये संदेश गया कि राहुल मेहनत करते हैं ,,,,, और गंभीर राजनीति करना चाहते हैं,,,,,, जिस व्यक्ति को बीजेपी पार्टी ने,,,,,, पप्पू साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी,,,,, उसी पार्टी ने अब पप्पू को हीरो बना दिया,,,,,,, ये कैसा खेल है,,,,,, क्या बीजेपी फिर से फेल हो गई?,,,,, बड़ी मुश्किल से कांग्रेस नेता राहुल गांधी को संसद से बाहर निकाला था,,,,,, कि न रहेगी बांस और न बजेगी बांसुरी,,,,, असल मे ऐसा कुछ नहीं है ,,,, विपक्ष के एक होकर चुनाव लड़ने की स्थिति में,,,,,, भाजपा को नुकसान उठाने का खतरा तो है हीं,,,,,,, साथ हीं राहुल को कम आंकने की गलती का खामियाजा ,,,,,, भाजपा को उठाना भी पड़ सकता है,,,,,, क्योकि इसी साल चार राज्यों में चुनाव है,,,,, और इसकी जीत हार का प्रभाव ,,,,लोक सभा के आम चुनाव पर पड़ने से ,,,,,इंकार नहीं किया जा सकता है

इतना ज़रूर तय है ,,,,,की बीजेपी अविश्वास प्रस्ताव जरूर जीत गई है ,,,, लेकिन विपक्ष की भी जीत हुई है ,,,, पीएम मोदी को संसद मे बोलने पर मजबूर कर पाया ,,,,,और हा इस पूरे घटनाक्रम से सत्तारूढ़ भाजपा ,,,,,,ज़रूर कुछ हद तक दबाव महसूस कर रही है,,,,,,,, इस दबाव के कई कारण हैं

एम्ब्लम एक्ट के अनुसार

पहला और सबसे बड़ा कारण है मणिपुर,,,,,,,,, तीन महीने से मणिपुर जल रहा है और कार्रवाई,,,,,,, ख़ासकर राजनीतिक कार्रवाई के नाम पर,,,,,,, वहाँ कुछ नहीं किया गया,,,,,,, हर कोई जानता है कि अगर मणिपुर में दूसरे किसी दल की सरकार होती,,,,,,, तो चार- छह दिन में ही वहाँ राष्ट्रपति शासन लग चुका होता,,,,,, यहाँ तो निर्वस्त्र महिलाओं का वीडियो वायरल होने पर भी,,,,,, राज्य सरकार के कानों में जूं नहीं रेंगी,,,,,,, जबकि इस घटना की रिपोर्ट वहां के थाने में ढाई महीने पहले लिखी जा चुकी थी,,,

ख़ैर दबाव का दूसरा कारण है – इंडिया,,,,,,,, जी हाँ ,,,, ये मेरा इंडिया,,,,,,, ये तेरा इंडिया,,,,,, आख़िर ये किसका इंडिया?,,,,, छब्बीस विपक्षी दलों ने अपने गठबंधन का नाम,,,,,, इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इन्क्लूसिव अलायंस,,,,,,, यानी “इंडिया” (शॉर्ट फ़ॉर्म) क्या रखा,,,,,,, बाक़ी राजनीतिक दलों को दिक़्क़त हो गई,,,,,, एक व्यक्ति हाईकोर्ट चला गया ,,,,, याचिका में कहा- कुछ राजनीतिक दलों ने मिलकर अपना नाम इंडिया रख लिया है,,,,,, यह इंडिया का अपमान है,,,,, इंडिया राष्ट्रीय प्रतीक यानी एम्ब्लम का हिस्सा है,,,,, ऐसे में इसका राजनीतिक इस्तेमाल कैसे हो सकता है?,,,,, कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य मानते हुए,,,,,,, इन छब्बीस राजनीतिक दलों से कारण पूछा है,,,,,,, लेकिन एम्ब्लम एक्ट में राजनीतिक उपयोग ,,,,, या इस तरह के किसी शब्द का प्रयोग ही नहीं है,,,,,,

एक्ट के अनुसार कोई भी व्यक्ति ,,,,, या संस्था देश के नाम ,,,,,, और उसके कुछ मान्य प्रतीकों का ,,,,,,, व्यवसायिक उपयोग ,,,,,, बिना केंद्र सरकार की अनुमति के नहीं कर सकता,,,,, अब यह कहीं भी स्पष्ट नहीं है,,,,,, कि राजनीतिक दलों द्वारा किए गए,,,,,, या किए जाने वाले काम ,,,,,,, व्यवसायिक हैं या नहीं!,,,,, जबकि सभी पार्टियाँ तो खुद को सेवा भावी ही बताती हैं,,,,,,, वे सभी पार्टियाँ अब तक लोगों और देश की सेवा का दावा ही करती रही हैं,,,,, अगर इन सब दलों पर व्यापार या व्यवसाय का तमग़ा लग गया,,,,,, तो जिस सेवा के नाम पर ये वोट माँगते फिरते हैं,,,,,, उसका क्या होगा?,,,,,, असल मे , बाक़ी दलों की दिक़्क़त यह है,,,,,,, कि वे इंडिया नामक संगठन पर कोई आरोप कैसे लगाएँगे?,,,,,, क्योंकि इंडिया तो देश का नाम है,,,, ,,,,,, मामला उल्टा पड़ सकता है,,,,, और यही सोचकर ,,,,, विपक्ष ने भी इंडिया नाम रखा होगा,,,,,, वे भी चाहते होंगे ,,,,,, कि उनके विरोधी दल इस चक्रव्यूह में फँसकर रह जाएँ,,,,

दबाव का तीसरा कारण

सत्ता पक्ष बीजेपी पर,,,,, दबाव का तीसरा कारण है,,,,, राहुल गांधी के खिलाफ केस,,,,, 5 महीने मोदी सरनेम विवाद में संसद सदस्यता चली जाने को,,,,,,, राहुल गांधी और कांग्रेस ने जनता के बीच ठीक तरह से भुनाया है,,,,,,,,,, संसद सदस्यता खत्म होने से उन्हें शहीद की तरह पेश किया गया,,,,,, लेकिन इस सारे मामले में अच्छी बात ये है ,,,,,, कि अब राहुल गांधी और कांग्रेस के नेता ,,,,, ये नहीं कह पाएंगे कि मोदी सुप्रीम कोर्ट को भी कन्ट्रोल करते हैं,,,,,

वैसे दोस्तों ,,,,,, आज के दौर में बोलना जितना जरूरी होता जा रहा है,,,,,,,,, उससे कहीं अधिक जरूरी यह हो गया है,,,,,,, कि कहां बोलना है और कितना बोलना है,,,,,,,, दरअसल, इस दौर में बोलना,,,,,,, और न बोलना ‘विक्रम बेताल’ की कहानी सा हो गया है,,,,,,,, यह कहानी कहां खत्म होगी, पता नहीं!,,,,,,, वैसे आज की राजनीति पर क्या है आपकी राय,,,,,, अपनी राय कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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