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ED ने Arrest किया तो Hemant Soren Wife Kalpana Soren को बनाएंगे CM

Hemant Soren Wife Kalpana Soren: साल 2024 की पहली किरण निकलते ही,, आम लोग जहां सेलिब्रेशन के मूड में थे तो दूसरी तरफ सियासी खेमे में कुछ और ही खिचड़ी पक रही थी. इसका अंदेशा पहले से ही था. साल 2024 के पहले ही दिन गिरिडीह के गांडेय से झामुमो विधायक सरफराज अहमद के इस्तीफे पर स्पीकर की मुहर से साफ हो गया कि हेमंत सोरेन आर पार की लड़ाई की तैयारी कर चुके हैं. यह भी कहा जा सकता है कि उनके पास अब दूसरा ऑप्शन बचा भी नहीं है. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि राजद और कांग्रेस के बाद झामुमो में आए सरफराज अहमद जैसे नेता ने ,,इतनी आसानी से विधायक पद कैसे छोड़ दी. क्या विधायक की कुर्सी के बदले , सरफराज अहमद को 6 साल के लिए राज्यसभा सांसद की गारंटी मिली है

मई 2024 में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. जाहिर है कि यह सीट झामुमो के खाते में आएगी. यह सीट सरफराज अहमद के लिए रिटर्न गिफ्ट साबित होगी. अब सवाल है कि गांडेय सीट ही क्यों? इसका सीधा सा जवाब है कि यहां झामुमो की पकड़ रही है. इस सीट पर मुस्लिम और आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. अगर वह मुख्यमंत्री बनकर चुनाव मैदान में उतरती हैं तो उनका पक्ष मजबूत रहेगा क्योंकि हफीजुल हसन और बेबी देवी के मामले में यह एक्सपेरिमेंट सफल हो चुका है.

व्यक्तिगत कारण से दिया इस्तीफा: सरफराज

झारखंड के गोड्‌डा से भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने दावा किया है कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस्तीफा देंगे और उनकी जगह उनकी पत्नी सीएम बनेंगी। उन्होंने एक्स पर लिखा है कि झारखंड के गांडेय विधायक सरफराज अहमद ने विधानसभा से इस्तीफ़ा दिया। इस्तीफ़ा स्वीकार हुआ। हेमंत सोरेन जी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देंगे झारखंड की अगली मुख्यमंत्री उनकी पत्नी कल्पना सोरेन जी होंगी।

निशिकांत दुबे वहीं भाजपा सांसद हैं जिनके आरोपों के बाद तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ माजी की,, सदस्यता रद्दा हो गई थी। उन्होंने यह दावा हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक सरफराज अहमद के इस्तीफा के बाद किया है। ,,तो क्या ये दावा सही साबित होने वाला है ????

भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे और झारखंड की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले सरयू राय अपने ट्वीट के जरिए अंदेशा जता चुके हैं कि हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को ,,मुख्यमंत्री बनाएंगे इस दिशा में वह तब से काम कर रहे हैं जब उनके खिलाफ ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला आया था. पिछले कुछ समय से कल्पना सोरेन सीएम के सभी प्रमुख विजिट में साथ रही हैं.

हेमंत की पत्नी को मिल सकती है कुर्सी

पहली बार शीतकालीन सत्र के दौरान मुख्यमंत्री उनको विधानसभा की सैर करा चुके हैं. कल्पना सोरेन मूल रूप से ओडिशा के मयूरभंज की रहने वाली हैं. उनकी शादी 7 फरवरी 2006 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ हुई थी. रांची में वह एक निजी स्कूल भी चलाती हैं. महिला सशक्तिकरण से जुड़े कार्यक्रमों में काफी एक्टिव रहती हैं. ‌ एक राजनीतिक घराने से जुड़ने के बावजूद वह राजनीति में कभी एक्टिव नहीं दिखीं. लेकिन हालात बता रहे हैं कि राजनीति में उनकी एंट्री अब तय हो चुकी है.

हेमंत सोरेन के इस्तीफे की अटकले इसलिए लगाई जा रही क्योंकि जांच एजेंसी ईडी लगातार उन्हें पूछताछ के लिए बुला रही है। ईडी उन्हें पूछताछ के लिए 7 बार समन जारी कर चुकी है। हेमंत सोरेन अब तक पूछताछ से बचते रहे हैं। अब आशंका व्यक्त की जा रही है कि ईडी उन्हें कभी भी गिरफ्तार कर सकती है। ऐसे में हेंमत अपनी पत्नी को विधायक बनाना चाहते हैं ताकि अगर उन्हें गिरफ्तार किया जाता है तब वह अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को सीएम पद सौंप सकें।

निशिकांत दुबे ने एक्स पर एक दूसरे पोस्ट में लिखा है कि मुम्बई हाईकोर्ट के काटोल विधानसभा के निर्णय के अनुसार अब गांडेय में चुनाव नहीं हो सकता । काटोल विधानसभा जब महाराष्ट्र में ख़ाली हुआ तब विधानसभा का कार्यकाल 1 साल 50 दिन ख़ाली था। उन्होंने राज्यपाल से मांग करते हुए लिखा है कि राज्यपाल महोदय यदि कल्पना सोरेन जी कहीं से विधायक नहीं बन सकती हैं,, तो मुख्यमंत्री कैसे बनेंगी? झारखंड को चारागाह कांग्रेस बनाने की कोशिश कर रही है।

दोस्तों निशिकांत दुबे अपनी इस पोस्ट के जरिए कहना चाहते है की अब गांडेय विधानसभा सीट पर उपचुनाव नहीं हो सकता है। साफ तौर पर इस सीट पर अब विधानसभा उपचुनाव होता है तब भाजपा उसका विरोध करेगी। भाजपा की कोशिश होगी कि कल्पना सोरेन को किसी भी तरह विधायक बनने से रोका जाए।

अगर हेमंत सोरेन गिरफ्तार होते हैं तो उनकी पत्नी मुख्यमंत्री बनेंगी और गांडेय सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ेंगी। हेमंत के पिता शिबू सोरेन भी मुख्यमंत्री बनने के बाद विधानसभा का उपचुनाव लड़े थे और हार गए थे। तभी इस बार हेमंत ने सीट चुनने में कोई गलती नहीं की है। मुस्लिम और आदिवासी बहुल गांडेय सीट पर कल्पना सोरेन की लड़ाई आसानी होगी।

उनके लिए कोई आरक्षित सीट इसलिए नहीं चुनी गई क्योंकि वे ओडिशा की हैं और आदिवासी सीट से उनके चुनाव को चुनौती दी जा सकती थी। हालांकि वे ओडिशा की संथाल आदिवासी ही हैं लेकिन यहां भी सावधानी बरती गई। क्योंकि कई लोगों ने पहले ही कहना शुरू कर दिया था कि उनकी जाति झारखंड में अधिसूचित नहीं है। पहले यह भी चर्चा था कि कल्पना सोरेन गिरिडीह सीट से लड़ सकती हैं। लेकिन वहां एक अन्य संथाल आदिवासी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी चुनाव हार चुके हैं। इसलिए हेमंत सोरेन ने जोखिम नहीं लिया। आपको क्या लगता है क्या हेमंत सोरेन अपनी कुर्सी पत्नी को सोपेंगे अपनी राय कमेन्ट कर जरूर बताएँ

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