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Nuh Violence : नूह में हिंसा भड़की या भड़काई गई? haryana nuh violence

Nuh Violence : त्योहारों का मौसम हो,,, या चुनाव का मौसम, ,, ,,हर महीने नफरत का एक ऐसा माहौल तैयार होता है,,,,,,,, जो हमें राष्ट्र की स्थापना करने वाले ,,,लोकतांत्रिक मूल्यों से दूर ले जाता है.,,,,,,हाल के वर्षों में त्योहारों के मुद्दे पर होने वाले ,,,इन दंगों के सियासी मायने है ,,, दंगों से किसी न किसी,,, (haryana nuh violence) राजनीतिक पार्टी का ही फायदा होता है,,,. यही वजह है कि दंगे कराने और उसकी आग में ,,,,घी डालने में सत्तारूढ़ से लेकर,,, विपक्षी पार्टी तक कोई पीछे नहीं रहती,,,.

जिसकी लाठी उसकी भैंस की,,, (Why is there violence in Haryana) तर्ज पर जहां जिसकी चलती है ,,,,वह अपनी चलाता है,,,. दंगे शुरू होते ही ,,,,आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति शुरू हो जाती है ,,,जो दंगों की आग ठंडी होने के बाद भी महीनों चलती रहती है.,,,, और अगर कोई चुनाव नजदीक हो तो,,,,,, तमाम पक्ष इस मुद्दे को येन-केन-प्रकारेण,,,,, चुनावी नतीजों तक जीवित रखने के ,,,,,,,,,,,प्रयास में जुटे रहते हैं

ऐसी घटनाएं कहीं ना कहीं से आती रहेंगी

3,4 दिन पहले ही ,,,चलती ट्रेन में चेतन सिंह नाम का एक सिपाही ,,,अपनी बंदूक से चार लोगों की हत्या कर देता है। ,,,रेल मंत्री इस घटना की निंदा में ,,,एक ट्वीट तक नहीं करते हैं। ,,,कोई संदेश नहीं की,, रेलवे में ऐसी हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ,,,जबकि इस घटना में रेलवे सुरक्षा बल के सहायक ,,,दारोगा टीकाराम मीणा की ,,,भी हत्या हुई है। रेल मंत्री की इस चुप्पी को आप,,, चाहे जैसे पढ़ते रहे ,,लेकिन चुनाव हो या ना हो।,,,,अब ऐसी घटनाएं कहीं ना कहीं से आती रहेंगी।


घटनाएं कहीं की भी हो,,, मगर सभी में बातें एक समान सुनाई देती है। ,,,यूपी के बरेली से लेकर हरियाणा के नूह तक में,,,,,, जो हो रहा है वो इसलिए हो रहा है ताकि ,,,,,,,,धर्म की राजनीति के नाम पर ,,,,,,,,,वो नेता देवता बन जाए और,,,,,,,, आपका वो बेटा दंगाई ,,,,,,,,इस देश में पुलिस की व्यवस्था है, ,,,,,,,सेना की व्यवस्था है। लेकिन इसके बाद भी,,,,,,, असम से ये खबर है कि एक संगठन ,,,,,इन नौजवानों को बंदूक चलाने की ट्रेनिंग दे रहा है।,,,,,,इस लड़ाई ने समाज को बीमार कर दिया है,,,,,,,, और समाज ने इस बिमारी को राजनीतिक रूप से गले लगा लिया है,,,,,,, क्योंकि बिना समाज की सहमति और भागीदारी के या ,,,,,बिमारी नहीं फैल सकती। इस बिमारी को फैलने से रोकने के लिए कोई लॉकडाउन नहीं करता है

हरियाणा के नूंह में 6 घंटे तक दंगा होता रहा

हरियाणा के नूंह में 6 घंटे तक दंगा होता रहा। दोनों समुदायों की तरफ से फायरिंग हुई, 150 गाड़ियां जलाई गईं, 6 लोग मारे गए, लेकिन इस दौरान पुलिस कहां थी?,,,,,,ब्रजमंडल यात्रा के लिए 900 पुलिसवाले तैनात थे।,,, हिंसा के दौरान ये कहां थे, ’सवाल यही है कि जब,,,, ब्रजमंडल यात्रा से पहले ही सोशल मीडिया पर मोनू मानेसर, VHP और मुस्लिम पक्ष के लोगों के बीच बहस शुरू हो चुकी थी,,, तो पुलिस ने एहतियात क्यों नहीं बरती।


सोशल मीडिया पर मोनू मानेसर की यात्रा में शामिल होने की भी तस्वीरें भी वायरल होने लगी ,लेकिन बीबीसी हिंदी पर छपी ख़बर के मुताबिक,,,,,, मोनू मानेसर ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, “वीएचपी के कहने के बाद मैं यात्रा में शामिल नहीं हुआ था।” गौरतलब है कि मोनू मानेसर नासिर,,, जुनैद की हत्या के मामले में फरार आरोपी है।

मंदिर में 4 हजार से ज्यादा लोग फंसे हुए

यात्रा नल्हड़ के नलहरेश्वर मंदिर से शुरू हुई थी। मंदिर के केयर टेकर और यात्रा में शामिल लोगों के मुताबिक,,, दंगा भड़का तो मंदिर में 4 हजार से ज्यादा लोग फंसे हुए थे। ,,इस भीड़ को संभालने के लिए मंदिर के गेट पर 10 पुलिसवाले भी मौजूद नहीं थे।,,,,,मंदिर में फंसे लोगों ने बताया कि,,,, उपद्रव के दौरान मंदिर के अंदर भी गिने-चुने पुलिसकर्मी थे।

हालात को काबू में करने के लिए वहां अतिरिक्त सुरक्षा बल भेजे गए,,, कुछ जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई और आसपास के इलाकों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। यानी धार्मिक आयोजन के रूप में जिस यात्रा का हासिल ,,,सद्भाव का संदेश होना चाहिए था, वह हिंसक संघर्ष के रूप में तब्दील हो गया।

कांग्रेस ने खट्टर सरकार पर साधा निशाना

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ,,,इस घटना को लेकर राज्य की खट्टर सरकार पर तीखा हमला करते हुए,,, कहा कि सरकार के पास यात्रा के दौरान बवाल होने की आशंका के संबंध में इंटेलिजेंस इनपुट पहले से मौजूद था। इसके बावजूद सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही ,,,,और हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए पहले से कोई तैयारी नहीं की गई।,,,,,,,,सरकार को इस बात का जवाब देना चाहिए कि ,,,,हिंसा के संबंध में इनपुट होने के बावजूद ,,,कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया? ऐसे नाजुक मौके पर नूंह के एसपी ,,,को छुट्टी की इजाजत कैसे मिली।,,,,,मानेसर हत्या का आरोपी है और उसकी ओर से भड़काऊ पोस्ट किए जाने के बावजूद ,,,उसकी गिरफ्तारी नहीं की गई। इसके विपरीत राज्य के गृह मंत्री ,,,अनिल विज मानेसर को क्लीनचिट दे रहे हैं।

सवाल है कि आखिर वे कौन लोग होते हैं,,,,,, जिन्हें ऐसे आयोजनों में अचानक दिक्कत हो जाती है ,,,,,,,,,या कोई अपनी मंशा के मुताबिक चलने के लिए ,,,,,,,,,कानून तक को ताक पर रखने से नहीं हिचकता।,,,,,,,,,, विडंबना यह है कि किसी धर्म से जुड़े ऐसे जुलूसों का अराजक हो जाना,,,,,,,, आम होता जा रहा है। ,,,,,,,,,,,पिछले हफ्ते शनिवार को राजधानी दिल्ली के,,,,,,,,, नांगलोई इलाके में मुहर्रम के जुलूस के दौरान,,,,,,,, जब एक समूह को तय मार्ग से अलग रास्ते पर जाने से,,,,,,, रोका गया तो उसमें,,,,,,,,,,,, शामिल लोगों ने तोड़फोड़ मचा दी और हिंसा पर उतर आए

किसी तरह पुलिस को स्थिति संभालनी पड़ी। ,,इसी तरह, रविवार को बरेली में निर्धारित मार्ग से ,,,,,अलग कांवड़ यात्रा निकालने के सवाल पर लोगों की पुलिस से झड़प हो गई।,,,,,, ऐसे जुलूस निकालने वाले लोगों को आखिर किन वजहों से प्रशासन की ओर से तय मार्ग से अलग,,,,,,,,, किसी और रास्ते पर जाना जरूरी लगने लगता है? ,,,,,,,,,,,क्या इसके पीछे कोई अन्य मंशा काम कर रही होती है?

साइबर सेल क्या कर रहा था

अगर सोशल मीडिया पर यात्रा से पहले से ही ,,,,,,,,,,इस तरह की बयानबाजी हो रही थी, ,,,,,,,,,,,तो यात्रा के दिन उसने ,,,,,ऐसे वीडियो वायरल होने से रोकने के लिए कोई तैयारी क्यों नहीं की। ,,,,,,,,,,इस दौरान साइबर सेल क्या कर रहा था।,,,,,,,,,नूंह शहर दंगे की आग में जल रहा था,,, तब जिले की फोर्स रेवाड़ी में VIP ड्यूटी में भी लगी थी। भले ही SP पर्याप्त जवानों की तैनाती की बात कर रहे हैं,,, लेकिन 100 से ज्यादा जवान रेवाड़ी जिले में थे। ,,,वे 28 से 30 जुलाई तक हुए CM मनोहर लाल के जनसंवाद कार्यक्रम में ड्यूटी करने गए थे। ,,,,इसके अलावा भी कुछ पुलिसकर्मी दूसरे जिलों में ड्यूटी पर गए हुए थे।,,,,,,,4 हजार लोगों को संभालने के लिए मंदिर के अंदर गिने-चुने पुलिसवाले थे। ,,,,,,,,,,,उपद्रवियों ने मंदिर को घेर लिया और फिर जमकर उपद्रव किया। ,,,,,,,,,,फोर्स को मंदिर आने में घंटों लग गए।

नेता लोग ,,आपको नफ़रत की आग में झोंक कर,,,, अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेकते हैं ,,,,,,तलवार ,,,कट्टा ,,,खुखरी बम ,,,आपके हाथ में,,,, विदेशी डिग्रियाँ इनके ,,,बच्चों के हिस्से ,,,,,,,चुनाव आने वाले है,,,ऐसी हिंसा ,,,,आपको देखने को मिलती रहेगी ,,,ये अब आपके ऊपर है ,,,आप किस नजरिए से देखेंगे ,,,अपनी राय कमेन्ट कर जरूर बताएगा

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